रसायन विज्ञान (Chemistry) में पीरियाडिक टेबल (Periodic Table) का महत्व सर्वविदित है, हां इसे याद करना इसमें पारंगत होना सरल नहीं रहता है। यदि महज 16 वर्षीया छात्रा इसे न केवल याद कर ले वरन् पूरी की पूरी पीरियॉडिक टेबल पर कविता (Poetry) लिखते हुए एक पुस्तक के रूप में परिवर्तित कर दे तो आश्चर्य किए बिना नहीं रहा जा सकता है। इस आश्चर्यजनक कारनामे को हकीकत में कर दिखाने वाली कश्मीर (Kashmir) की रहने वाली इंटर मीडियट की होनहार छात्रा हैं सुश्री बुशरा निदा जी (Bushra Nida)।

कनिपोरा, कुलगाम, कश्मीर (Kanipora-Nasirabad, Kulgam, Kashmir) निवासी जनाब मोहम्मद रफीक डार जी एक छोटी सी दुकान चलाते हुए तथा पत्नी बेगम नासिरा अख्तर जी के साथ खुशहाल जिंदगी जीते थे। आपके आंगन में एक-एक कर दो शहजादियों ने जन्म लिया। 6 सितम्बर 2004 को जब बेगम नासिरा अख्तर जी की गोद में बेटी बुशरा का जन्म हुआ तो उस समय किसी को यह अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनकी यह बेटी आगे चलकर घर-परिवार का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेगी। बचपन से ही तेज दिमाग की स्वामिनी बुशरा सदैव कुछ नया करने को सोचती रहती तथा अधिकांश बातों को कविता के रूप में लिखा करतीं। पिताजी तो बेटी को खूब प्रोत्साहित करते ही, बड़ी बहन सायमा सबूर जी भी आपको खूब स्नेह लाड़ प्यार दुलार और उत्साहवर्धन करतीं। एक दिन अचानक आपने कागज पर मन के भावों को काव्य रूप में उकेर कर उसे छुपा कर रख दिया। अकस्मात एक बार बड़ी बहन ने उसे पढ़ा तो बेहद प्रसन्न हुईं तथा आपकी खूब हौसला आफजाई करते हुए एक डायरी लाकर दी और उसमे लिखने को कहा। जब आप नवी क्लास में थीं तो बड़ी बहन ने अचानक डायरी को देखा तथा उसमे आप द्वारा रचित कवितावों को देख कर खुश होते हुए पुनः उत्साहवर्धन किया। उस समय आपने यह सोचा तक नहीं था कि कभी आपकी यह रचनाएं पुस्तक के रूप प्रकाशित होंगी। लेकिन जब पिताजी के बारे में ज्ञात हुआ कि वह अति असाध्य बीमारी से ग्रस्त हैं तथा उनके जीवन के कुछ ही दिन शेष हैं तो अपनी रचना को प्रकाशित कराने का निर्णय आपने लिया तत्पश्चात ट्यूलिपस आफ फिलिंगस (Tulips of Feeling) नाम से पुस्तक का प्रकाशन हुआ। अब आपके लेखन की गाड़ी चल पड़ी। विज्ञान (Science) में जबरदस्त रुचि होने के चलते विविध प्रकार की प्रतियोगिताओं में बुशरा प्रतिभाग करतीं तथा अच्छे मुकाम हासिल करतीं। हाई स्कूल उत्तीर्ण होने के पश्चात आपकी विज्ञान में अत्यधिक रुचि होने के कारण पीरियॉडिक टेबल (Periodic Table) को कविता के रूप में लिखना शुरू किया तथा शीघ्र ही इसे “दि डेवी” (The Davy) नाम से पुस्तक के रूप में लिख डाला। यह अपने आप में बेमिसाल कारनामा था जो दुनिया में अभी तक किसी ने नहीं किया था। पीरियाडिक टेबल पर काव्य रूप में विश्व में प्रथम पुस्तक होने के नाते आपके कुछ परिजनों ने इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) में दर्ज कराने हेतु सुझाव दिया फलतः जानकारी प्राप्त करने के पश्चात विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज कराने हेतु आपने आवेदन किया। विश्व में प्रथम बार इस तरह की पुस्तक होने के चलते काफी जांच पड़ताल के उपरांत गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की रिकॉर्ड असेसमेंट ज्यूरी ने इसे अर्हय पाया तथा 20 अक्टूबर 2020 को मात्र 16 वर्ष 4 दिन की उम्र में सुश्री बुशरा जी एवं उनकी कृति का नाम फर्स्ट पोयट्री बुक ऑन पीरियाडिक टेबल (First Poetry Book on Periodic Table) शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया। इसके साथ ही आपने यह कारनामा रचने वाली दुनिया की प्रथम भारतीय महिला होने का सौभाग्य हासिल किया। आप अपनी एक नायाब रचना पर कार्य कर रही हैं जो शीघ्र ही “The whys & voice of God” शीर्षक से अंतरराष्ट्रीय फलक पर प्रकाशित होने की दिशा में तेजी से अग्रसर हैं।

आज आपको एक होनहार छात्रा के साथ-साथ एक सेलिब्रिटी के रूप में तो देखा ही जाता है साथ ही आप हजारों-हजार लड़कियों के लिए रोल मॉडल (Role model) बन चुकी हैं। 22 अक्टूबर 2019 को आपके पिताजी का इंतकाल हो गया, जिसने कुछ समय के लिए आपको तोड़ कर रख दिया, लेकिन दृढ़ निश्चय की धनी तथा पिताजी के अरमानों को पूरा करने का मंसूबा पाले बुशरा जी अपनी मंजिल की तरफ तेजी से अग्रसर हैं। एक दिन वह अवश्य आएगा जब आप पर ना केवल कश्मीर वरन् पूरा इंडिया नाज़ करेगा।