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- पुण्य किसी को दगा नहीं देता और पाप किसी का सगा नहीं होता जो कर्म को समझता है उसे धर्म को समझने की जरूरत ही नहीं संपत्ति के उत्तराधिकारी कोई भी या एक से ज्यादा हो सकते है लेकिन कर्मों के उत्तराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है l
- बोलना और प्रतिक्रिया करना जरूरी है लेकिन,संयम और सभ्यता का दामन नहीं छूटना चाहिए। हमारे जीवन में अच्छे लोगों का महत्व दिल की धड़कनों की तरह ही है, वह दिखाई नहीं देते लेकिन हमारे जीने का सहारा हैं।
- गलतियाँ कीजिए क्योंकि वो तो सबसे होती हैं, पर कभी किसी के साथ गलत मत कीजिए आत्मविश्वास जीवन का वह अस्त्र है, जो बिना घाव दिए, जीत हासिल करने में सहायता करती है। सुगंध के बिना पुष्प, तृप्ति के बिना प्राप्ति, ध्येय के बिना कर्म व प्रसन्नता के बिना जीवन व्यर्थ है। किसी इंसान का बड़प्पन, उसकी हैसियत नहीं, उसकी इंसानियत तय करती है।
“जीवन” को इतना शानदार बनाओ की आपको याद करके किसी “निराश व्यक्ति” की आखों में भी चमक आ जाए।