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कुछ नेकियाँ और कुछ अच्छाइयां अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए, जिनका ईश्वर के सिवाय कोई और गवाह ना हो।
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क्या खुब कहा है किसी ने, बीतता वक़्त है, लेकिन। ख़र्च हम हो जाते हैं। कैसे "नादान"है हम दुःख आता है। तो,"अटक" जाते है! औऱ सुख आता है तो "भटक" जाते हैं।
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जब तक आप सामने वाले के मन की करते है, तो अच्छे है। अगर, एक बार अपने मन की कर ली तो, सभी अच्छाइयां बुराई में तब्दील हो जाती है।
संसार में कोई भी मनुष्य सर्वगुण संपन्न नही होता! इसलिए कुछ कमियों को नजरंदाज करिए और रिश्ते बनाए रखिए!