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- हम न नास्तिक है न आस्तिक, हम तो केवल वास्तविक है। जो अच्छा लगे उसको ग्रहण करो, जो बुरा लगे उसका त्याग करो फिर चाहे वो विचार हो, कर्म हो, या धर्म हो।
- पानी का असली स्वाद तब पता लगता है जब हम बहुत प्यासे होते हैं! ठीक उसी तरह प्रेम और सहयोग का पता तब चलता है जब हम बहुत कठिनाई में होते हैं।
- सप्ताह के सात वार में आठवा वार "परिवार" और जोड़लो फिर उस आठवे वार को शुभ बनालो, आपके सभी वार शुभ हो जाएंगे, क्यो ज्योतिषियों से पूंछते रहते हो कि मेरे लिये कौन से वार शुभ हैं।
बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है, पर अच्छा आदमी बनना बड़ी बात है।