“खामोश” चहरे पर हजारो पहरे होते है। हँसती “आँखों” में भी ,”जख्म” गहरे होते है, जिनसे अक्सर “रूठ” जाते है हम, असल में उनसे ही, रिश्ते ज्यादा “गहरे” होते है।