सामान्य सा व्यक्तित्व, मध्यमवर्गीय परिवार एवं गृहस्थी के मायाजाल वाले परिवेश में रहकर व्यक्ति किसी अन्य के लिए कुछ करना तो दूर स्वाभाविक तौर पर सोचने की स्थिति में भी आमतौर पर नहीं होता है। अमूमन व्यक्ति अपनों से ही नहीं उबर पाता है इसलिए औरों के लिए कुछ नहीं करता है। लेकिन उस अलौकिक रचनाकार की महिमा भी अपरंपार है इसीलिए वह हम सभी के बीच कुछ ऐसी सख्शियत भेजता रहता है जो स्वयं के दुख-दर्द को छोड दूसरों के विषम हालातों से साझा होने से अपने को अलग नहीं कर पाते हैं एवं अपनी सीमा से बाहर जाकर कुछ अभिनव करने का प्रयास करते हैं।
प्राचीन काल से ही संगम तीरे स्थित पवित्र-पावन प्रयाग नगरी अपने शैक्षणिक वातावरण, धर्मनिष्ठा एवं फलदायी महत्ता के लिए जानी जाती रही है। यह नगर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र तो रहा ही है साथ ही देश के कोने-कोने से विद्यार्थीगण भी यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते रहते हैं। यहां स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय (University of Allahabad) की महिमा इसी से जानी जा सकती है कि इसे पूर्व के ऑक्सफोर्ड (Oxford of East) की उपाधि से विभूषित किया जाता है। देश को अनेक विश्व विख्यात कवि, साहित्यकार, वैज्ञानिक, इतिहासविद, पुरातत्व वेत्ता, कलाकार, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायमूर्ति एवं विद्वजगणों को प्रदान करने वाला यह नगर आज भी अपनी महिमा को बरकरार रखे हुए हैं। अभी भी इस पावन भूमि से महान व्यक्तित्व निकलते रहते हैं, एवं उनके द्वारा समाज एवं मानवता के प्रति किए जा रहे कार्यों से यह दिखता है कि इस जनपद की मिट्टी में ईश्वर ने सेवा करने की एक अलग ही भावना का रोपण किया है।
इलाहाबाद जनपद की कोराव तहसील के गांव बहरैचा के रहने वाले पंडित श्री देव प्रसाद पांडे जी के घर पूर्व में ही एक पुत्र था लेकिन जब आपकी धर्मपत्नी श्रीमती श्यामा पांडे जी की गोद में 3 नवंबर 1972 को पुनः पुत्र रत्न के रूप में मनोज जी की प्राप्ति हुई तो आप दोनों बेहद प्रसन्न हुए। बालक मनोज का मन प्रारंभ से ही पढ़ाई में खूब रमता था। अपनी गतिविधियों के चलते शिक्षकों के प्रिय भी हो गए तथा सभी खूब मानते थे। उस समय न तो शिक्षकगणों को, न परिवारीजन को और न हि मित्र मंडली को यह अंदाजा था कि भविष्य में यह नादान बालक मनोज, अपने कार्यों से हजारों-हजार व्यक्तियों को प्रोत्साहित करेगा, उनमें समाज, देश के प्रति कुछ करने की ललक पैदा करेगा तथा स्वयं की जीवन शैली से लोगों के मन में कर्म के प्रति महत्ता को गहराई से जागृत करेगा। मनोज जी ने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत लेडीयारी स्थित एक विद्यालय से दसवीं तक की शिक्षा ग्रहण की तथा इंटरमीडिएट की शिक्षा अग्रवाल इंटर कॉलेज, सिरसा (Agarwal Inter college, Sirsa) से जीव विज्ञान विषय के साथ उत्तीर्ण की।
प्रारंभ में आप चिकित्सक बनना चाहते थे लेकिन ईश्वर तो आपसे कुछ और ही कराना चाह रहा थे। फलतः विविध प्रकार के झंझावातो को झेलते हुए आपने कानपुर विश्वविद्यालय (Kanpur University) से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। क्योंकि अब आपकी मनोवृत्ति परिवर्तित हो गई थी तथा नई दिशा में प्रवाहित होने को उतावली थी फलतः महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Chitrakoot Gramodaya Vishwavidyalaya) से समाज कार्य विषय में अपने पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की।
घर-परिवार की स्थिति यद्यपि अच्छी थी लेकिन शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत कुछ करना आवश्यक था अतः आपने अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद में बतौर चिकित्सक सहायक के रूप में प्रारंभ की। कुछ समय तक आपने एक कॉन्वेंट स्कूल में अध्यापन का कार्य भी किया तदोपरांत आपने मार्केटिंग क्षेत्र में कार्य किया। चूंकि ईश्वर तो आप से बड़ा तथा देश, समाज, प्रकृति के लिए कार्य कराना चाह रहे थे, इसलिए इन सब में आपका मन नहीं लगा। अंततः आपके जीवन में वह मोड़ आया जब आपने मध्यप्रदेश में इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट (Integrated Watershed Management) कार्यक्रम में परियोजना अधिकारी के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। इस पद पर आपने 5 वर्ष तक कार्य किया। आपकी लगन, मेहनत, योग्यता को देखते हुए आपको टीम लीडर का गुरुत्तर दायित्व सौंपा गया। इस पद पर रहते हुए आपने समाज, प्रकृति एवं विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों पर गहन एवं धरातलीय अध्ययन किया तथा जन-सामान्य को जागृत कर सोचने के लिए विवश कर दिया। श्री मनोज कुमार पांडे जी (Mr. Manoj Kumar Pandey) ने वर्तमान पद को ग्रहण करने के उपरांत विविध प्रकार के विषयों, विसंगतियो पर अध्ययन एवं शोध कार्य करना प्रारंभ किया तथा जन सामान्य को जागरुक करने का भरपूर प्रयास किया। जनसंख्या, संसाधन, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण पर आपने गहन चिंतन परक शोध करके लोगों के समक्ष एक नए कलेवर में रखा। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण हेतु मौलिक बिंदुओं पर सोचने हेतु लोगों को आकर्षित किया तथा पर्यावरणीय कारकों के प्रति सचेत करने का कार्य भी आप द्वारा एक उच्च कोटि के पर्यावरणविद, सामाजिक चिंतक तथा सुधारक की तरह किया जा रहा है। आपके कार्यों की आज स्पष्ट पहचान है तथा चहुंओर भरपूर प्रशंशा की जाती है। आप जीवन में तमाम चुनौतियों को पार करते हुए अपनी मंजिल की तरफ अग्रसर हैं तथा देश, समाज, प्रकृति तथा पर्यावरण के लिए कार्य कर रहे हैं। आज आपको विविध प्रकार के सम्मानों से नवाजा जाता रहता है। बड़े-बड़े पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा आपकी प्रशंशा जाती रहती है। सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले श्री मनोज पांडे जी महात्मा गांधी जी एवं स्वामी विवेकानंद जी को अपना आदर्श मानते हैं। पूज्य नानाजी देशमुख और श्रद्धेय अन्ना हजारे जी के जीवन से जुड़कर एवं प्रभावित हो अपनी लगन, निष्ठा और योग्यता के साथ देश के उज्जवल भविष्य के लिए कार्य कर रहे हैं।