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- परिस्थितियों के अनुसार सब चीज सुंदर हैं। जो स्कूल की घंटी सुबह के समय बेकार लगती है, वही छुट्टी के समय बहुत अच्छी लगती है।
- किसी को चोट पहुँचाना उतना ही आसान है जैसे पेड़ से पत्ता तोड़ना, लेकिन किसी को खुश करना एक पेड़ उगाने जैसा है। इसमें बहुत समय, देखभाल और धैर्य लगता है।
- क्रोध आने पर चिल्लाने के लिऐ कोई ताकत नहीं चाहिए। मगर क्रोध आने पर चुप रहने के लिए,बहुत ताकत चाहिए।
नमक जैसा बनाइये अपना “व्यक्तित्व” आपकी उपस्थिति का भले ही पता न चले पर अनुपस्थिति का अहसास अवश्य होना चाहिये।