देश के विभिन्न अंचलों में मात्र डेढ़ वर्ष के अंदर ही स्वच्छता हेतु 300 से भी अधिक कार्यशाला संपन्न कराकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लेना सामान्य तौर पर संसाधन संपन्न शासकीय संस्थाओं के लिए भी सरल नहीं होता है, किसी व्यक्ति विशेष द्वारा अपने आत्मबल पर यह कार्य किया जाना तो असंभव सा होता है। लेकिन इस असंभव को संभव बना देने वाली अद्भुत कर्म योद्धा, झारखंड में रांची के निवासी उस शख्सियत का नाम है श्री बिंदु भूषण दुबे (Bindu Bhushan Dubey) । प्रकृति के इस नायाब प्रहरी ने प्रकृति के सभी घटकों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जो अभियान छेड़ दिया है, वह किसी भगीरथ के गंगावतरण कराने सरीखा दिखता है। आप न केवल मात्र स्वच्छता के कार्यक्रमों तक अपने को सीमित किए हुए हैं अपितु भारत भूमि के सर्वांगीण विकास ,हमारी सांस्कृतिक विरासत के उन्नयन देश को बहुआयामी रूप में समृद्ध होकर विश्व गुरु के रूप में पदारूढ़ होने के लिए सन्मार्ग पर अग्रसर हैं। आपके प्रयासों में रहता है कि देश न केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो वरन भारत भूमि का प्रत्येक नागरिक स्वस्थ हो ,संस्कारवान हो एवं प्रकृति के समस्त घटकों के तारतम्य को मजबूत बनाने में अपना योगदान दें। संपूर्ण भारत को स्वच्छता के प्रकाश से आभायमान करने के लिए कृत संकल्पित श्रीयुत दुबे जी गंगा जी की अविरल धार को निर्मल बनाने हेतु भी पूर्ण समर्पण के साथ प्रयासरत हैं। आपकी अखंड साधना को देखते हुए प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रारंभ की गई नमामि गंगे परियोजना एवं स्वच्छ गंगा मिशन का जन जागरण का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया है ।आपने अपने स्वच्छता के अभियान का प्रारंभ 11 जुलाई 2017 को झारखंड के एक कालेज से प्रारंभ किया।
इसके बाद देश के अनेक हिस्सों यथा उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली ,मध्य प्रदेश, असम ,कोलकाता, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड तक यह यात्रा पहुंची । 24 दिसंबर 2018 को आपके इस महाअभियान के तीन सौ एक कार्यशाला पूर्ण होने पर विश्व विख्यात वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) ने इसे विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज किया। रांची में 1 जनवरी 1971 को जन्मे श्री बिंदु भूषण दुबे जी कॉमर्स विषय से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद समाज सेवा को अपना रास्ता चुना और निकल पड़े इस पथ पर ।सन 2000 ईस्वी से आप इस दिशा में पूर्ण समर्पण भाव से रत हैं, सृष्टि के समग्र विकास एवं संरक्षण हेतु अखिल भारतीय राष्ट्रीय शांति प्रतिष्ठान नामक राष्ट्रीय संस्था के अध्यक्ष के रूप में न केवल भारत अपितु विश्व के अनेक देशों में घूम घूम कर भांति भांति के आयोजन आप करते रहते हैं तथा लोगों को जागरूक करते हैं।
आप व्यक्ति की वाह्य स्वच्छता पर जितना जोर देते हैं उससे भी अधिक आंतरिक स्वच्छता पर यानी कि मन निर्मल हो, सुसंस्कारवान हो इन बातों पर ध्यान देते हैं ।आप का मानना है कि अन्यथा वाह्य स्वच्छता बेमानी साबित होगी ।प्रकृति के सभी घटकों में सामंजस्य बना रहे इसके लिए सभी को जागृत करने हेतु आप सैकड़ों कार्यक्रम करते रहते हैं। वर्तमान अंधे विकास की दौड़ में मनुष्य द्वारा प्रकृति के प्रति किए गए घोर नुकसान को लेकर आप अत्यधिक व्यथित रहते हैं, इसीलिए संपूर्ण सृष्टि के उत्थान हेतु अपने को समर्पित कर देने वाला यह नायाब योद्धा अपनी अखंड कर्म साधना में रत है।