उत्तर प्रदेश का एक जिला, बलरामपुर अभी भी विकास के नूतन मानदंडों को प्राप्त करने में पूर्णरूपेण सफल नहीं हुआ है। इंटरनेट एवं हाई फ्रीक्वेंसी के सूचनात्मक उपकरण तो गांव में पहुंच गए हैं, लेकिन शैक्षणिक स्थिति एवं स्वास्थ्यगत समस्याएं अभी भी मुंह बाए खड़ी रहती हैं। ऐसी स्थिति में बैंकिंग सेवा में अधिकारी रहे, श्री वीरेंद्र विक्रम सिंह जी (Mr. Virendra Vikram Singh) ने योग के माध्यम से लोगों को जागृत करके, उन्हें स्वस्थ रखने का ऐसा अभियान छेड़ने का निश्चय किया, आज समय के साथ आपकी इस मुहिम से अनेक लोगों को लाभ तो हो ही रहा है, साथ ही श्री वीरेंद्र विक्रम सिंह जी द्वारा वैश्विक कीर्तिमान स्थापित करने से जिले का नाम भी रोशन हो गया है।

दरअसल वीरेंद्र विक्रम सिंह जी का योग के प्रति झुकाव बचपन में ही अचानक पिताजी श्री शिव बक्स सिंह जी के अस्वस्थ हो जाने के कारण हुआ। पिताजी काफी बीमार हो गए थे, एवं एलोपैथी के काफी इलाज के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिल रहा था तो एक दिन वह गोरखपुर स्थित आरोग्य निकेतन केंद्र गए, जहां प्राकृतिक तरीकों से, योग आदि के माध्यम से उनका उपचार किया गया और इसके फलस्वरूप वह पूर्णता स्वस्थ हो गए। स्वस्थ होने के उपरांत वह जब घर आए तो कुछ पुस्तकें भी लेकर आए, जो उन्हें आरोग्य निकेतन केंद्र से प्रदान की गई थी, जिन्हें पढ़कर उन्हें स्वयं नियमित योग आदि करना था। पिताजी उस पुस्तक में उल्लिखित योग क्रियाओं को स्वयं अकेले न कर पाने के कारण बेटे यानी वीरेंद्र विक्रम सिंह जी से मिलकर योग करवाने को कहते, जिसे कराते-कराते पुत्र का यौगिक क्रियाओं के प्रति बेहद लगाव होता चला गया तथा वह भी प्रतिदिन उन्हें करने लगे। आगे चलकर श्री वीरेंद्र विक्रम सिंह जी पढ़ाई पूर्ण करके बैंकिंग सेवा में सेवारत हो गए, लेकिन योग नहीं छूटा एवं उसे आजीवन करते रहे। 2 दिसंबर, 1954 को जन्मे श्री सिंह साहब, वर्ष 1968 से कठिन योगाभ्यास करने लगे। इसके चलते धीरे-धीरे असाधारण तरीके से योग करने का अभ्यास होता चला गया तथा आप एक उत्कृष्ट योग साधक की तरह योगाभ्यास करने लगे। आप अनेक प्रकार के कठोरतम शीर्षासन करने का भी अभ्यास करने लगे तथा पहले 18 प्रकार के शीर्षासन फिर 23 प्रकार के शीर्षासन करने का आश्चर्यजनक कारनामा कर दिखाया। इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने हेतु आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क किया। आपकी अद्भुत साधना को दृष्टिगत रखते हुए, गहन परीक्षण के उपरांत 21 जून 2018 को आपका नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया।

योग में अत्यंत ही कठिन विधा, शंख प्रक्षालन में भी आप सिद्धहस्त हैं । आपने 50 मिनट में 5 लीटर से भी अधिक पानी पीकर शंख प्रक्षालन विधि से उसे निकाल कर पुनः 28 जून 2019 को अपना नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराकर चार चांद लगाने का कार्य किया। मई 2020 में आपने स्वयं के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए , 36 प्रकार के शीर्षासन करने का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला जो शीघ्र ही गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (GBWR) में दर्ज होगा। अन्य संस्थाओं में भी आपके नाम रिकार्ड दर्ज है। योग के माध्यम से अधिकाधिक लोग स्वस्थ रहें, इसके लिए आप स्कूलों, कालेजों, अनेक प्रकार के कार्यक्रमों यहां तक कि कारागार में भी जाकर योग सिखाते हैं, एवं उसे करने हेतु सभी को जागृत करते रहते हैं। आपकी इस असाधारण तपस्या को देखते हुए अनेक संस्थाओं द्वारा प्रायः सम्मानित किया जाता रहता है।