जन्मोपरांत शिशु इस धरती पर सबसे असहाय परन्तु साथ ही सबसे अधिक संस्कार और शिक्षा ग्रहण करने वाला प्राणी होता है। पैदा होते ही उसको किसी भी अवस्था में व्यवहार करना नहीं आता लेकिन धीरे-धीरे वह विविध गतिविधियों को सीखना प्रारंभ करता है एवं आगे बढ़ता जाता है। वैदिक कालीन...
भक्तों द्वारा अपने भगवान या ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए तथा अपनी समस्याओं के निवारण के लिए सरल भाषा में की गई प्रार्थना चालीसा कही जाती है। हनुमान चालीसा को चालीसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें 40 छंद होते हैं। महावीर हनुमान जी को भगवान शिव जी का ग्यारहवां रुद्र...
सांस्कृतिक मान या मूल्य के रूप में आतिथ्य एक स्थापित समाजशास्त्रीय परिस्थिति है। आतिथ्य, अतिथि तथा मेजबान के बीच का संबंध होता है। यह सत्कारशीलता का व्यवहार है अतिथियों का उदारतापूर्वक स्वागत करना, उनका मनोरंजन करना, उन्हें शिष्टता पूर्ण सेवाएं प्रदान करना इसमें...
भारतीय संस्कृति में मानव जीवन जिस धुरी पर टिका है उसके तीन आधार हैं- ज्ञान, धर्म और शांति। ज्ञान, धर्म तथा शांति की स्वामिनी के रूप में स्त्री वाचक शब्द का प्रयोग किया जाना अपने आप में ही स्त्री की श्रेष्ठता को साबित करता है। स्त्री को समृद्धि और संस्कृति की...
भारतीय सांस्कृतिक विरासत इतनी संपन्न रही है कि इसे कभी विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। एक तरफ धरती पर नाना प्रकार की विसंगतियां विकराल मुंह बाए खड़ी हैं तो दूसरी तरफ सामर्थ्यवानों द्वारा स्वहित की ही कुंडली में मुंह छिपाए रहने से संकट के बादल कम छट पाते हैं। वैश्विक...