भारतीय संस्कृति में मानव जीवन जिस धुरी पर टिका है उसके तीन आधार हैं- ज्ञान, धर्म और शांति। ज्ञान, धर्म तथा शांति की स्वामिनी के रूप में स्त्री वाचक शब्द का प्रयोग किया जाना अपने आप में ही स्त्री की श्रेष्ठता को साबित करता है। स्त्री को समृद्धि और संस्कृति की अधिष्ठात्री भी माना जाता है। ‘परा’ तथा ‘अपरा’ शक्ति के रूप में ज्ञानी जनों द्वारा सदा इसकी चर्चा की जाती रहती है। वैदिक काल में जिस ज्ञान को श्रेष्ठतम ज्ञान माना गया वह था “ब्रह्म ज्ञान” और खूबी यह कि महिलाओं को उसे प्राप्त करने की व्यवस्था तत्कालीन समाज ने प्रदान की थी, इसके साथ ही सैन्य शिक्षा का अधिकार भी उन्हें प्राप्त था। अथर्ववेद में मिलता है कि “ब्रह्म चर्येण कन्या युवानम विंदते पतिम।” अर्थात बालिकाएं उस काल में स्नातक होकर कुछ विवाह कर लेती थी और कुछ आजीवन ब्रह्मचारिणी रहती थी। वह तपोमय जीवन व्यतीत करते हुए शास्त्र चर्चा में मग्न रहती थीं। वैदिक काल में अनेक विदुषी महिलाओं ने विभिन्न ऋचाओं की रचना की थी। विश्ववारा ने ऋग्वेद के पांचवें मंडल के 28 वें सूक्त में वर्णित छः ऋचाओं की रचना की। ऋग्वेद के आठवें मंडल के 91 वें सूक्त की 1 से 7 तक की ऋचाओं को अपाला ने संकलित किया। सूर्या ने ऋग्वेद के विवाह संबंधी सूक्त की रचना की है इस प्रकार वैदिक कालीन स्त्रियां गाय दुहना, सूत कातना व बुनना, वस्त्र सिलना आदि भली-भांति जानती थीं। वे नृत्य कला में निपुण होती थीं, गायन में प्रवीण होती थीं एवं चित्र कला में पारंगत होती थीं। उसी तर्ज पर आज भारत देश में महिला शिक्षा ने महिला सशक्तिकरण की उस कुल्हाड़ी की धार को तेज कर दिया है जिससे भारतीय सामाजिक जीवन की जंगली झाड़ियों को साफ करने में काफी सफलता प्राप्त हो सकी है।
माहेश्वरी समाज महिलाओं के उत्थान हेतु न केवल सदैव कृत संकल्पित रहा है वरन सतत क्रियाशील भी रहा है। इसी कड़ी में अखिल भारत वर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन (Akhil Bararatvarshiya Maheshwari Mahila Sangathan) द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में, उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाने हेतु 8 मार्च 2022 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day ) के अवसर पर संपूर्ण भारत में तथा नेपाल में “स्वाश्रिता” नाम से श्रृंखलाबद्ध कार्य योजना तैयार कर एक साथ पांच सौ से अधिक सिलाई मशीन प्रदान करते हुए तथा महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था करते हुए महिला सशक्तिकरण की दिशा में अद्भुत पहल की गई है। इस अभियान के तहत देश भर में 16 केंद्रों पर न्यूनतम शुल्क में सिलाई प्रशिक्षण का प्रबंध एवं आधी कीमत पर सिलाई मशीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था किया जाना भविष्य में कमजोर तबके से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के उन्नयन हेतु भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा महिलाओं के उत्थान हेतु इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने में अखिल भारत वर्षीय महिला संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती आशा माहेश्वरी जी, राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती मंजू बांगड़ जी, संगठन मंत्री श्रीमती शैला कलंत्री जी, कोषाध्यक्ष श्रीमती ज्योति राठी जी, समिति एवं प्रकल्प प्रमुख श्रीमती गिरिजा सारडाजी, समिति प्रभारी श्रीमती उषा मोहंता जी, श्रीमती नीलिमा मंत्री जी, समिति सह प्रभारी श्रीमती प्रतिभा नात्थानी जी, कार्यालय मंत्री श्रीमती मधु बाहेती जी, श्रीमती राजश्री मोहंता जी, श्रीमती स्वाति काबरा जी, श्रीमती रश्मि बिन्नानी जी, श्रीमती कंचन राठी जी सहित अन्य के अथक प्रयास से इस बदलाव की बयार का बहना संभव हो सका है। इस नायाब कार्य को सफल बनाने में विभिन्न क्षेत्रों की अनेक शख्सियतों ने गहराई से सन्नद्ध रहकर अपना आशीर्वाद प्रदान किया। नेक नीयत संगठन अखिल भारत वर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के प्रकल्प स्वाश्रिता द्वारा देशभर में एक साथ 525 सिलाई मशीनों का वितरण किया जाना अपने आप में अनोखा होने के कारण इसे कीर्तिमान के रूप में विश्व रिकॉर्ड दर्ज करने वाली विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) द्वारा दर्ज किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित वेबिनार में लोकसभा स्पीकर श्री ओम बिड़ला जी (Lok sabha speaker, Mr. Om Birla) की उपस्थति में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी ने इस हेतु घोषणा की।
इस प्रकार अखिल भारत वर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के सहयोग के चलते आज की नारी अपने को सशक्त कर समाज के नागफनी रुपी मकड़जाल से सीधे टकराकर उसके कंटको को अपना हमसफर बना, उसके चुभने वाले गुण को निस्तेज कर अपने मार्ग को न केवल रुकने नहीं दे रही अपितु मंजिल को प्राप्त करने के लिए हर बाधा से पराजित होना अस्वीकार करते हुए समाज के समक्ष एक जीवंत प्रेरणा पुंज, प्रकाश स्तंभ की तरह सभी को गौरवान्वित करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।