विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने लोगों की मुश्किलों को कम करने, विविध प्रकार की सहूलियतें मुहैय्या कराकर दुश्वारियों को घटाने में भरपूर मदद की है। नित-नूतन अनुसंधान से वैज्ञानिकगण जीवन को समृद्ध, सरस और सुखी बनाने की दिशा में सतत प्रयासरत हैं। यह सत्य है कि देश की उन्नति में विज्ञान महती भूमिका निभा रहा है लेकिन इसका एक स्याह पक्ष यह भी है कि वैज्ञानिकों की अखंड साधना, नए-नए शोधों का परिणाम, उनसे मिलने वाले लाभों से लाभान्वित होंने वालों की तादाद अभी भी बहुत कम है। विज्ञान के ढेर सारे परिणाम अभी भी शोध की प्रयोगशाला में ही सिमटकर रह जाते हैं बावजूद इन सबके प्रशासनिक व्यवस्था और वैज्ञानिकों आदि द्वारा विज्ञान को आम जन तक पहुंचाने हेतु सतत प्रयास जारी है। ऐसे ही एक मनीषी हैं डॉ. मृदुल शुक्ल जी (Dr Mridul Shukla) जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन विज्ञान के नित नए आविष्कारों को आमजन विशेषकर गाँवो तक पहुंचाने में समर्पित कर दिया है।

अपने एतिहासिक, सांस्कृतिक विरासत के लिए तथा साहित्य की उर्वरता के लिहाज से उत्तर प्रदेश का जनपद गोरखपुर (Gorakhpur) सदैव मजबूती के साथ उपस्थित रहा है। यह जनपद नाथ परम्परा के प्रख्यात संत पूज्य गोरखनाथ जी की कर्मस्थली रहा है एवं उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण भी हुआ है। एक तरफ महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जन्मस्थली होने का गौरव तो दूसरी तरफ साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर, अपने पांडित्य से उर्दू भाषा को समृद्ध करने वाले प्रकांड मनीषी रघुवीर सहाय ‘फिराक’ की जन्मस्थली, गोरखपुर ने विविध विधाओं के एक से बढ़कर एक नायाब रत्नों को जन्म दिया है। आजादी के आंदोलन में चौरीचौरा कांड (Chauri Chaura Kand) आज भी विदेशी हुकूमत की यादों का गवाह है।

गोरखपुर के ही खखाखाईजखोर गाँव के निवासी श्री राधेश्याम शुक्ल जी की जीवन संगिनी श्रीमती लीलावती जी की गोद में 1 जनवरी 1976 को मृदुल शुक्ल जी का जन्म हुआ। शुरुआती दिनों में पढ़ने में मन कम लगता था लेकिन कुछ ही समय बाद आप शिक्षा की तरफ तेजी से अग्रसर हुए। कालेज तक पहुंचते-पहुंचते आपमें पढ़ने की जबरदस्त ललक उत्पन्न हुई। विज्ञान से स्नातकोत्तर करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से आपने पी एच डी (Ph D) की डिग्री हासिल की तत्पश्चात देश की प्रतिष्ठा संस्था सी एस आई आर (CSIR) के लखनऊ कार्यालय में आप तकनीकी अधिकारी (Technical Officer) के पद पर नियुक्त हो गए।

सेवा में आने के बाद आपको आपके मन मुताबिक कार्य करने का अवसर ईश्वर ने प्रदान किया तथा आपको आउटरीच कार्यक्रम से जोड़ा गया जिसके तहत आप विज्ञान को प्रयोगशाला से निकालकर गाँव-गाँव तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। कुछ ही समय बाद डॉ. मृदुल शुक्ल एक ऐसा नाम हो गया जो अपेक्षाकृत कठिन विषय विज्ञान को ग्रामीण परिवेश, ग्रामीण प्रतिभाओं तक पहुंचाने, उन्हें इससे जोड़ने तथा उनकी प्रतिभा को निखारकर बेहतरीन प्लेटफार्म उपलब्ध कराने में महारथी रखते हैं। अब आपके गुणों की खूब प्रशंसा की जाती है तथा विभिन्न सम्मानों से आपको सम्मानित किया जाता रहता है। आपको यूपी प्रगति रत्न पुरस्कार, स्वर्गीय बाल गोविन्द वर्मा स्मृति वैज्ञानिक पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्कृति पुरस्कार, साइंटिस्ट ऑफ़ दी ईयर अवार्ड, प्रदेश सरकार का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डीयसटी भारत सरकार का विज्ञान समरसता पुरस्कार, लैब टू लैंड अवार्ड, श्रेष्ठ गुरुजन अवार्ड, विज्ञान शिरोमणि अवार्ड, एनबीआरआई से बेस्ट रिसर्च पेपर जैसे अवार्ड मिल चुके है। चूंकि डॉक्टर मृदुल शुक्ल जी सदैव यहीं सोचते रहते है कि कैसे वैज्ञानिक विचारों से ग्रामीण परिवेश को अभिसिंचित किया जाए अतः आपने अपनी इसी सोच के साथ तकरीबन सात से आठ सौ वैज्ञानिकों की सूची एवं नेटवर्क तैयार किया जो ग्रामीण पृष्ठभूमि से पढ़ लिखकर बड़े मुकाम पर पहुंचे हैं। आगे चलकर इन लोगों ने आपकी खूब मदद की। धीरे-धीरे आपने अपने कार्य में जबरदस्त सफलता प्राप्त की। इस प्रकार डॉ. शुक्ल जी विज्ञान को सुदूर ग्रामीण अंचल तक पहुंचाकर एक तरफ प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं तो दूसरी तरफ लोगों को, विशेषकर महिलाओं को रोजगार प्राप्त करने में भी सहायता करते हैं इसके अलावा सामाजिक कार्य में भी आप बढ़-चढ़कर सहभागिता कर रहे हैं।