जो बदला जा सके उसे “बदलिये”, जो बदला ना जा सके उसे “स्वीकारिये”, जो स्वीकारा न जा सके उससे दूर हो जाइये, लेकिन खुद को “खुश” रखिये क्योंकि वह भी एक बड़ी “जिम्मेदारी” है। “ढोंग” की जिंदगी से “ढंग” की जिंदगी कहीं “बेहतर” है।
“सलाह के सौ शब्दो से ज्यादा” अनुभव की एक “ठोकर” इंसान को “मजबूत” बनाती है कुछ बातें “समझाने” पर नहीं बल्की “खुद” पर “बीत” जाने पर ही “समझ” में आती हैं।
“हमारे शरीर की रचना इस प्रकार है कि ना तो हम, अपनी पीठ थपथपा सकते है और ना ही स्वयं, को लात मार सकते इसलिए हमारे जीवन में मित्रों का होना जरुरी हैं।
मन की शांति और तनाव रहित जीवन के लिए छोटी छोटी अड़चनों को नज़र अंदाज़ करना सीखें। दूसरों की उम्मीदों और विचारों के बजाय अपनी दृष्टि और उद्देश्य के अनुसार जीवन जिएं। हमारे आलस्य की सज़ा सिर्फ हमारी असफलता नहीं है। दूसरों की सफलता भी है। कहते हैं: फूल कितना भी सुंदर हो, तारीफ खुशबू से होती है। इंसान कितना भी बड़ा हो, कद्र उसके गुणों की होती हैं। याद रखें; सब कुछ सीखना ही ज्ञान नहीं है, कुछ बातों को नज़र अंदाज़ करना भी ज्ञान है।
हमारा तन “खेत” है, मन, वचन, कर्म “किसान” है, पाप और पुण्य दो बीज है, अब बोना क्या है ये हमारे ऊपर निर्भर है।
” जीवन एक “प्रतिध्वनि” है। यहाँ सब कुछ वापस लौटकर आ जाता है, अच्छा, बुरा, झूठ, सच। अतः दुनिया को आप सबसे अच्छा देने का प्रयास करें और निश्चित ही सबसे अच्छा आपके पास वापस आएगा।“
“जिन्दगी गमले के पौधे की तरह मत बनाओ की थोड़ी सी प्रतिकुलता की धूप लगी और मुरझा जाए, जिन्दगी को जंगल के पेड़ की तरह बनाओ जो हर परिस्थिति में भी मस्ती से झुमता रहे।.
“हमेशा खुश रहने के दो मंत्र: *एक आप मेरे अनुसार हो और दुसरा मेरी सोच मेरे अनुसार हो, दोनो मै से कोई भी हो मै खुश रहुगा, जब मेरी सोच मेरे अनुसार नही चल रही है, मै चाहुगा कि आप मेरे अनुसार हो अब अगर आप मेरे अनुसार नही हो तो मै चाहता हु मेरी सोच मेरे अनुसार हो दोनो मे से एक को तो करना ही पडे़गा अगर खुश रहना हेै तो गाठों को खत्म करना है तो।”
“किसी को धोखा देकर ये मत सोचो की वो कितना बेवकूफ है , ये सोचो की उसे तुम पर कितना भरोसा था।”
“समस्या आने पर न्याय नहीं समाधान होना चाहिए क्योंकि न्याय में एक घर दीप जलते है और दुसरे के घर अंधेरा होता है।मगर समाधान में दोनो के घर दीप जलते है ।”
“जीवन में आधा दु:ख गलत लोगो से उम्मीद रखने से आता है और बाकी का आधा दु:ख सच्चे लोगों पर शक करने से आता है।”
बुद्धि सब के पास है, चालाकी करनी या ईमानदारी, वो आपके संस्कारों पर निर्भर करता हैं। चालाकी चार दिन चमकती है और ईमानदारी जिंदगी भर की निकटता बनाए रखती हैं।
विचारों की खूबसूरती कही से भी मिले चुरा लो, “क्योंकि” चेहरे की खूबसूरती तो उमर के साथ बदल जाती है। मगर विचारों की खूबसूरती हमेशा दिलो मे अमर रहती है।
कोई “हालात” को नहीं समझता, तो कोई “जज़्बात” को नहीं समझता। ये तो बस अपनी अपनी “समझ” है. कोई “कोरा कागज़” भी पढ़ लेता है, तो कोई पूरी “किताब” नहीं समझता।
रिश्ते प्याज की तरह होते है जिसमे विश्वास और परवाह की कई पर्ते होती है। जब जब कोई अपना इन्हें काटता है तो आंखों में आंसू स्वतः ही आ जाते है।
“यदि भाग्य में परिवर्तन लाना चाहते हैं तो विचारों में परिवर्तन लाना सीखिए” क्योंकि आपके विचार आपके कर्म बनेंगे और आपके कर्म ही आपका भाग्य।
ढूंढने पर आपको वो ही मिलेंगे जो खो गए थे, वो इंसान कभी नही मिलेंगे जो बदल गए है। तो फिर साझेदारी करो तो किसी के दर्द की करो। क्योंकि खुशियों के तो दावेदार बहुत हैं जिंदगी। जो “शेष” बची है, उसे ही “विशेष” बनाइए।
ह्रदय से अच्छे लोग बुद्धिमान होने के बाद भी धोखा खा जाते है, क्योकि वो दूसरों को भी ह्रदय से अच्छे होने का विश्वास कर बैठते है।
ईश्वर की नज़र, सभी पर बराबर है बस नसीबों और कर्मो, की चादर छोटी-बड़ी है जीत निश्चित हो तो अर्जुन कोई भी बन सकता है परन्तु जब मृत्यु निश्चित हो तब अभिमन्यु बनने के लिए साहस चाहिये।
जीवन चाय बनाने जैसा है। सबसे पहले अपने अहम् को उबालिये। अपनी चिंताओं को भाप बना कर उडा दीजिये। अपने दुखों को शक़्कर की तरह घुल जाने दीजिये। अपनी गलतियों को छान लीजिये। अब खुशियों का स्वाद लीजिये ।
प्रशंसा में छुपा झूठ, और आलोचना में छुपा सच, जिसने जान लिया, समझो उसने अच्छे और बुरे को पहचान लिया।
कठिन परिश्रम से सफलता मिलती है, आलस्य से पराजय और अहंकार से कठिनाइयाँ ही मिलती है अहंकार में डूबे इंसान को न तो अपनी गलतियां दिखाई देती हैं, और न ही कोई बात अच्छी लगती है।
जिस “मनुष्य” के “हृदय” में सच्ची ‘मानवता” होगी उसकी सोच हमेशा यही होगी कि मुझे मिला हुआ “दुःख” किसी को ना मिले और मुझे मिला हुआ “सुख” सबको मिले।
जन्म के समय नाम नही होता है, मात्र सांसे होती है। मृत्यु के समय नाम होता है, पर सांसे नही होती है। इन्हीं सांसों और नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते है।
बुद्धिमान” कौन है: जो सबसे कुछ “सीख” लेता है, “शक्तिशाली” कौन है: जिसका अपनी “इच्छाओं” पर नियंत्रण है, “सम्मानित” कौन है: जो दूसरों का “सम्मान” करता है, और “धनवान” कौन है: जो अपने पास है, उससे ही “प्रसन्न” है।
एक गलती आपका “अनुभव” बढ़ा देती है और “अनुभव” आपकी गलतियां कम कर देता है..! “ज़िन्दगी” में अगर कोई सबसे सही रास्ता दिखाने वाला है तो वो है..केवल “आपका अनुभव”।
किसी को गलत समझने के पहले एक बार उसके हालात समझने कि कोशिश जरूर करो हम सही हो सकते है लेकिन मात्र हमारे सही हो ने से सामने वाला गलत नहीं हो सकता।
“गलती” हो जाए तो उसे “स्वीकारना” सीखो आपका स्वीकारना ही आपको दूसरों की “नजरों” में “क्षमा” का “अधिकारी” बना देगा भूल होना “प्रकृति” है मान लेना “संस्कृति” है सुधार लेना “प्रगति” है।
जिन्दगी एक परीक्षा है, काफी लोग इसमे फेल हो जाते हैं क्योंकि, वो दूसरों की नकल करते हैं, वो ये नहीं समझ पाते कि सबके पेपर अलग – अलग होते हैं।।
जो सीखना छोड़ देते है वे बूढ़े हो जाते है। चाहे वह २५ के हो या ७५ के। जो सीखते रहते है वे सदा जवान रहते है। अपने दिमाग को हमेशा युवा बनाए रखें।
अपनी मंजिल का रास्ता दूसरों से पूछोगे तो भटक जाओगे क्योंकि आपकी मंजिल की अहमियत जितनी आप जानते हो उतनी और कोई नहीं जानता ।।
मौन और मुस्कान दोनों का इस्तेमाल कीजिए। मौन रक्षा कवच है तो मुस्कान स्वागत -द्वार। मौन से जहाँ कई मुसीबतों को पास फटकने से रोका जा सकता है तो मुस्कान से कई मसलों का हल निकाला जा सकता है l
गिले-शिकवों का भी कोई अंत नहीं साहिब पत्थरों को शिकायत ये कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम और पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते।
हमारी वाणी,हमारा व्यवहार और हमारे विचार ये सब हमारे अपने ही उत्पाद हैं। इसलिए इनकी गुणवत्ता जितनी ऊँची होगी उतना अधिक मान मिलेगा। अक्सर जमाना यह सोचता है, कि मजबूत इन्सान कभी टूटता क्यों नहीं। लेकिन हकिकत यह है कि टूटने के बाद ही इन्सान इतना मजबूत बनता है॥
एक कागज का टुकड़ा गवर्नर के हस्ताक्षर से नोट बन जाता है, जिसे तोड़ने, मरोडने”, गंदा होने एवँ जज॔र होने से भी उसकी कीमत कम नहीं होती आप भी ईश्वर के हस्ताक्षर है, जब तक आप ना चाहे
आपकी कीमत कम नहीं हो सकती, आप अनमोल है, अपनी कीमत पहचानिये।
“बहस” और “बातचीत” में एक बड़ा फर्क “बहस” सिर्फ़ यह सिद्ध करती है, कि “कौन सही है” जबकि” *बातचीत यह तय करती है कि “क्या सही है”॥
जीवन उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जो इसका आनंद ले रहे हैं उन लोगों के लिए मुश्किल है जो इसका विश्लेषण कर रहे है।
सरल रहो ताकि सब तुमसे मिल सकें, तरल रहो ताकि तुम सबमे घुल सको, किसी ने क्या खुब कहा है साहब बहुत ज्यादा परखने से, बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते भी टुट जाते है
खूबसूरत है वो हाथ जो मुश्किल के वक़्त किसी का सहारा बन जाये खूबसूरत है वो जज्बात जो दूसरों की भावनाओं को समझ जाये खूबसूरत है वो आँखे जिनमे किसी के खूबसूरत ख्वाब समां जाये खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुःख मे शामिल हो जाये।
इच्छायें पूरी नही होती है, तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छायें पूरी होती है, तो लोभ बढ़ता है, जीवन की हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है।
“जीवन का सुख” पछतावा अतीत नही बदल सकता और चिंता भविष्य नही संवार सकती। इसलिए वर्तमान का आनन्द लेना ही जीवन का सच्चा सुख है।।
दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है ; और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है ; जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं खुद को समझ लीजिए सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
हृदय से जो दिया जा सकता है, वह हाथ से नहीं। और मौन से जो कहा जा सकता है, वो शब्दों से नहीं। संबंधों को सिर्फ समझ की ही नहीं, समय की भी जरूरत होती है।
जीवन में केवल दो ही वास्तविक धन है समय और सांसे और दोनों ही निश्चित और सीमित हैं समझदारी से खर्च करें बाकी सब “धूल”है या तो आपकी “भूल” है!! श्रेष्ठता का आधार ऊँचे आसन पर नहीं बल्कि ऊँची सोच पर निर्भर करता हैं।
गलती करना सफलता का पहला कदम नहीं है बल्कि की गई गलती को सुधारना सफलता का पहला कदम है! परिस्थितियों के अनुसार सब चीज सुंदर हैं। जो स्कूल की घंटी सुबह के समय बेकार लगती है, वही छुट्टी के समय बहुत अच्छी लगती है।
वक्त भी बड़े ही कमाल का होता हैं सबसे इंतज़ार करवा लेता हैं लेकिन ख़ुद कभी किसी का इंतज़ार नहीं करता हैं
”स्वयं को माचिस की तीली न बनाएँ, जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे, स्वयं को वह शांत सरोवर बनाए, जिसमें कोई अंगारा भी फैंके तो, वह खुद ही बुझ जाए।।”
विचारों की खूबसूरती कही से भी मिले चुरा लो, क्योंकि” चेहरे की खूबसूरती तो उमर के साथ बदल जाती है। मगर विचारों की खूबसूरती हमेशा दिलो मे अमर रहती है।
ये दबदबा, ये हुकूमत, ये नशा,ये दौलतें सब किरायेदार हैं, घर बदलते रहते हैं मुस्कुराहट, अपनापन, स्वभाव ये सब अपने हैं जनाब इनसे ही हम सब फलते फूलते हैं।
घड़ी की सुईयों की तरह जीवन में अपने रिश्तों को बनाए रखें कोई फर्क नहीं पड़ता कि, कोई तेज है और कोई धीमा, मायने रखता है जुडे़ रहना।
जिन्दगी एक परीक्षा है, काफी लोग इसमे फेल हो जाते हैं क्योंकि, वो दूसरों की नकल करते हैं, वो ये नहीं समझ पाते कि सबके पेपर अलग – अलग होते हैं।
जो सीखना छोड़ देते है वे बूढ़े हो जाते है। चाहे वह २५ के हो या ७५ के। जो सीखते रहते है वे सदा जवान रहते है। अपने दिमाग को हमेशा युवा बनाए रखें।
आज का मनुष्य खाने के लिये इतना जी नहीं पा रहा है जितना कमाने के लिये हर पल *मरा जा रहा है। सदा याद रखें, हम शरीर में विद्यमान आत्मा हैं। जितना शरीर के लिये कमाना जरूरी है उतना ही आत्मा के लिये अर्जित करना भी अनिवार्य है।
एक नफरत है जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है और एक प्रेम है जिसका यकीन दिलाने के लिए सारी जिंदगी भी कम पड़ जाती है।
संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते, संबंधों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है तभी रिश्ते टिक पाते है।
सच्चे सम्बन्ध ही वास्तविक पूँजी है।
अपने जीवन की तुलना, किसी के साथ नहीं करनी चाहिए सूर्य और चंद्रमा में, कोई तुलना नहीं जब जिसका वक्त आता है,वो चमकता है।
शरीर को आचंगा रखो, दिमाग को ठंड़ा, जेब को गरम, आँखों में शरम, जुबान को नरम, दिल में रहम, क्रोध पर लगाम, व्यवहार को साफ, और होंठों पर मुस्कान रखो, तो फिर स्वर्ग में जाने की क्या जरूरत, यहीं स्वर्ग है करके देखो आसान है।।
लोग डूबते हैं तो समुंदर को दोष देते हैं, मंजिल ना मिले तो किस्मत को दोष देते हैं, खुद तो सम्भल कर चलते नहीं, जब लगती है ठोकर तब पत्थर को दोष देते हैं। जमाना क्या कहेगा ये मत सोचो क्योंकि ज़माना बहुत अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं।
जरूरी नहीं कि प्रार्थना हो और उसमें ईश्वर का नाम आये, जीवन स्वयं एक प्रार्थना है, बस शर्त है कि वो किसी के काम आये।
ज्ञान तीन तरह से मिल सकता है मनन से – जो सब से श्रेष्ठ होता है अनुसरण से – जो सरल होता है अनुभव से – जो सब से कड़वा होता है।
“कभी अकेला चलना पड़े तो डरिये मत, क्योंकि श्मशान, शिखर, और सिंहासन,पर इंसान अकेला ही होता हैं”
“दो विचार आपके जीवन में सफलता का फैसला करते हैं एक जब जीवन में आपके पास कुछ भी नही है तब आप जिस तरह से उस परिस्थिति को “मैनेज” करते है और जब आपके पास सब कुछ होता है तो आप कैसा व्यवहार करते है
“नम्रता और शालीनता को अपनी पहचान बनाए मन तृप्त है तो एक बूँद भी बरसात है मन अतृप्त है तो समन्दर की भी क्या बिसात है”
“जिन्दगी जब कठिन समय में नाच नचाती है तो विडम्बना यह होती है कि ढोलक बजाने वाले आपके अपने जान पहचान वाले ही होते हैं।
जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो। प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखो। क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखो। भय बहुत भयानक है, उसका सामना करो। स्मृतियां बहुत सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखो।
अगर आपके पास मन की शांति है तो समझ लेना आपसे अधिक भाग्यशाली कोई नहीं है!
1 और 1 मिल के 2 हो जाये- यह गणित है, 1 और 1 मिल के 11 बन जाये- यह संगठन है, 1 और 1 मिल के 1 ही रह जाये- यह प्रेम है, 1 और 1 मिल कर शून्य हो जाये- ये अध्यात्म है, जब 1 को 1 से मिलने ही न दिया जाए- यह कूटनीति है, और जब 1 को 1 के विरुद्ध खड़ा कर दिया जाए- यह “राजनीति” है।
” कदम ऐसा चलो, कि निशान बन जाये। काम ऐसा करो, कि पहचान बन जाये। यहाँ जिन्दगी तो, सभी जी लेते हैं, मगर जिन्दगी जीओ तो ऐसी, कि सबके लिए मिसाल बन जाये॥
अपनी प्रतिष्ठा का बहुत अच्छे से ख्याल रखे,क्योंकि एक यही है जिसकी उम्र आप से ज्यादा है।
स्वयं को अच्छा बना लीजियेगा, एक बुरा व्यक्ति कम हो जायेगा!
किरण चाहे सूर्य की हों या आशा की जीवन के सभी अंधकार को मिटा देती हैं।
बुरे समय में दिलासा देने वाला अजनबी ही क्यों न हो दिल में उतर जाता है और बुरे समय में किनारा करने वाला अपना ही क्यों न हो दिल से उतर जाता है।
दुआऐ जमा करते रहिये सुना है जायदाद,शौहरत और घमंड साथ नहीं जाते “सम्पत्ति के उत्तराधिकारी अनेक लोग हो सकते हैं, लेकिन कर्मों के उत्तराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते हैं। ज्ञान किसी भी उम्र में आ सकता है, मगर अनुभव आज भी उम्र का इंतजार करता है।
मदद करना सीखिए फायदे के बगैर, मिलना जुलना सीखिए मतलब के बगैर, जिंदगी जीना सीखिए दिखावे के बगैर, मुस्कुराना सीखिए सेल्फी के बगैर और प्रभु पर विश्वास रखिये किसी शंका के बगैर।
अकेले ही सफ़र करना पड़ता हैं इस जहां में कामयाबी के लिए, क्योंकि काफिला, दोस्त और दुश्मन, यह सब अक्सर कामयाबी के बाद ही बनते हैं।
ख़ुद मझधार में होकर भी जो औरों का साहिल होता है, जिम्मेदारी उसी को मिलती है जो निभाने के क़ाबिल होता है। मैं चलता गया, रास्ते मिलते गये। राह के काँटे फूल बनकर खिलते गये। ये जादू नहीं, आशीर्वाद है मेरे अपनों का। वरना उसी राह पर लाखों फिसलते गये।
“समय की कीमत अखबार से पूछो जो सुबह चाय के साथ होता है वही रात को रद्दी हो जाता है” ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो उसे वक्त पर हासिल करो, क्योंकि जिन्दगी मौके कम और अफसोस ज्यादा देती है।
समय और जिन्दगी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं, जिन्दगी, समय का सदुपयोग सिखाती है और समय हमें जिन्दगी की कीमत सिखाता है।
“अच्छा बनना’ और ‘अच्छा होना’ में ज़मीन और आसमान का फ़र्क है, लोग ‘अच्छा’ बनने के लिये न जाने, कितने अच्छे लोगोँ की ज़िन्दगी से खेल जाते हैँ, और जो अच्छे होते है वो हज़ारों की जिंदगियां बना जाते हैँ।”
मुस्कुराहट भी एक कमाल की “पहेली” है जितना बताती है, उससे कहीं ज्यादा छुपाती हैं! मुस्कुरा कर देखने में, और देख कर मुस्कुराने में बड़ा फर्क है, कभी नतीजे बदल जाते है और कभी-कभी रिश्ते भी।
” जीवन एक “प्रतिध्वनि” है। यहाँ सब कुछ वापस लौटकर आ जाता है, अच्छा, बुरा, झूठ, सच। अतः दुनिया को आप सबसे अच्छा देने का प्रयास करें और निश्चित ही सबसे अच्छा आपके पास वापस आएगा”
जब भी देखता हूं किसी को “हंसते” हुए तो “यकीन” आ जाता है कि “खुशियों” का ताल्लुक “दौलत” से नही होता जिसका मन “मस्त” है उसके पास “समस्त” है।
किसी को गलत समझने के पहले एक बार उसके हालात समझने कि कोशिश जरूर करो हम सही हो सकते है लेकिन मात्र हमारे सही हो ने से सामने वाला गलत नहीं हो सकता।
एक नफ़रत है जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है और एक प्रेम है जिसका यकीन दिलाने के लिए सारी ज़िंदगी भी कम पड़ जाती है।
बुद्धि सब के पास है, चालाकी करनी या ईमानदारी, वो आपके संस्कारों पर निर्भर करती हैं। चालाकी चार दिन चमकती है और ईमानदारी जिंदगी भर।
दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है ; और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है, जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना। दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं खुद को समझ लीजिए सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
जिस शरीर के साथ हम पैदा हुए, उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है। परंतु जिस चरित्र, ब्यक्तित्व और किरदार के साथ हम बिदा होंगे, उसके लिए हम खुद जिम्मेदार है।
दूरियाँ धुंए की तरह है जितनी बढाएंगे उतनी घुटन होगी। नजदीकियाँ धुंध की तरह है जितना पास आएंगे उतनी राहत होगी।
“कदर” होती हैं “इंसान” की “जरूरत” पड़ने पर ही, बिना ज़रूरत के तो “हीरे” भी “तिज़ोरी” में रहते हैं। रिश्तों को “जेबो” में नहीं,, हुज़ूर “दिलों” में रखिए क्योंकि “वक़्त” से “शातिर”,, कोई “जेबकतरा” नहीं होता।
“आनन्द” उनको नही मिलता जो अपने इरादे से जिंदगी जिया करते है। “आनन्द” उनको मिलता है, जो दूसरों के “आनन्द” के लिए अपने इरादे बदल दिया करते है।
“दूसरों को समझना बुद्धिमानी है, खुद को समझना असली ज्ञान है। दूसरों को काबू करना बल है, और खुद को काबू करना वास्तविक शक्ति है।” जिसने खुद को बदल लिया वो जीत गया।”
तनाव से केवल “समस्या”, ही पैदा होती है, समाधान खोजना हो तो “मुस्कुराना” ही पड़ेगा l
रास्ते” पर “गति” की सीमा है, “बैंक” में “पैसों” की सीमा है, “परीक्षा” में “समय” की सीमा है, परन्तु। हमारे “सोच” की कोई सीमा नहीं, इसलिए “सदा” “श्रेष्ठ” “सोचें” और “श्रेष्ठ” पांए।
समय की कीमत पेपर से पूछो। जो सुबह चाय के साथ होता है। वही रात को रद्दी हो जाता है जिंदगी में जो भी हासिल करना हो। उसे वक्त पर हासिल करो, क्योंकि जिंदगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है।
मुस्कुराहट भी एक कमाल की “ पहेली ” है। जितना बताती है, उससे कहीं ज्यादा छुपाती हैं। मुस्कुरा कर देखने में, और देख कर मुस्कुराने में बड़ा फर्क है। कभी नतीजे बदल जाते है और कभी-कभी रिश्ते भी।
“घर तब तक नही टूटता जब तक फैसला बड़ो के हाथ में होता है, जब घर का हर कोई बड़ा बनने लगे तो फिर घर टूटने में देर नहीं लगती!”
“किसी के लिए अपना सब कुछ कुबा॔न कर देना इतना मुश्किल नहीं है लेकिन उस इंसान को खोज पाना मुश्किल है जो आपकी कुबा॔नी का सम्मान करे।”
“भगवान कहते है (अपनी आत्मा) कि किसी को दु:ख देकर मुझसे अपने सुख की इच्छा मत करना और अगर तुम किसी को एक पल का भी सुख देते हो तो अपने दु:ख की चिंता मत करना।”
“जिसके पास जो चीज अधिक होती है वह वही बाटता है, जिसके पास ज्ञान है वह ज्ञान, जिसके पास धन है वह धन, जिसके पास लोभ, लालच, निंदा, ईष्या॔, है वह यही बाते। जिसके पास प्यार है वह प्यार।”
“ईशवर पर भरोसा रख अपने गमों की नुमाईश न कर, जो तेरा है वो तेरे दर पर चल के आयेगा रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश मत रख।”
यदि हम उस व्यक्ति को ढूंढ रहे हैं, जो हमारी जिंदगी बदल सकता है तो हमें आईने में देखना चाहिए क्योंकि खुद से ज्यादा हमे और कोई नही बदल सकता।
व्यर्थ बोलने की अपेक्षा मौन रहना यह वाणी की प्रथम विशेषता है सत्य बोलना यह वाणी की दूसरी विशेषता है प्रिय बोलना यह वाणी की तीसरी विशेषता है और धर्मगत बोलना यह वाणी की चौथी विशेषता है यह चारों ही क्रमशः एक दूसरे से श्रेष्ठ है।
सही कर्म वह नहीं है जिसके परिणाम हमेशा सही हो। सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो।
मोतियों की आदत है बिखर जाने की ये तो बस धागे की ज़िद है कि, सबको पिरोये रखना है। माला की तारीफ तो सभी करते हैं क्योंकि मोती सबको दिखाई देता है। काबिले तारीफ़ तो धागा हैं जनाब जिसने सबको जोड़ के रखा है।
दोनों बातें विश्वास की हैं: कोई ईश्वर के लिये सब कुछ छोड़ देता है और कोई ईश्वर पर सब कुछ छोड़ देता है।
दुनिया के लाखों पेड़ गिलहरियों की देन हैं। वे खुराक के लिए बीज जमीन में छुपा देती हैऔर फिर जगह भूल जाती है। अच्छे कर्म करे और भूल जाये! समय आने पर फलेंगे जरूर।
सही समय की प्रतीक्षा करके स्वयं को मूर्ख मत बनाइए, क्योंकि सही समय तभी आएगा जब उसे सही बनाने के लिए आप प्रयास करेंगे।
इंसान की आत्मा उसके दिल में नहीं, बल्कि इंसानियत में बसती हैं। कहते हैं:- आग का धर्म जलना है, फूल का धर्म खिलना है, काँटे का धर्म गड़ना है, पानी का धर्म प्यास बुझाना है। जब दुनिया की हर चीज का एक ही धर्म है, तो फिर सोचिए इंसान होकर इंसान का क्या धर्म बनता है? सारी दुनिया का एक स्वर में एक ही जवाब निकलेगा: इंसान होकर इंसान के काम आना। गुरु जी कहते हैं:- हाथ से फेंका गया पत्थर 100 फीट दूर जाकर गिरता है, बंदूक से निकली गोली 1000 फ़ीट दूर तक पहुंचती हैं, तोप से दागा गया गोला 5000 फ़ीट दूरी तक पहुंचता है, पर एक गरीब को खिलाई गई रोटी सीधी स्वर्ग तक पहुंचा करती हैं।
किसी से सिर्फ इतना ही नाराज होना कि उसे आपकी कमी का एहसास हो जाये लेकिन कभी इतना भी नाराज मत होना कि वो आपको याद किये बिना ही जीना सीख जाए।
“चापलूस” एवं “आलोचक” में केवल इतना अंतर है कि चापलूस अच्छा बनकर बुरा करता है और आलोचक बुरा बनकर अच्छा करता है।
अपनी जिंदगी के किसी भी दिन को मत कोसना, क्योंकि अच्छा दिन खुशियाँ लाता है। और बुरा दिन अनुभव, “एक सफल जिंदगी के लिए दोनों जरूरी है।
“चापलूस” एवं “आलोचक” में केवल इतना अंतर है कि चापलूस अच्छा बनकर बुरा करता है और आलोचक बुरा बनकर अच्छा करता है।
“बनावट” “सजावट” और “दिखावट सच मानिये, इन्हीं तीन चीजो के कारण लोगों में “गिरावट” आयी है। समय सब कुछ बदल देता है। जरुरत सिर्फ सब्र की है, जीवन में क्या करना है ये रामायण सिखाती है, जीवन में क्या नहीं करना है, ये महाभारत सिखाती है और जीवन कैसे जीना है ये गीता सिखाती है।
आपकी कीमत तब होती है, जब आपकी जरूरत होती है।
ज़िंदगी साइकल चलाने के जैसी है, बैलेंस बनाए रखने के लिए आपको चलते रहना होगा।
“दिल तक पहुँचने का रास्ता, वफ़ा के समंदर से होकर गुजरता है। हर लहर पे नाव बदलने वाले, मंजिल तक नही पहुँचा करते।”
बुद्धिमान” कौन है: जो सबसे कुछ “सीख” लेता है, “शक्तिशाली” कौन है: जिसका अपनी “इच्छाओं” पर नियंत्रण है, “सम्मानित” कौन है: जो दूसरों का “सम्मान” करता है, और “धनवान” कौन है: जो अपने पास है, उससे ही “प्रसन्न” है।
एक गलती आपका “अनुभव” बढ़ा देती है और “अनुभव” आपकी गलतियां कम कर देता है। “ज़िन्दगी” में अगर कोई सबसे सही रास्ता दिखाने वाला है तो वो है..केवल “आपका अनुभव।“
स्मरण के पन्नो से भरा है जीवन, सुख और दुःख की पहेली है जीवन कभी अकेले बैठ कर, चिंतन करके तो देखो, संबंधों के बगैर अधूरा है जीवन।
आप कितने भी अच्छे हो चाहे, आप कितना भी अच्छा काम कर लो, पर एक बात हमेशा याद रखना। आपको जो गलत समझता है, वह अंत तक आपको गलत ही समझेगा। क्योकि नजर का ऑपरेशन किया जा सकता है पर नजरिये का नही।
सही मौके पर खड़े होकर बोलना,“एक साहस है” उसी प्रकार खामोशी से बैठकर दूसरों को सुनना भी, “एक साहस है”।
मन का शांत रहना ‘भाग्य’ मन का वश में रहना ‘सौभाग्य” मन से किसी को याद करना ‘अहोभाग्य’ और मन से कोई याद करे वो है परम सौभाग्य। दूसरों के दिलों में आप जो स्थान रखते है, वही आपकी वास्तविक दौलत है।
जो “आपके” हैं,वो आपको देखकर “व्यस्त” नहीं हो सकते और जो आपको देखकर “व्यस्त” हो जायें, वो “आपके” हो ही नहीं सकते।
शब्द और दिमाग से, दुनिया जीती जाती है मगर दिल तो आज भी दिल से ही जीता जाता है, और ये ही रिश्तों की कामयाबी का रहस्य है।
वक़्त के भी अजीब किस्से हैं किसी का कटता नहीं, और किसी के पास होता नहीं वक़्त दिखाई नहीं देता है, पर बहुत कुछ दिखा देता है अपनापन तो हर कोई दिखाता है, पर अपना कौन है ये वक़्त दिखाता है।
“जिंदगी ऐसी ना जियो “कि लोग ‘फरियाद’ करे। “बल्की ऐसी जियो “कि लोग तुम्हे ‘फिर-याद’ करे।
सफल होते ही दुनिया आपके भीतर अनेक खूबियां ढूँढ लेती है, और असफल होते ही हज़ार कमियाँ। लेकिन संघर्ष के “अंधेरे” से अपने हौंसले “कमजोर” न होने दें क्योंकि वक्त का “ग्रहण” तो “सूरज” और “चांद” भी झेलते हैं।
दूध” से भरे मिट्टी के बर्तन का दर्जा “विष” से भरे सोने के बर्तन से ऊंचा होता है, इसी प्रकार मनुष्य की बाहरी सुंदरता से अधिक अंदरूनी “संस्कारो” का मूल्य अधिक होता है !!
“तारीफ़” करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे। मगर “फ़िक्र” करने वालो को “आपको” ही पहचानना होगा।
“सच” वह दौलत है जिसे पहले खर्च करो और ज़िंदगी भर आनंद करो “झूठ” वह क़र्ज़ है जिससे क्षणिक सुख पाओ और ज़िंदगी भर चुकाते रहो।
“बुद्धिमान” कौन है: जो सबसे कुछ “सीख” लेता है, “शक्तिशाली” कौन है: जिसका अपनी “इच्छाओं” पर नियंत्रण है, “सम्मानित” कौन है: जो दूसरों का “सम्मान” करता है, और “धनवान” कौन है: जो अपने पास है, उससे ही “प्रसन्न” है।
“संस्कार” और “संक्रमण” दोनों ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे फैलते है “संस्कार” जगत मे मानव सभ्यता की स्थापना करते है, जबकि “संक्रमण” बीमारी फैला कर मानव सभ्यता का विनाश करता है।
एक चाहत होती है अपनों के साथ जीने की, वरना पता तो हमें भी है कि इस दुनिया से जाना अकेले ही है!” मित्रता एवं रिश्तेदारी “सम्मान” की नही “भाव” की भूखी होती है बशर्तें लगाव “दिल” से होना चाहिए
“दिमाग” से नही कहा जाता है की एक “प्रणाम” कई “परिणाम” बदल देता है।
सुख और दुख में, कोई ज्यादा भेद नहीं जिसे मन स्वीकारे, वह सुख और जिसे ना स्वीकारे, वह दुख सारा खेल, हमारी स्वीकृति और अस्वीकृति का ही है।
दुनिया को हमारे ज्ञान से ज्यादा हँसमुख व्यवहार की ज़रूरत होती है हँसमुख व्यक्ति वह फुहार है जिसके छींटे हर दुःखी मन को राहत देते हैं !! अतः हस्ते और मुस्कराते रहिये।
सर्वश्रेष्ठ “संवाद” वही होता है जो “शब्दों” में सीमित और “अर्थों” में असीमित हो।
जीवन की सारी दौड़ केवल अतिरिक्त के लिए है। अतिरिक्त पैसा, अतिरिक्त पहचान अतिरिक्त शोहरत. अतिरिक्त प्रतिष्ठा! यदि यह अतिरिक्त पाने की लालसा ना हो तो जीवन एकदम सरल है।
शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है सुन्दर होते हैं व्यक्ति के कर्म, उसके विचार उसकी वाणी, उसका व्यवहार उसके संस्कार और उसका चरित्र जिसके जीवन में यह सब है वही इंसान दुनियां का सबसे सुंदर शख्स है।
लगता था जिन्दगी को बदलने में वक्त लगेगा। पर क्या पता था बदला हुआ वक्त जिन्दगी बदल देगा। हर तकलीफ से इंसान का दिल दुखता बहुत है, पर हर तकलीफ से इंसान सीखता भी बहुत है।
बार बार रफू करता रहता हूँ, जिन्दगी की जेब कम्बखत फिर भी, निकल जाते हैं खुशियों के कुछ लम्हें ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है ना तो किसी को गम चाहिए, ना ही किसी को कम चाहिए।
किसी को दिल में बसाना हो, तो दिल बड़ा कीजिए। और अगर किसी के दिल में बसना हो, तो स्वयं छोटे हो जाइए। प्रशंसा हृदय से, हस्तक्षेप बुद्धिमत्ता से और प्रतिक्रिया विवेक से करने में ही समझदारी है अन्यथा मौन ही उतम है।
पेड़ कभी भी फूलों के गिरने से परेशान नहीं होता है। वह सदैव नये फूलों के खिलने के निर्माण में व्यस्त रहता है। जो कुछ भी हमने खो दिया है वह जीवन नहीं है। हम अब क्या प्राप्त कर सकते हैं यही जीवन है।
अगर “स” से समस्या होती है, तो उसी “स” से समाधान भी होता है यह हम पर निर्भर करता है, कि हम कौन से “स” पर ज्यादा ध्यान देते है।
प्रेम से बढ़कर त्याग है। दौलत से बढ़कर मानवता है, परंतु सुंदर रिश्तों से बढ़कर इस दुनियाँ में कुछ भी नहीं है। जरूरी नहीं की मिठाई खिलाकर ही दूसरो का मुँह मीठा करे, आप मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियाँ दे सकते है। शब्दों से हीं लोगों कें दिलों पे राज़ किया जाता हैं चेहरे का क्या वो तों किसी भी हादसे में बदल सकता हैं।
भावनाओं को समझने वाला एक अनपढ़ आदमी दुनिया के सबसे पढ़े-लिखे आदमी से अच्छा होता है “चर्चा” और “आरोप” यह दो बातें, सिर्फ सफल व्यक्ति के भाग्य में होती है।
“बुरा” करने का विचार आए तो, कल” पर टालों “अच्छा” करने का विचार आए तो, “आज” ही कर डालो चलते रहने से “शरीर।” और चलाते रहने से “संबंध।” स्वस्थ रहते है l दोनों को स्वस्थ रखिये l
“सुधरना” और “बिगड़ना”, मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है न कि माहौल पर। “विभीषण”, रावण के राज्य में भी रहकर भी नही बिगड़ा और “कैकई”, राम के राज्य में रहकर भी नही सुधरी।
” छोटी सोच ” शंका को जन्म देती है और बड़ी सोच ” समाधान ” को “सुनना” सीख लो तो “सहना” सीख जाओगे, और “सहना” सीख लिया तो “रहना” सीख जाओगे।
“नदी” और “मनमुटाव” का उदगम बहुत छोटा होता हैं, किंतु जैसे जैसे ये आगे बढ़ते हैं, विशाल रूप धारण कर लेते हैं। कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करने पर एक “बहुमूल्य” संपत्ति विकसित होती हैं जिसका नाम है – “आत्मबल”
“रिश्ता” और “भरोसा” दोनो ही दोस्त हैं। “रिश्ता” रखो या ना रखो किंतु “भरोसा” जरूर रखना क्युं की जंहा “भरोसा” होता हे वंहा “रिश्ते” अपने आप बन जाते है।
एक बूंद सा जीवन है इंसान का, लेकिन अहंकार सागर से भी बड़ा है। ना बादशाह चलता है, ना इक्का चलता है। यह खेल है बस अपने अपने कर्मो का, यहाँ सिर्फ़ कर्मो का सिक्का चलता है।
योग्यताएँ कर्म से पैदा होती हैं, जन्म से हर व्यक्ति शून्य होता है। जब इंसान करवट लेता है तो दिशा बदल जाती है। और जब वक्त करवट लेता है तो दशा बदल जाती है।
अगर हमारा “ज़मीर”और “नीयत” साफ है, तो इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की कोई हमें अच्छा कहे या बुरा। हम सिर्फ और सिर्फ अपने “नीयत” से जाने जाएंगे, दूसरे की सोच से नहीं।
आज के समय में आप अपना सर्वश्रेष्ठ करें और वर्तमान का आनंद लें उसी में खुश रहें।
कोई भी मनुष्य किस बात को, किस प्रकार से समझता है। यह उसकी मानसिकता तय करती है। कोई दूसरों की थाली में से भी, छीन कर खाने में अपनी शान समझता है। तो कोई अपनी थाली में से दूसरों को, निवाले खिला कर संतुष्ट होता है। सारा खेल संस्कारों, समझ, और मानसिकता का है। लेकिन एक बात तो तयशुदा है कि छीन कर, खाने वालों का कभी पेट नहीं भरता। और बाँट कर खाने वाले, कभी भी भूखे नहीं रहते।
भाग्य बारिश का पानी है और परिश्रम कुंए का जल। बारिश में नहाना आसान तो है, लेकिन रोज नहाने के लिए हम बारिश के सहारे तो नहीं रह सकते। इसी प्रकार भाग्य से कभी-कभी चीजे आसानी से मिल जाती है, किन्तु हमेशा भाग्य के भरोसे नहीं जी सकते। कर्म ही असली भाग्य है।
” खूबी” और “खामी” दोनों होती हैं हर इंसान में, बस “फर्क” इतना सा है कि। जो “तराशता” है उसे “खूबी” नजर आती है, और जो “तलाशता” है उसे “खामी” नजर आती है।
मनमुटाव और नदी का उदगम बहुत छोटा होता है किंतु जैसे – जैसे ये आगे बढ़ते हैं, विशाल रूप धारण कर लेते हैं। इसलिए रिश्ते बरकरार रखने की, सिर्फ एक ही शर्त है। किसी की कमियां नहीं, अच्छाइयां देखें।
“तारीफ” की चाहत तो “नाकाम” लोगो की फितरत है, “काबिल” लोगो के तो “दुश्मन” भी कायल होते है मैं सब कुछ और तुम कुछ भी नही बस यही सोच हमें इंसान नहीं बनने देती सम्मान हमेशा समय का होता है, लेकिन मनुष्य उसे अपना समझ लेता है।
वक्त के साथ चलना कोई जरुरी नहीं सच के साथ चलिए। एक दिन वक्त आपके साथ चलेगा। बिता हुआ कल आपके दिमाग मे है और आने वाला कल आपके हाथ मे।
जब दर्द और कड़वी बोली, दोनों सहन होने लगे, तो समझ लेना की जीना आ गया। घमंड से अपना सिर ऊँचा न करें जीतने वाले भी अपना मेडल, सिर झुका के ही हासिल करते हैं।
चाहत से झोली में फ़ूल नही गिरते, शाखाओं को हिलाना पड़ता है l अंधेरे को कोसने से कुछ नही होता, एक दिया जलाना पड़ता है l और केवल सपनो से मंजिल नही मिलती, कर्म को भी अपना बनाना होता है l
ईश्वर कितनी सुन्दरता से हमारे जीवन में एक और दिन की वृद्धि करते रहते हैं। केवल इसलिए नहीं कि हमें इसकी जरूरत है बल्कि इसलिए कि किसी अन्य को भी प्रतिदिन आपकी जरूरत है।
जहाँ अपनो की याद न आए वो तन्हाई किस काम की, बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की, बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है, पर जहाँ से अपने ना दिखे वो ऊंचाई किस काम कीl
खुश रहने का एक सीधा सा मंत्र : उम्मीद अपने आप से ज्यादा रखें, किसी और से कम से कम रखें कौन क्या कर रहा है। कैसे कर रहा है क्यों कर रहा है। इससे आप जितना दूर रहेंगे, मन की शांति के उतने ही करीब रहेंगे।
“किसी रिश्ते में निखार, सिर्फ अच्छे समय में हाथ मिलाने से नहीं आता। बल्कि नाज़ुक समय में हाथ थामने से आता है। कुछ लोग “ज़िन्दगी” होते हैं, कुछ लोग “ज़िन्दगी” में होते हैं। कुछ लोगों से “ज़िन्दगी” होती है, “पर” कुछ “लोग होते हैं” तो “जिंदगी”होती है।
चित्र ही नहीं- चरित्र भी सुंदर होना चाहिए। भवन ही नहीं – भावना भी सुंदर होना चाहिए। साधन ही नहीं – साधना भी सुंदर होना चाहिए। द्रष्टि ही नहीं – द्रष्टिकोण भी सुंदर होना चाहिए।
खोजोगे तो हर मंजिल की राह मिल जाती है सोचोगे तो हर बात की वजह मिल जाती है जिंदगी इतनी भी मजबूर नहीं है जनाब जिगर से जियो तो मौत भी जीने की अदा बन जाती हैं।
यह कोई ज़रूरी तो नहीं कि हर बार शरीर की जांच में खून, कैल्सियम, विटामिन या अन्य ही घटता हो कभी “व्यक्तित्व” की भी रिपोर्ट करवा कर देखना चाहिए क्या पता दया, करुणा, मानवता, दोस्ती, व्यवहारिकता या इंसानियत भी घट रही हो।
अच्छे जीवन का आंकलन न धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलने, न अच्छे कपड़े पहनने और न ही ठाट-बाट वाली जीवन-शैली से होता है अच्छे जीवन का आंकलन तो कितने लोगों के चेहरे खिलते हैं जब वो आपका नाम सुनते हैं।
वक्त के साथ चलना कोई जरुरी नहीं सच के साथ चलिए। एक दिन वक्त आपके साथ चलेगा। बिता हुआ कल आपके दिमाग मे है और आने वाला कल आपके हाथ मे।
इन्सान उन चीजों से कम बीमार होता है, जो वो खाता है। ज्यादा बीमार वो उन चीजों से होता है, जो उसे अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। “कम सोचे, पर सही सोचे”।
लगता था जिन्दगी को बदलने में वक्त लगेगा पर क्या पता था बदला हुआ वक्त जिन्दगी बदल देगा हर तकलीफ से इंसान का ल दुखता बहुत है, पर हर तकलीफ से इंसान सीखता भी बहुत है।
इस तरह मुस्कुराने की आदत डालिये कि परिस्थिति भी आपको परेशान कर – कर के थक जाए और जाते जाते जिंदगी भी मुस्कुरा कर बोले आप से मिल कर खुशी हुई।
प्रेरणा लेनी है तो लहरों से लीजिए। इसलिए नहीं कि वे उठती हैं और गिर जाती हैं बल्कि इसलिए कि वे जब भी गिरती हैं नये जोश से फिर उठ जाती हैं।
सुगंध के बिना पुष्प तृप्ति के बिना प्राप्ति ध्येय के बिना कर्म ओर प्रसन्नता के बिना जीवन व्यर्थ है।
समय बहरा है किसी की नहीं सुनता लेकिन अंधा नहीं है देखता सब है आंखें खोलनी पड़ती है उजालों के लिए, केवल सूरज के निकलने से ही अंधेरा दूर नहीं होता है।
आदमी के “गुण” और “गुनाह” दोनो की कीमत होती है अंतर सिर्फ इतना है कि “गुण” की कीमत मिलती है और “गुनाह” की कीमत चुकानी पड़ती है।
“सही कर्म” वह नहीं है , जिसके “परिणाम” हमेशा सही हो “सही कर्म” वह है, जिसका “उद्देश्य” कभी गलत ना हो।
आवाज़ अख़रने लगे जिन्हें आपकी उन्हें खामोशियां तोहफ़े में दीजिए। मायने खो दे जहां आपकी मौजूदगी वहां से दूरियां बना लीजिए।
चन्द लम्हो की ज़िन्दगी हैं, चुटकी में फ़ना हो जाना है हसरते ना पाल ज़िन्दगी से, सब यही का यही रह जाना हैं।
तीखा गुस्सा,नमकीन आंसू और मिठी मुस्कान इन तीनों के स्वाद से बनी हैं एक रेसिपी जिसका नाम हैं ज़िंदगी मौन और मुस्कान दोनों का उपयोग कीजिए मौन रक्षा कवच है और मुस्कान स्वागत द्वार।
अमीरों के चेहरे पर कभी,मुस्कान नहीं होती गरीब के चेहरे पे कभी, थकान नहीं होती सब कुछ खरीद सकती है, दौलत, इस दुनिया में पर शुक्र है मुस्कुराहट, किसी की गुलाम नहीं होती।
एक “पेन” गलती कर सकता है लेकिन ऐक “पेन्सिल” गलती नही कर सकती। क्यों क्योंकि उसके साथ दोस्त है “रबर”। जब तक एक सच्चा दोस्त आपके साथ है, वह आपकी “जिंदगी” की गलतियाँ मिटाकर आपको अच्छा “इंसान” बना देगा। इसलिए “सच्चे” और “अच्छे” दोस्त हमेशा साथ रखिऐ।
कटुता वहां उत्पन्न होती है, जहां हम स्वार्थ के लिए जुड़ते हैं लेकिन प्यार वहां पनपता है, जहां हम निस्वार्थ भाव से जुड़ते हैं।
शब्दो का भी अपना ही अलग महत्व महके तो लगाव और बहके तो घाव।
जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो. प्रेम दुर्लभ है। उसे पकड़ कर रखो क्रोध बहुत खराब है। उसे दबा कर रखो भय बहुत भयानक है, उसका सामना करो। स्मृतियां बहुत सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखो।
अगर आपके पास मन की शांति है तो समझ लेना आपसे अधिक भाग्यशाली कोई नहीं है।
घर के अंदर जी भर के रो लो पर दरवाज़ा हँस कर ही खोलो, क्योंकि लोगों को यदि पता लग गया कि तुम अंदर से टूट चुके हो तो वो तुम्हें लूट लेंगे।
एक मंदीर के दरवाजे पर बहुत अच्छी लाइन लिखी थी “जूते ” के साथ-साथ, अपनी गलत “सोच” भी बाहर उतार के आइए।
इंसान सोचता है खुशियां आये तो मैं मुस्कूराऊँ और खुशियां सोचती हैं कि ये मुसकुराऐ तो मैं आऊं। अच्छा होगा कि आप ही ज़िद छोड़ दें और खुशियों को आने का मौका दें।
कभी किसी को छोटा न समझिए, हजारों के कपड़े शोरूम में लटकते रह गए और छोटा सा “मास्क” करोड़ों का व्यापार कर गया।
“समय जिसका साथ देता है वो बड़ों बड़ों को मात देता है।” अमीर के घर पे बैठा ‘कौवा’ भी सबको ‘मोर’ लगता है और गरीब का भूखा बच्चा भी सबको ‘चोर’ लगता है इंसान की अच्छाई पर, सब खामोश रहते हैं चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो, तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं।
पूण्य किसी को दगा नही देता, और पाप किसी का सगा नही होता, जो कर्म को समझते है, उन्हें धर्म को समझने की जरूरत ही नही। क्योकि कर्मो के उतराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है।
काफी अकेला हूँ, या अकेला काफी हूँ। नजरिया बदलिए और चमत्कार देखिए।
हस्ते रहा करो, उदास रहने से कौन सी ज़िन्दगी की परेशानियां सही हो जाएगी।
चाहे अपने हो या पराये, वो हाथ बहुत अनमोल है जो गिरते वक़्त किसी को संभाल ले।