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- "भाग्य बारिश का पानी है और परिश्रम कुंए का जल।" बारिश में नहाना आसान तो है लेकिन रोज नहाने के लिए हम बारिश के सहारे नहीं रह सकते। इसी प्रकार भाग्य से कभी-कभी चीजे आसानी से मिल जाती है किन्तु हमेशा भाग्य के भरोसे नहीं जी सकते।
- प्रकृति ने सिर्फ दो ही रास्ते दिए हैं! "या तो देकर जाएं या, फिर.. छोड़कर जाएं"! साथ ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है! अतःकुछ ऐसा छोड़कर जाए कि हमेशा लोगो कि यादो में बने रहे।
- हमे जो मिला है, हमारे भाग्य से ज्यादा मिला है यदि आपकी पाँव में जूते नहीं हैं तो अफसोस मत कीजिये दुनियां में तो कई लोगों के पास पाँव ही नहीं है।
“मेहनत का फल” और “समस्या का हल” देर से ही सही पर जरूर मिलता है। जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने मे है, वो किसी बड़े की परछाई बनने मे नही है।