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जब हम नादान थे तो जिंदगी के मजे लेते थे, समझदार हुए अब तो ये जिंदगी हमारे मजे ले रही है।
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यदि आप के चंद मीठे बोल से किसी का रक्त बढ़ाता है तो यह भी "रक्तदान" है। यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह "श्रम दान" है। यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लेते हैं कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए तो यह "अन्न दान" है।
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"वक्त" भी बड़े ही कमाल का होता है, सबसे इंतजार करवा लेता है लेकिन खुद कभी किसी का इंतजार नही करता।
कल्पनाएं मधुर होती हैं पर उनके सहारे जिया नही जा सकता। वास्तविकताएं कड़वी होती हैं पर उनके बिना जिया नही जा सकता।