जेब में पैसे नहीं, रेल दुर्घटना में बाया पैर कट गया लेकिन साइकिल लेकर पूरे भारत में घूम घूम कर स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक करने का अदम्य उत्साह भीतर ही भीतर हिलोरे मार रहा था ।यह कहानी मध्यप्रदेश के इंदौर निवासी श्री प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar) नामक 32 वर्षीय एक ऐसे विलक्षण युवा की है जिन्होंने अपने हौसलों से हर मुसीबत को मात देकर आज एक मिसाल पेश की है ।10 अगस्त 2013 को अपने साथियों संग ट्रेन में यात्रा कर रहे थे उस दौरान दुर्घटना हुई जिसमें जान तो बच गई लेकिन बाया पैर कट गया ।हिम्मते मर्दा ऐसा कि ऑपरेशन कक्ष में जाते समय साथी लोग तो रो रहे थे और प्रदीप जी सभी को समझा रहे थे कि चिंता ना करो मुझे कुछ नहीं होगा। ऑपरेशन होने के तकरीबन 5 महीने बाद कृत्रिम पैर लगाकर धीरे धीरे चलने की कोशिश करने लगे फिर दौड़ने की तथा कुछ समय उपरांत साइकिल चलाने का। अभ्यास करने शुरुआत में काफी दिक्कतें आई शारीरिक तौर पर दर्द बहुत होता था, उससे भी बड़ा दर्द लोगों के ताने सुनकर फिर भी आप के हौसले दृढ़ हो रहे थे तथा कुछ करने के लिए मन ही मन सोचने लगे ।इंदौर की एक दिव्यांग संस्था द्वारा मैराथन आयोजित किए जाने को सुनकर उस में प्रतिभाग करने का इरादा हुआ, लेकिन प्रारंभिक रूप में हतोत्साहित करने वाले आए , यह अलग बात है कि आप अपने इरादों से दिगने वाले नहीं थे । आपके मन में विचार आया कि क्यों न साइकिल के द्वारा बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जाए बस क्या था आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के कार्यालय से संपर्क किया। सारी औपचारिकताएं समझकर आपने अपना कार्यक्रम बनाना शुरू कर दिया। क्योंकि धीरे-धीरे दूर तक आप साइकिल चलाने लगे थे इसलिए मन में विचार आया कि साइकिल के सहारे संपूर्ण देश का भ्रमण किया जाए। आपने अपने इरादे से अनेक लोगों को, अधिकारियों और राजनेताओं को अवगत कराया सभी ने आप को हर संभव मदद करने की बात कही फिर क्या था 14 दिसंबर 2017 को दशहरे के दिन कलेक्टर, महापौर, विधायक, सांसद अन्य अधिकारी ,समाज के विभिन्न प्रकार के प्रतिष्ठित शख्सियतों सहित लाखों लोगों की उपस्थिति में कंधे पर 40 किलोग्राम का अपना सामान लेकर इंदौर से आपने यात्रा प्रारंभ की। देश के प्रत्येक प्रांत में आप गए हर जगह आपका स्वागत सत्कार किया गया तथा समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा आपको सहयोग मिला हां कठिनाई भी हुई,चोट लगी ,बीमार हुए, जंगली जानवरों के हमले हुए, भौगोलिक ,मानसून जन्य दिक्कतें मिली लेकिन यात्रा जारी रही।देशभर में यात्रा के दौरान अनेक शीर्षस्थ राजनेताओं ,कलाकारों, उच्चाधिकारियों आदि से आपकी मुलाकात हुई जिनके द्वारा आपके कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा की गई। जून 2018 में आपकी यह 15000 किलोमीटर की यात्रा पूरी होने पर सभी भाव विह्वल व दंग । गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में आपकी असाधारण सफलता सर्वाधिक दूरी तक साइकिल चलाने वाले डिस एबल्ड साइकिलिस्ट के रूप में दर्ज हुई तथा आपके नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड अंकित हुआ ।समाज के सम्मानित लोगों द्वारा आपकी प्रशंसा की गई तथा सभी ने आगे भी आपका सहयोग करने हेतु आश्वाशन दिया गया। आज आदरणीय प्रदीप जी की जीवन गाथा से लोग प्रेरणा लेते हैं, देश-विदेश में आप को आमंत्रित किया जाता है, बड़े-बड़े सम्मान से नवाजा जाता है ,आप पर पुस्तकें लिखी जा रही हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब आपके पिता श्री शांतिलाल जी किसी तरह परिवार को चलाते थे एवं माता जी श्रीमती किरण बाला जी के रूप में घर परिवार चलाती थीं।उस समय आपको दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही थी। 10 वर्ष की आयु में ही प्रदीप जी को मात्र ₹200 मासिक प्की नौकरी करनी पड़ी थी ।पढ़ाई के दौरान मुम्बई विश्व विद्यालय से अभिनय का अपने कोर्स किया और कलाकार के रूप में वर्तमान में थियेटरआपने जॉइन किया है तथा आज प्रोफेशनल कलाकार के रूप में काम करते हैं। असाधारण प्रतिभा वाले प्रदीप जी के भीतर एक बेहतरीन कलाकार भी है डांस इंडिया डांस सहित ढेर सारी फिल्मों में भी अभिनय का अवसर मिला है ।आपके जज्बे को देखते हुए मध्य प्रदेश जी अनेक संस्थाएं अपने जोड़कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती हैं