सामान्य सा व्यक्तित्व, मध्यमवर्गीय परिवार एवं गृहस्थी के मायाजाल वाले परिवेश में रहकर व्यक्ति किसी अन्य के लिए कुछ करना तो दूर स्वाभाविक तौर पर सोचने की स्थिति में भी आमतौर पर नहीं होता है। अमूमन व्यक्ति अपनों से ही नहीं उबर पाता है इसलिए औरों के लिए कुछ नहीं करता है।...
लीक छोड़ तीनहिं चले शायर, सिंह, सपूत। यह पुरानी लोकोक्ति है लेकिन अब इसमें सुधार किया जाए तो अनउपयुक्त नहीं होगा। आज बेटियां भी सिंहनी बन किसी सपूत से तनिक भी कमतर नहीं है। अलबत्ता स्थिति तो यह है कि अनेक क्षेत्रों में लड़कों से दो कदम आगे ही दिखाई देती हैं। इसी मानक...
तीन या चार वर्ष की आयु माता-पिता की गोद में झूला-झूलने की, विविध प्रकार की फरियाद करने की, उन्हें पूरा करने के लिए जिद करने की, दुनिया से बेफिक्र अलमस्त रहने की तथा माँ-बाप में ही समस्त संसार देखने की व दुनिया-जहान का सुख महसूस करने की उम्र होती है। अब इस छोटी सी उम्र...
“मेरा-मेरा ही होता था बाकी सब हिस्सा बंटता था” जिनके जीवन में माता-पिता का प्यार इस कदर समाया था तो भला उन्हें इस बात का कैसे भान होता कि आगे चलकर परमपिता परमेश्वर उनके डगर को काफी कंकरीली-पथरीली करने जा रहे हैं। अयोध्या जनपद के मिल्कीपुर तहसील के अंतर्गत...
संगीत (Music) अपने आप में बेमिसाल साधना होती है और इससे जुड़ा साधक एक योगी ही होता है। भारतीय धरती पर ऐसे-ऐसे साधकों का जन्म होता रहा है जो एक साथ एक से अधिक विधाओं में प्रवीण होते हैं। हरियाणा के फरीदाबाद में मिर्जापुर गाँव (Mirzapur, Faridabad, Haryana) के निवासी...