प्राचीनतम ऐतिहासिक वस्तुओं, कलाकृतियों ,पुस्तकों ,पांडुलिपियों आदि का खजाना हमारे देश में मौजूद है, दुर्भाग्यवश इनमें से ढेर सारी अनुपम ऐतिहासिक कृतियां जीर्ण शीर्ण हो नष्ट होने के कगार पर पहुंच जाती हैं ।इंटक यानी इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज, लखनऊ की निदेशक डॉक्टर ममता मिश्रा (Dr. Mamta Mishra) अपनी अखंड साधना के बल पर ऐसी धरोहरों को सुरक्षित, संरक्षित किए जाने हेतु कृत संकल्पित हैं एवं अनावरत प्रयासरत रहतती हैं ।आप अपनी संस्था के माध्यम से स्वयं तो प्रयासरत ही हैं साथ ही आम जनता कैसे छोटे-छोटे एहतियात बरतकर ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में योगदान दे सकतीहैं इस दिशा में आप आम जनमानस ,बच्चों ,छात्रों को भी जागरूक एवं प्रोत्साहित करती रहती हैं।
आप का मानना है कि हमारे यहां ऐतिहासिक धरोहरों का विशाल भंडार मौजूद है ,इसे सहेजने के लिए आप जी जान से जुटी रहती है. प्राचीन कालीन बेशकीमती पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने हेतु आप समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन भी करती रहती है ।आज आपके कुशल निर्देशन में प्राचीन परंपराओं को सुरक्षित, संरक्षित रखने का काम द्रुतगति से हो रहा है .देश की प्राचीनतम सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के विविध तरह के अनेक स्तर पर भी कार्यक्रम आपके द्वारा संचालित किए जाते हैं ,इसके द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जाता है ।हिंदुस्तान की सांस्कृतिक थाती में विभिन्न प्रकार के चित्रों, मसलन तैल चित्र ,भित्ति चित्र ,कागज पर बनी पांदुलिपि, लिखित दस्तावेज, हाथी दांत ,लकड़ी, धातु एवं पत्थर पर बनी कलाकृतियों आदि का प्रमुख स्थान है। इन सब के संरक्षण हेतु सभी के योगदान की आवश्यकता है ,इसी दिशा में आदरणीय डॉक्टर ममता मिश्र सतत प्रयत्न शील रहती हैं, 12 जुलाई 1964 को जन्मे ममता जी का बचपन से ही कला के क्षेत्र में रुझान था जो तेजी से बढ़ता ही गया आगे चलकर इसी विषय में आपने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तत्पश्चात एम फिल्म एवं डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉक्टर ममता मिश्रा ने संरक्षण के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया तथा इंटक नामक संस्था से जुड़ गई।शुरुआत में आप बड़े पद पर नहीं थी लेकिन आपकी योग्यता और कर्मठता के चलते एक एक सीढ़ी चढ़ती चली गई और आज निदेशक के पद पर आसीन हैं ।देश की विरासत को सहेजने के लिए आप प्रारंभ से ही कृत संकल्पित हैं ।इस तरह आपका संपूर्ण समय इसी साधना में बीतता है कि कैसे अपने सांस्कृतिक थाती की प्राचीन धरोहर को सहेजा जाए।