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- संसार में कोई भी मनुष्य सर्वगुण संपन्न नही होता! इसलिए कुछ कमियों को नजरंदाज करिए और रिश्ते बनाए रखिए!
- स्वयं की क्षमताओं पर, प्रयासों पर और स्वयं पर भरोसा रखो। दुनिया की कोई भी चीज ऐसी नहीं जो मनुष्य के प्रयासों से बड़ी हो।
- सही "मौके" पर "खड़े" होकर बोलना एक "साहस" है उसी प्रकार "खामोशी" से बैठकर दूसरों को "सुनना" भी एक "साहस" है।