सनातन धर्मावलंबियों की आस्था के आधार के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी से श्रीमद्भागवत गीता का स्थान रहा है। इस पर अनेकानेक विद्वानों, मनीषियों, संत जनों, साहित्यकारों द्वारा विविध प्रकार से लिखा जाता रहा है और जनसामान्य को इसके द्वारा दिखाए गए मूल्यों को आत्मसात करने हेतु मार्ग निर्देशित किया जाता रहा है। अनेक विद्वानों द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का अनेक भाषाओं में अनुवाद करने का प्रयास किया जाता रहा है। उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में पैदा हुए हिंदी ,उर्दू ,अंग्रेजी जगत के मूर्धन्य मनीषी एवं प्रसिद्ध शायर श्रीयुत अनवर जलालपुरी (Anwar Jalalpuri) ने श्रीमद्भागवत गीता को उर्दू में लिखकर विद्वत समाज को अचंभित कर दिया l इस्लामिक परंपराओं के अनुयाई, मुस्लिम खानदान में जन्मे, गंगा जमुनी तहजीब में पले बढ़े तथा पेशे से अंग्रेजी के शिक्षक रहे अनवर जी ने श्रीमद्भगवद्गीता की गूढ़तम विषयों का इतना निष्णांत विवेचन किया जो हर किसी के लिए संभव नहीं होता है। अनवर साहब तो ठहरे मां भारती के सच्चे सपूत उन्हें हिंदी और उर्दू, संस्कृत एवं अंग्रेजी से समान मोहब्बत सदैव ही रही तथा गंगा जमुनी तहजीब के प्रकाश स्तंभ के रूप में ताउम्र चमकते रहे। देश हो या विदेश हिंदी का कवि सम्मेलन हो अथवा उर्दू जगत का मुशायरा जब भी किसी योग्य संचालक का नाम जुबान पर आता तो सभी के लबों पर एक ही नाम सबसे पहले आता वह नाम रहता आदरणीय अनवर जलालपुरी जी का ।आपने अपनी लेखनी के माध्यम से देश की तहजीब, सांस्कृतिक विरासत को एक माली की तरह सहेजने का बेमिसाल कार्य किया ,आपने दर्जनों मानक पुस्तकों की रचना की है ।नोबेल अवार्ड से विभूषित पूज्य गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की विश्व विख्यात कृति गीतांजलि का भी आपने उर्दू शायरी में अनुवाद करने का लाजवाब कार्य किया है इतना ही नहीं उर्दू शायरी में रुबाईआते खैय्याम, तोश ए आखिरत, जागती आंखें, खुशबू की रिश्तेदारी, खारे पानियों का सिलसिला ,रोश नाई के सफीर, अपनी धरती अपने लोग, जरवे लाइलाह,जमाल ए मोहम्मद ,बाद अज खुदा, अर फे अब्जद, राहरो से रहनुमा जैसे अनेक मान क ग्रंथों की रचना आप द्वारा की गई है। फिल्म जगत में भी आपकी लेखनी की छाप पुख्ता तौर पर तब दिखी,जब आपने फिल्म डेढ़ इश्किया तथा प्रख्यात धारावाहिक अकबर द ग्रेट में अपनी लेखनी की खासियत से लोगों को दंग कर दिया ।राष्ट्रीय तथाअंतरराष्ट्रीय विभिन्न सामानों, अवार्ड से आपको प्रायः सम्मानित किया जाता रहता है। अनवर साहब तो ठहरे मां भारती के सच्चे सपूत उन्हें हिंदी और उर्दू संस्कृतम् अंग्रेजी से समान मोहब्बत सदैव रही तथा गंगा जमुना तहजीब के प्रकाश स्तंभ की उम्र भर चमकते रहे देश हो या विदेश, हिंदी का कवि सम्मेलन हो अथवा उर्दू जगत का मुशायरा जब भी किसी योग्य संचालक का नाम जवान पर आता तो सभी के लबों पर एक ही नाम सबसे पहले आता वह नाम होता आदरणीय अनवर जलालपुरी जी का ।आपने अपनी लेखनी के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को एक माली की तरह सहेजने का ,बेमिसाल काम किया। आपने दर्जनों मानक पुस्तको की रचना की है । नोबेल अवार्ड से विभूषित गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की विश्व विख्यात कृति गीतांजलि का आपने उर्दू शायरी में अनुवाद कर बेमिसाल कार्य किया है । उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना सर्वोच्च सम्मान यश भारती प्रदान कर सम्मानित किया तथा भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में पद्मश्री सम्मान से आपको विभूषित किया गया यद्यपि सम्मान ग्रहण करने से कुछ महीनों पूर्व ही आपने अचानक इस दुनिया को अलविदा कह दिया था