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"दुनिया की लगभग हर चीज सिर्फ ठोकर लगने से ही टूट जाती है, सिर्फ एक कामयाबी ही है, जो ठोकर खाने के बाद ही मिलती है।”
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ। जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे, चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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छल में बेशक बहुत बल है, लेकिन माफ़ी आज भी अंतिम हल है। यक़ीन करना सीखो, शक तो सारी दुनिया करती है "इज्जत और तारीफ" मांगी नही जाती है, कमाई जाती है।
“सारी मुसीबतें” रुई से भरे थैले की तरह होती हैं, देखते रहेंगे तो बहुत भारी दिखेंगी और उठा लेंगे तो एकदम हल्की हो जाएंगीं।