कोई भी इंसान हमारा दोस्त या दुश्मन बनकर इस दुनिया में नही आता हमारा व्यवहार और बोलने का तरीका ही लोगो को दोस्त और दुश्मन बनाते हैं।
आप अकेले बोल तो सकते है,परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है,परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।
” खुशियों” का ताल्लुक “दौलत” से नही होता जिसका मन “मस्त” है उसके पास “समस्त” है।
” खुशियों” का ताल्लुक “दौलत” से नही होता जिसका मन “मस्त” है उसके पास “समस्त” है।
क्रोध में भी शब्दो का चुनाव ऐसा करना चाहिए कि कल जब क्रोध शांत हो तो खुद को खुद की नजरों में कभी भी शर्मिंदा ना होना पड़े।
क्रोध में भी शब्दो का चुनाव ऐसा करना चाहिए कि कल जब क्रोध शांत हो तो खुद को खुद की नजरों में कभी भी शर्मिंदा ना होना पड़े।