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नमक जैसा बनाइये अपना "व्यक्तित्व" आपकी उपस्थिति का भले ही पता न चले पर अनुपस्थिति का अहसास अवश्य होना चाहिये।
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जब चलना नहीं आता था, तब कोई गिरने नहीं देता था। और जब चलना सीख लिया तो, हर कोई गिराने में लगा है। यही जीवन की सच्चाई है।
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"गुस्सा" माचिस कि एक काड़ी के तरह है जो दूसरों से पहले खुद को जलाता है। "जो सबसे पहले क्षमा मांगता है वह सबसे बहादुर है, जो सबसे पहले क्षमा करता है वह सबसे शक्तिशाली है और जो सबसे पहले भूल जाता है वह सबसे सुखी।"
समस्याओं का अपना कोई साईज नही होता। वो तो सिर्फ हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बडी़ होती है।