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जब हम नादान थे तो जिंदगी के मजे लेते थे, समझदार हुए अब तो ये जिंदगी हमारे मजे ले रही है।
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"वाणी" और "पानी" दोनों में ही "छवि" नज़र आती है "पानी" स्वच्छ हो तो "चित्र" नज़र आता है "वाणी" मधुर हो तो "चरित्र" नज़र आता है।
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कच्चे आम का स्वभाव खट्टा है, गुड़ का स्वभाव मीठा है, मिर्च का स्वभाव तीखा है, नमक की प्रकृति लवणता है, फिर भी अचार ने कितना अच्छा एडजस्टमेंट कर लिया है और सभी को अच्छा लगता है। उसी प्रकार जिंदगी में सबके साथ एवं सभी के स्वभाव के साथ एडजस्टमेंट करना सीख लें तो सबको कितने अच्छे लगेंगे और जीवन मधुर हो सकता है l
क्रोध हमारा एक ऐसा हुनर है, जिसमें फंसते भी हम हैं, उलझते भी हम हैं, पछताते भी हम हैं, और पिछड़ते भी हम ही हैं।