8 वर्ष की उम्र एक ऐसी उम्र जहा बच्चे अपनी एक काल्पनिक दुनिया में जीते हैं। जहा उन्हें पूरी दुनिया एक पारी लोक की कहानी लगाती हैं, और लगे भी क्यों नहीं क्योंकी माता-पिता उन्हें राजकुमारी या राजकुमार की तरह प्रेम करते हैं उनकी हर इच्छा को पूरी करते है किसी भी इंसान के लिए बचपन का  समय जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय होता है, जो खेल कूद और मौज मस्ती में कब गुजर जाता हैं पता ही नहीं चलता। इसके उलट कुछ बच्चे ऐसे होते जो अपने बालपन में ही कुछ ऐसे कारनामे कर दिखाते है, की अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर देते हैं और पूरी दुनिया को अपनी कला से मोहित कर लेते हैं। एसी ही कु. स्वेच्छा साहू जिन्होंने गायन के क्षेत्र में ऐसा कारनामा किया की उनके माता पिता का सर गर्व से ऊँचा हो गया  

मात्र 8 वर्ष की उम्र में गायन में डिप्लोमा पूरा कर राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ की कु. स्वेच्छा साहू ने सबसे कम उम्र में गायन में डिप्लोमा किया और सबसे छोटी डिप्लोमा धारक बन गयी स्वेच्छा की इस अद्भूत उपलब्धि के कारण उनका नाम गोल्डन बुक ओफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में दर्ज किया गया।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में श्रीमती वेणुका साहू और श्रीमान त्रिवेन्द्र कुमार साहू के घर जन्मी स्वेच्छा को बालपन  से ही गायन में रूचि थी स्वेच्छा जब महज 4 साल की थी जब उनके गाये हुए गीत ‘दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा’ को यू ट्यूब पर साड़े सात लाख लोगो ने सुना और पसंद किया था। स्वेच्छा जमशेदपुर पब्लिक स्कूल की पांचवी कक्षा की छात्र हैं। वह संगीत गुरु मानस भट्टाचार्य के नेतृत्व में उत्कर्ष कला केंद्र से संगीत की शिक्षा ले रही हैं। स्वेच्छा तीन साल की उम्र से गाना गा रही है और अब तक सात भाषाओ में गीत गा चुकी हैं। जब संगीत गुरु मानस भट्टाचार्य के स्टूडियो में गीत गाते हुए स्वेच्छा का विडियो यूट्यूब पर अपलोड किया था तब वे महज 4 साल की थी।

स्वेच्छा ने उत्कर्ष कला केंद्र सर्व भारतीय संगीत परिषद् से “जूनियर डिप्लोमा इन सिंगिंग” जो की गायन में तीन वर्षो का डिप्लोमा होता हैं उसे महज 8 वर्ष की आयु में पूरा कर अपने नाम एक स्वर्णिम ख़िताब अर्जित किया जिसके लिए उन्हें गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी द्वारा “Youngest Diploma Holder in Singing” के शीर्षक का वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट देकर स्वेच्छा का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया।

वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर स्वेच्छा साहू एवं उनके परिवार को जुगसलाई तेली-साहू समाज द्वारा उनके निज निवास पर जाकर उन्हें बधाई और शुभकामनाए दी गयी।