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जमीन अच्छी हो खाद अच्छा हो परन्तु पानी खारा हो तो फूल खिलते नही, भाव अच्छे हो कर्म भी अच्छे हो मगर वाणी खराब हो तो संबंध कभी टिकते नही !
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जिंदगी का सच हम भी वही है,संबंध भी वही हैं,रास्ते भी वही है। बदलते हैं,तो सिर्फ 'समय,संजोग और नजर।
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पुण्य किसी को दगा नहीं देता और पाप किसी का सगा नहीं होता जो कर्म को समझता है उसे धर्म को समझने की जरूरत ही नहीं संपत्ति के उत्तराधिकारी कोई भी या एक से ज्यादा हो सकते है लेकिन कर्मों के उत्तराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है l
” खुशियों” का ताल्लुक “दौलत” से नही होता जिसका मन “मस्त” है उसके पास “समस्त” है।