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- स्वभाव सूर्य जैसा होना चाहिए, न उगने का अभिमान और न डूबने का गम जीने का यही अंदाज रखो । जो तुम्हे ना समझे, उसे नजरअंदाज रखो। देने के लिए कुछ न होतो सामने वाले को सम्मान दे, यह भी बड़ा दान होगा।
- अकेले हों तब विचारों पर नियंत्रण रखें, दोस्तों मे हों तब वाणी पर नियंत्रण रखें, गुस्से मे हों तब फैसलों पर नियंत्रण रखें, समूह मे हों तब व्यवहार पर नियंत्रण रखे, जब कोई प्रसंशा करे तब घमंड पर नियंत्रण रखे,एवं जब कोई बुरा बोले तब भावनाओं पर नियंत्रण रखें।
- रिश्ते, दोस्ती और स्नेह हर एक के मुक़द्दर में होते हैं, पर यह रुकते उन्हीं के पास हैं, जहाँ इनकी कदर होती है।
“बहस” और “बातचीत” में एक बड़ा फर्क है “बहस” सिर्फ़ यह सिद्ध करती है, *कि “कौन सही है” । जबकि “बातचीत” यह तय करती है,कि “क्या सही है”।