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“अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं हैं, जितना की सीखने की इच्छा ना रखना।”
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स्वयं की क्षमताओं पर, प्रयासों पर और स्वयं पर भरोसा रखो। दुनिया की कोई भी चीज ऐसी नहीं जो मनुष्य के प्रयासों से बड़ी हो।
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पुण्य किसी को दगा नहीं देता और पाप किसी का सगा नहीं होता जो कर्म को समझता है उसे धर्म को समझने की जरूरत ही नहीं संपत्ति के उत्तराधिकारी कोई भी या एक से ज्यादा हो सकते है लेकिन कर्मों के उत्तराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है l
दुःख और तकलीफ़ “भगवान” की बनाई गई वह प्रयोगशाला है। जहाँ आपकी काबिलियत और आत्मविश्वास को परखा जाता है।