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" खुशियों" का ताल्लुक "दौलत" से नही होता जिसका मन "मस्त" है उसके पास "समस्त" है।
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वही रहिए जो आप हैं, और वो कहिए जो आप महसूस करते हैं क्योंकि जो बुरा मानते हैं मायने नहीं रखते, और जो मायने रखते हैं वो बुरा नहीं मानते।
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एक व्यक्ति ने भगवान से पूछा, तुझे कैसे रिझाऊं मैं। कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे तुझ पर चढाऊं मैं, "भगवान ने उत्तर दिया" संसार की हर वस्तु तुझे मैनें ही दी है। तेरे पास अपना सिर्फ तेरा "अहंकार" है,जो मैनें नहीं दिया। उसी को तु मुझे "अर्पण" कर दे,"तेरा जीवन सफल हो जाएगा"
“जीवन” को इतना शानदार बनाओ की आपको याद करके किसी “निराश व्यक्ति” की आखों में भी चमक आ जाए।