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शब्दों का वजन तो बोलने वाले के भाव पर आधारित है। एक शब्द मन को दुःखी कर जाता है, और दूसरा शब्द मन को खुश कर जाता है, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है।
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"वक्त" भी बड़े ही कमाल का होता है, सबसे इंतजार करवा लेता है लेकिन खुद कभी किसी का इंतजार नही करता।
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दोष कांटो पर भी कैसे डाले भाई साब, पैर हमने ही रखा था वो तो अपनी जगह सही थे।
समस्याओं का अपना कोई साईज नही होता। वो तो सिर्फ हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बडी़ होती है।