योग को वैश्विक स्तर पर घर-घर में पहुंचाने वाले तथा जन-जन के बीच में लोकप्रिय करने वाले परम पूज्य स्वामी रामदेव जी (Swami Ramdev ji) ने जो कार्य किया है वह भारतीय संस्कृति के प्रति अनूठा योगदान है तथा इतिहास के स्वर्णिम अध्याय के रूप में अनंत काल तक दर्ज रहेगा। आज सबसे बड़ा परिवर्तन योग के क्षेत्र में यह हुआ है कि युवा वर्ग भी इसकी तरफ तेजी से आकर्षित हो रहे हैं क्योंकी उन्हें अच्छे स्वास्थ्य के साथ साथ अच्छा रोजगार भी मिल रहा है। एलोपैथी से निराश लोगों को भी इससे आराम मिल रहा है। वैसे योग की अधिकांश विधियों को प्राचीन काल में संत-महात्माओं द्वारा किया और साधा जाता था एवं आमजन आमतौर पर इसके लाभों से वंचित रहते थे परंतु अब जनसामान्य भी योग से भरपूर लाभ उठा रहे हैं, इसमें युवा योग साधकों द्वारा प्रशंसनीय योगदान दिया जा रहा है।

मेरठ, उत्तर प्रदेश (Meerut, UP) के निवासी श्री कुलवंत किशोर शर्मा जी एवं श्रीमती सुषमा शर्मा जी के घर में 28 जून 1992 को जन्मे श्री आशीष शर्मा जी (Mr. Ashsh Sharma) का योग के प्रति लगाव कम आयु से ही होने लगा था, क्योकि आप स्वामी रामदेव जी से बेहद प्रभावित थे इसलिए स्कूली शिक्षा के दौरान ही आपने आगे चलकर योग की शिक्षा लेने का विचार बनाया तथा योग से ही पोस्ट ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही प्रतिदिन योग करने के चलते आपकी ख्याति लाजवाब योग साधक के तौर पर होने लगी तथा आपको दूर-दूर से योग करने हेतु योग प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया जाने लगा। आपकी अखंड साधना के चलते स्कूलों, कालेजों के अतिरिक्त अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा भी आमंत्रित किया जाने लगा। आपकी योग साधना देखकर लोग आश्चर्यचकित तो होते ही साथ ही वह भी योग की ओर प्रेरित भी होने लगे, जिससे काफी लोग लाभान्वित भी हो रहे है सच्चाई तो यह है कि आपकी सिखाने की कला से लोग बहुत प्रभावित भी है। आजकल आप स्कूलों एवं कालेजों में जाकर हजारों छात्रों को निःशुल्क योग का प्रशिक्षण (free yog training) देते हैं। आप के सरल स्वभाव और योग सीखने की कला भी अद्भुत है। आप के पिताजी कहा करते थे “मेरा बेटा बड़ा होकर बहुत नाम करेगा” आज जब आपको वो इस मुकाम पर देखते है, तो अपने आप को सौभाग्यशाली मानते है।

योग की कठिन विधाओं में प्रवीण श्री आशीष शर्मा जी सूर्य नमस्कार अत्यधिक तेजी से करते हैं। अनेक कार्यक्रमों में इसका प्रदर्शन भी हो चुका है, जिसे देख लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। आपने अनेक योग साधकों के बारे में जानकर अपनी योग साधना का वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) बनाने का विचार किया, इसके लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क किया। आपकी खासियत को परखने के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के नेशनल हेड श्री आलोक कुमार जी पहुंचे तथा सूर्य नमस्कार में आप की विलक्षणता को देखकर निःशब्द हो गए। आपने 7 मिनट 2 सेकंड में 100 बार सूर्य नमस्कार करके पूर्व में बने समस्त रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया कारनामा कर दिखाया। इस प्रकार 9 सितंबर 2018 को तीव्रतम गति से सौ बार सूर्य नमस्कार (Fastest Hundred Surya Namaskar Yoga) नामक शीर्षक के साथ आपका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया। आपकी सफलता पर समस्त नगरवासी हर्षित हो उठे तथा अनेक संस्थाओं एवं व्यक्तियों द्वारा आपको सम्मानित किया गया। आज आपकी पहचान मेरठ में ही नहीं पूरे विश्व में है।

योग की ख्याति खूब प्रचारित प्रसारित हो तथा आमजन को इससे अधिकाधिक लाभ मिले, इसके लिए आप लोगों के बीच में जाकर निःशुल्क योग सिखाते हैं। कोरोना की आपदा के दौरान आपने हज़ारों लोगों को ऑनलाइन तरीके से अनवरत योग कराके, उन्हें स्वस्थ रखने में मदद की। वर्तमान में आप योग शिक्षक के रूप में छात्रों को तो योग सिखाते ही हैं, साथ में आमजन को भी इसका फायदा पंहुचा रहे है। विभिन्न प्रतियोगिताओ से युवाओ को योग के लिए आकर्षित भी करते है इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों से भी आप सदैव जुड़े रहते हैं। आपकी साधना को देखते हुए आपको अनेंकों सम्मानों से नवाजा गया है। अपनी सफलता के पीछे माता – पिता के योगदान को तो आप मानते ही हैं, साथ में गुरुदेव ऋषिपाल सिंह जी, श्रद्धेय विनोद चौधरी जी, सोहन वीर आर्य जी, अभिनव चौधरी जी, हर्षिता आर्य जी, अखिलेश शर्मा जी, डॉ चिंतामणि जोशी जी, महेश सिंघल जी, डॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा जी, रविकांत शर्मा जी, भारत भूषण जी, संजीव जी, शिखा चंद्रा जी, विकास त्रिखा जी, प्रियंका यादव जी एवं पूनम यादव जी आदि के आशीष एवं सानिध्य को अपना सौभाग्य समझते हैं।