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जो चाहा वह मिल जाना सफलता है। जो मिला है उसको चाहना प्रसन्नता है।
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जैसे जैसे आपका नाम ऊंचा होता है, वैसे वैसे शांत रहना सीखिए क्योंकि। आवाज हमेशा सिक्के ही करते है, नोटों को कभी बजते नहीं देखा।
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आप अकेले बोल तो सकते है परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।