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गुस्सा करने के बदले रो लेना अच्छा है कि गुस्सा दूसरों को तक़लीफ़ देता है जबकि आंसू चुपचाप आत्मा में से बहकर हृदय को स्वच्छ करते हैं।
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दुनिया में दान जैसी कोई सम्पत्ति नहीं, लालच जैसा कोई और रोग नहीं, अच्छे स्वभाव जैसा कोई आभूषण नही, और संतोष जैसा और कोई सुख नहीं।
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"अच्छाई-बुराई" "इंसान" के "कर्मो" में होती है। कोई "बांस" का "तीर" बनाकर किसी को "घायल" करता है, तो कोई "बांसुरी" बनाकर बांस में "सुर" को भरता है।