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"अच्छे लोग" बहुत ही सस्ते होते हैं। बस मीठा बोलो और खरीद लों ! शायद इसीलिए लोग उनकी "कीमत" नहीं समझते।
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ। जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे, चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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दिमाग कचरे का डब्बा नही, जिसमे आप, क्रोध, लोभ, मोह, अभिमान, और जलन रखे, दिमाग एक खजाना है जिसमे आप, प्यार, सम्मान, ज्ञान, विज्ञान, मानवता, दया, जैसी बहुमूल्य चीजे रख सकते है। याद रखिये असफलता अनाथ होती है, और सफलता के रिश्तेदार अनेक होते हैं। जहाँ आप कुछ नहीं कर सकते। वहाँ भी एक चीज जरूर कीजिए। "कोशिश "
हारे हुए की सलाह,जीते हुए का अनुभव और खुद का दिमाग इंसान को कभी हारने नही देता।