मनुष्य के स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा जाता है जो है अभी क्योंकि धरती के सभी सुख ,समस्त खुशियों के अनुभूति का माध्यम शरीर ही तो है, और यदि शरीर ही अस्वस्थ रहे तो सभी सुख संपदा ट्रिंवत होती है। वर्तमान जीवन शैली के चलते संपूर्ण शरीर को संचालित करके स्वस्थ रखने वाला ह्रदय स्वयं बीमार होता जा रहा है। चिंता की बात तो यह है कि वर्तमान में कम आयु के लोगों में भी दिल से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूषित, अव्यवस्थित खानपान के साथ-साथ शारीरिक मेहनत के न होने से भी हृदय जनित बीमारियों में इजाफा हो रहा है। चिकित्सकों द्वारा जनसामान्य को यह समझाया जाता है कि दिन में कुछ समय पैदल अवश्य चला जाए ताकि ह्रदय रोग मुक्त रहे। इसी दिशा में चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई कर रहे भोपाल के एक युवा श्री शैलेंद्र दुबे जी ने अपने कुछ सहयोगियों को लेकर लोगों को जागरूक करना शुरू किया। वर्ष 2018 में आपने एक स्वयंसेवी संस्था जीवन सार्थक सोशल वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से कार्डियो मिनी मैराथन आयोजित करने का नायाब नुस्खा खोज निकाला। इससे जहां एक तरफ लोगों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है वहीं दूसरी ओर सभी को जागृत करने में भी बड़ी कामयाबी मिल रही है ।शैलेंद्र दुबे जी ने 2019 में 2000 लोगों को कार्डियो मिनी मैराथन में भाग लेने हेतु तैयार किया। इसमें हृदय को स्वस्थ रखने वाले लोग सम्मिलित हुए लगभग साढे 3 किलोमीटर की दौड़ अपनी तरह की विश्व की इकलौती दौड़ हुई ।भोपाल स्थित उबुंतू हार्ट हॉस्पिटल के सहयोग से 29 सितंबर 2019 को सुबह 6:00 बजे यह अनोखी मैराथन प्रारंभ हुई तथा शहर के विभिन्न इलाकों से होते हुए उबुंटू हार्ट हॉस्पिटल पर समाप्त हुई और उसी समय एक कीर्तिमान रचा गया। अपने आप में विश्व की एकमात्र कार्डियो रन मिनी मैराथन के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में दर्ज हुई जो पूर्व में भूटान और आइलैंड के नाम रिकॉर्ड दर्ज था ।इस बेहतरीन नवीनतम विचारधारा के जनक श्री शैलेंद्र दुबे (Dr. Shalendra Dubey) जी जो स्वयं चिकित्सक हैं, शरीर को स्वस्थ रखने हेतु पैदल चलने के महत्व को समझा तथा इससे आमजन को जागृत करने का यह अद्भुत तरीका खोज कर एक मिसाल कायम कर दी है ।आप रक्तदान के लिए भी लोगों को जागृत करते रहते हैं साथ ही महिला सशक्तिकरण, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की उत्कृष्ट शिक्षा के लिए भी जी तोड प्रयास करते हैं ।पेशे से एडवोकेट श्री राजेंद्र दुबे जी एवं स्वास्थ्य कर्मी माता श्रीमती आशा दुबे जी के घर में 11 सितंबर 1991 को जन्मे श्री शैलेंद्र दुबे जी इतनी कम उम्र में ही अपनी साधना के चलते अभी तक ,17राष्ट्रीय तथा लगभग 50 अंतर्राष्ट्रीय सम्मानोंसे नवाजे जा चुके हैं।