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- हमारी उपलब्धियों में दूसरों का भी योगदान होता है क्योंकि समन्दर में भले ही पानी अपार है पर सच तो यही है कि वो नदियों का उधार होता है।
- आप अकेले बोल तो सकते है,परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है,परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।
- कहते है कि एक गलतफहमी अच्छे से अच्छे रिश्ते को तोड़ देती है। विचारणीय बात यह है कि वह रिश्ता अच्छा कैसे हुआ, जो सिर्फ एक गलतफहमी से ही टूट जाए।
“छोटा” बनके रहें, मिलेगी हर बड़ी “रहमत” “बड़ा” होने पर तो, “मां” भी “गोद” से उतार देती है।