विश्व रिकॉर्ड अपने आप में बहुत सम्माननीय है। विश्व रिकॉर्ड का मतलब ही वही है जो अलग है, अनोखा, विलक्षण है, जो सामान्य नहीं है जो महत्वपूर्ण है। हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किया जाता है जो कुछ अलग करते हैं, कुछ विशेष करते हैं, जो अपने समर्थकों को ही नहीं अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलने की ताकत रखते हैं क्योंकि…
“निगाहें नीचे रखते हैं बुलंदी के निशां वाले
उठाकर सर नहीं चलते, जमीन पर आसमां वाले”
इसका अर्थ है कि जिनके भी नाम इतिहास में अमर हुए हैं उन्होंने कुछ असाधारण अवश्य ही किया है। किसी भी बड़े काम की शुरुआत हमेशा एक विचार से होती है। विचार शक्ति बहुत ही महत्वपूर्ण है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ वेद प्रताप वैदिक जी (Dr. Ved Prakash Vaidik) के शब्दों में “विचार की शक्ति परमाणु शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली है”
यदि हम सोचें तो हम ये पाएंगे कि परमाणु का विचार, परमाणु का उद्भव, उसकी उत्पत्ति भी तो एक ‘विचार’ का ही तो परिणाम है। इस संसार में जो कुछ भी नया, मौलिक होता है उसके परोक्ष में एक विचार शक्ति होती है। जब कुछ भी नया स्थापित होता है, चाहे वह रिकॉर्ड हो, कोई वस्तु हो, कोई नियम हो, किम बहुना कुछ भी हो, उसके पीछे या तो आवश्यकता होती है या कुछ कर गुजरने की चाह, इच्छा, जुनून, ये सब अभिप्रेरणाएं काम करती हैं। इसका एक उदाहरण यहां मैं देना चाहती हूँ कि आज ओला, उबर को कौन नहीं जानता। उसकी उत्पत्ति भी एक ‘विचार’ से हुई और उसके पीछे जो अभिप्रेरणा काम कर रही थी वह ‘आवश्यकता’ की थी। किसी ने सोचा कि “क्यों ना ऐसा हो कि मैं टैक्सी के पास जाने की बजाय कुछ ऐसा हो कि टैक्सी मेरे पास स्वयं आ जाए”। बस इसी विचार से ही ओला, उबर का उदय हुआ। मेरे जीवन में भी ऐसा ही कुछ है। “जो प्राप्त है वही पर्याप्त है”, लेकिन उसके अलावा भी और भी बहुत कुछ करने को है, पाने को है, स्थापित करने को है, क्योंकि THE SKY HAS NO LIMITS.
जिस प्रकार आकाश अनंत है, मनुष्य की सोच भी अनंत है, उसके इरादे, उसके जज्बात, उसके जुनून को किसी पैमाने के तहत नापा नहीं जा सकता। संसार में जिन भी लोगों ने बुलंदियों को छुआ है उनके पीछे यही अभिप्रेरणा काम करती है। यह अभिप्रेरणा हमें ऊर्जा, शक्ति, हौसला, विपत्तियों से लड़ने की क्षमता, नाकामियों से ना घबराने का उत्साह, विरोधियों का सामना करने की ताकत और भी न जाने क्या-क्या प्रदान करती है। इसीलिए हर इंसान में वह आग और जज़्बा होना बहुत जरूरी है कि हमें कुछ करना है, इस जीवन में कुछ विशेष स्थापित करना है।
यह सब ईश्वर का वरदान है और इन सब के पीछे जो अदृश्य शक्ति काम करती है वह है “बड़ों का आशीर्वाद” और “उस सर्वोत्तम सत्ता का विशेष स्नेह” क्योंकि इन सबके बिना कुछ भी सम्भव नहीं है। इसी के साथ जब तक हम खुद प्रयास नहीं करेंगे तब तक हमारी सहायता कोई भी नहीं कर सकता। विश्व रिकॉर्ड की संकल्पना मेरे मस्तिष्क में तब आई जब मैंने किसी और की मदद गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) के लिए ही बहुत अच्छे स्तर पर की। मैं खुद पहले दो बार विश्व रिकॉर्ड के विभिन्न संकलनों में प्रतिभागी (participant) के तौर पर सम्मिलित हो चुकी हूँ। इसके अतिरिक्त वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर मृगेंद्र राज (World Record holder Mrigendra Raj) मेरी जीवनी (biography) भी लिख चुके हैं। लेकिन तब तक भी मेरे मन में ऐसा कोई विचार नही आया था। लेकिन जिस प्रकार कहा जाता है कि जब हम किसी और की मदद करते हैं तो हमारे रास्ते भी अपने आप खुल जाते हैं। यही मेरे साथ भी हुआ। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के विश्व रिकॉर्ड स्थापना करने के लिए मैंने एक महिला की बहुत अधिक मदद की, उन्हें सही रास्ता दिखाया उन्हें संपर्क दिए तो फिर ईश्वर ने मुझे भी यह कार्य करने के लिए अभिप्रेरित किया कि जब मैं दूसरों की मदद विश्व रिकॉर्ड की स्थापना के लिए कर सकती हूँ तो मैं खुद क्यों नहीं विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर सकती। बस यही से इस विश्व रिकॉर्ड की स्थापना का यह विचार आया और विचार शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है यह तो हम बता ही चुके हैं। इसके बाद कुछ ऐसा करना था जो पहले नहीं हुआ तो मैंने विचार किया कि क्यों न खेलों को साहित्य से जोड़ा जाए, काव्य से जोड़ा जाए। क्योंकि कहीं ना कहीं काव्य और खेल आपस में जुड़े हुए हैं। दोनों में ही बहुत सी समानताएं देखी जा सकती हैं जैसे दोनों में ही शक्ति मानसिक, शारीरिक, संघर्ष, अनुभव, अभ्यास, निरंतरता, गतिशीलता, अनंतता आवश्यक है। इस प्रकार हम इन दोनों में सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं।
इस पर मैंने शोध किया और उसके बाद अर्जुन पुरस्कार विजेताओं (Arjun Award Winners) की एक लिस्ट तैयार की जिसमें उन खिलाड़ियों को विशेष रुप से सम्मिलित किया गया जिनके बारे में, उनके खेल के बारे में हममें से बहुत से लोग जानते तक नहीं है। जो प्रतिष्ठित है उन्हें किसी भी और उपलब्धि की आवश्यकता नहीं है इसीलिए मैंने उन नामों को दूर रखा और ऐसे नामों का संकलन किया जिनके बारे में हम जानते तक नहीं है। यह विडंबना ही होगी कि जो हमारे भारत के लिए इतना बड़ा पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं उनके नाम तक हम नहीं जानते हैं, उनके खेलों के नाम तक हम नहीं जानते हैं। यह कार्य करते हुए मुझे स्वयं बहुत सी जानकारियां प्राप्त हुई कि हमारे भारत में कितने प्रकार के खेल खेले जा रहे हैं और उन पर अर्जुन पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान भी किए जा चुके हैं लेकिन हमें उनकी रत्ती भर भी जानकारी नही है। मेरा लक्ष्य इसमें अधिकतर युवाओं को सम्मिलित करना रहा है क्योंकि जब वह विषय का चयन करेंगे तो इंटरनेट पर उनसे संबंधित जानकारी देखेंगे। इसी प्रक्रिया में वह दो-तीन नाम लेकर उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने का प्रयास करेंगे और जो उन्हें उचित लगेगा उसी का चयन करेंगे। इसी बहाने वह लगभग 2 से 3 खिलाड़ियों के बारे में, उनके खेल के बारे में जानकारी हासिल कर लेंगे जो उन्हें भविष्य में कहीं ना कहीं जरूर काम आएगी।
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 40 दिनों का समय लगा। परियोजना की संकल्पना से लेकर पूर्ण होने तक की प्रक्रिया बहुत ही रोचक रही। इस कार्य को करने में बाकी सब कुछ बहुत अच्छा रहा लेकिन जो सबसे बड़ी बात है तो यह है कि यह एक समर्पण है अपने देश के प्रति, अपने खिलाड़ियों के प्रति भी जिन्होंने भारत देश का नाम रोशन किया है और यही जज्बा हमारी सभी प्रतिभागियों के अंदर भी परिलक्षित होता है जो सभी ने अपनी ओर से अपने भारत देश को, अपने अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को एक भावपूर्ण रचना के माध्यम से उनका आभार प्रकट किया है। सबसे पहले इस परियोजना का गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में विधिवत रूप से आवेदन किया गया जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से Claim ID – GBWR /Asia/21/in/0323 के तहत 31 मार्च 2021 को आधिकारिक रूप से अनुमति प्रदान की गई। उसके बाद 133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं जो विभिन्न प्रकार के खेलों से संबंधित रहे हैं उनकी लिस्ट तैयार की गई। तत्पश्चात विभिन्न माध्यमों के द्वारा इन 133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं के नामों को देश के विभिन्न प्रख्यात कवियों, लेखकों, रचनाकारों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों आदि को प्रदान किया गया। इसके बाद इन सभी ने लगभग 25 दिन की प्रक्रिया में अपना कार्य पूर्ण किया। ध्यातव्य है कि यह योजना पहले 111 अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों पर तैयार की गई थी लेकिन वह पूरी होने के बाद बहुत से मित्रों के आग्रह पर इसे दोबारा से 133 (+22) खिलाड़ियों की अनुमति आधिकारिक रूप से GBWR से दोबारा प्राप्त की गई। तत्पश्चात विभिन्न माध्यमों के द्वारा इन 133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं के नामों को देश के विभिन्न प्रख्यात कवियों, लेखकों, रचनाकारों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों आदि को प्रदान किया गया। प्रतिभागियों को एक-एक विषय लेने के लिए कहा गया और उस पर काव्य सृजन के लिए उन्हें आवश्यक नियमों की जानकारी भी प्रदान की गई कि आपको केवल 20 से 25 पंक्तियों में ही अपनी रचना को सीमित रखना है। इसके बाद इन सभी ने लगभग 25 दिन की प्रक्रिया में अपना कार्य पूर्ण किया।
यह काव्य संकलन पूर्णतया शोध पर आधारित है और इसमें देश-विदेश के जिन रचनाकारों को सम्मिलित किया गया है वे इन खिलाड़ियों के जीवन को पूरा पढेंगे, उन्हें आत्मसात करेंगे तथा उसके बाद 20 से 25 पंक्तियों में उनके जीवन का सार प्रस्तुत करेंगे जो अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक होगा। यह काव्य संकलन पूरी तरह से खेलों पर आधारित है। इसी के साथ-साथ वे भी खेलने के लिए प्रेरित हों ऐसी भावना के साथ इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम किया गया। प्रभु की असीम अनुकंपा से एवं सभी की शुभकामनाओं के साथ हमने 03 मई 2021 को इस प्रोजेक्ट के सारे डॉक्यूमेंटस GBWR को जमा कर दिए। विश्व रिकॉर्ड के लक्ष्य को हमने 14 मई 2021 को अक्षय तृतीया के पावन दिवस पर प्राप्त कर लिया जिसकी आधिकारिक स्वीकृति हमें प्राप्त हुई । इसे first poertry book on Arjuna Award recipients शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इसमें न केवल हमारे देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, शिक्षाविद आदि ही सम्मिलित नही हैं अपितु इसी के साथ-साथ विदेशों के प्रवासी साहित्यकार भी शामिल हुए हैं जिनमें कपिल कुमार जी (बेल्जियम), शालिनी वर्मा जी (कतर), डॉ रमा जी (जापान), डॉ सीमा भांति जी (अमेरिका), डॉ शिप्रा शिल्पी जी (जर्मनी), डाॅ दीपा पालक्किल कालियत जी (ओमान) से हैं। अब यदि यह कहा जाए कि यह काव्य संकलन अंतरराष्ट्रीय (international) स्तर का है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसी के साथ ISRO से वरिष्ठ वैज्ञानिक और एडवोकेट भी हमारे इस काव्य संकलन में सम्मिलित हैं।
इस पुनीत कार्य मे हमारे साथ SPAA (Sports Academy Association of India) सहयोग कर रहा है। SPAA भारत सरकार के MHRD मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐसी संस्था है जो विभिन्न प्रकार के खेलों में जैसे कबड्डी, बैडमिंटन, कुश्ती में स्नातक, स्नातकोत्तर, मैनेजमेंट इत्यादि से संबंधित कोर्स करवाती है। यह संस्था स्कूल लेवल से लेकर नेशनल लेवल तक अवसर प्रदान करती है। यह संस्था इस बात पर ज़ोर दे रही है कि ‘खेल’ को भी रोजगार से जोड़ा जाए। इसी के साथ IHRO इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाईजेशन भी हमारे साथ है। अंतरराष्ट्रीय हुमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन IHRO जिसकी मैं दिल्ली स्टेट की जनरल सेक्रेटरी हूँ। पिछले लगभग 4 वर्षों से इस संस्था के साथ जुड़ी हुई हूँ। IHRO के वर्ल्ड चेयरमैन डॉ नेम सिंह प्रेमी जी से मेरी बात हुई तो उन्होंने भी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इस कंसेप्ट को बहुत ही पसंद किया एवम अंतरराष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन (IHRO) की तरफ से सभी प्रतिभागियों को Appreciation का ई सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। मैं डॉ नेम सिंह जी का धन्यवाद करती हूँ कि उन्होंने हमारा मनोबल बढ़ाया।
यह कविता संकलन अपने आप में अनोखा है क्योंकि सबसे पहले तो यह कविताएं हमारी राजभाषा हिंदी में ही प्राप्त की गई है। हमने इसका ब्रोशर भी राजभाषा हिंदी में ही बनवाया है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के नाम से जो व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है उसमें सभी सूचनाएं, जानकारियां भी हिंदी भाषा में ही प्रेषित की गई हैं। दूसरी बात इस संकलन में सबसे वरिष्ठ कवयित्री (श्रीमति मोतिया शर्मा, आयु लगभग 78 वर्ष) और सबसे युवा कवयित्री (प्रज्ञा शर्मा, आयु लगभग 12 वर्ष) भी सम्मिलित की गई हैं। सभी प्रतिभागियों ने अपने अर्जुन पुरस्कार विजेता को अपने भाव, अपनी पुष्पांजलि बहुत सुंदर तरीके से अर्पित की है। इनमें भाव प्रवणता इतनी अधिक दिखाई देती है कि आप भी भाव-विभोर हुए बिना नहीं रह पाएंगे।
इसी के साथ-साथ इन अर्जुन पुरस्कार विजेताओं तथा प्रतिभागियों में कुछ न कुछ तो दैवीय संबंध परिलक्षित होता है कि जब हम इन दोनों यानी प्रतिभागियों और अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की फोटो को देखते हैं तो कहीं ना कहीं इनमें पुनर्जन्म का रिश्ता दिखाई देता है क्योंकि यह सभी प्रतिभागी इन खिलाड़ियों से आत्मिक रूप से जुड़ गए हैं। इन सभी ने इन खिलाड़ियों पर गहन शोध किया। उनके जीवन, उनके चरित्र, उनके संघर्ष, उनकी उपलब्धियों और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में सारी जानकारी एकत्रित की। उसके बाद उन्होंने समग्रता से अधिकतम 25 पंक्तियों की एक कविता में उनके जीवन का सार प्रस्तुत किया है। वास्तव में ही यह ‘गागर में सागर’ है कि आप 25 पंक्तियों में किसी का जीवन दर्शन प्रस्तुत कर पाए।
जल्दी ही अंतर्राष्ट्रीय काव्य संकलन पर एक पुस्तक भी प्रकाशित की जा रही है जिसका कार्य प्रगति पर है। मुझे आशा ही नहीं विश्वास है यह कार्य अपने आप में विश्व रिकॉर्ड तो बना ही चुका है इसके साथ-साथ यह एक पुस्तक के रूप में संकलित होकर हमेशा के लिए अमर हो जाएगा क्योंकि शब्द ब्रह्म होते हैं। हमारा प्रयास होगा कि इस पुस्तक का विमोचन बहुत ही भव्य समारोह के साथ एक बहुत बड़े भव्य मंच पर किया जाए। हम अपने सभी प्रतिभागियों को तो इसमें सादर आमंत्रित करने का प्रयास करेंगे उसी के साथ-साथ हम यह भी प्रयास करेंगे कि जितने भी हमारे अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ी हैं उनको भी इस भव्य कार्यक्रम में पधारने के लिए हम अनुरोध करें। यह एक योजना है इसमें हम कहां तक सफल हो पाते हैं यह तो परिस्थितियां ही बता सकती हैं। क्योंकि वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना महामारी की त्रासदी से गुजर रहा है। भविष्य के लिए अभी कुछ भी कहना कठिन है। फिर भी हमारी योजनाएं बहुत बड़ी हैं। हमने बहुत सी संस्थाओं जैसे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, आदि को भी अपने इस कार्यक्रम, इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में सूचित किया है जिन की तरफ से अभी कुछ भी जवाब आना बाकी है। हमारी इच्छा शक्ति बहुत प्रबल है, सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं। आगे क्या होता है वह प्रभु इच्छा पर निर्भर करता है।
मैं अपने सभी प्रतिभागियों का हृदय तल से आभार व्यक्त करती हूँ और मैं धन्यवाद देती हूँ कि वे सभी इतने बड़े लक्ष्य में मेरे साथ रहे और उन्होंने इस पुनीत कार्य में बढ़-चढ़कर मेरा साथ निभाया। इसी के साथ मैं अपने सभी बड़ों का, ईश्वर का धन्यवाद करती हूँ जिनके सहयोग, जिनकी प्रेरणा, जिनके आशीर्वाद, जिनकी शुभकामनाओं के बिना मैं कुछ भी नहीं कर सकती। एक स्त्री के लिए उसका परिवार सर्वोपरि होता है यदि वह सहयोग नहीं करता तो वह कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। इस पुनीत कार्य में मैं अपने पतिदेव श्री नीरज शर्मा जी (जिनके बिना मैं अधूरी हूँ, जो हर कठिनाई में मेरे साथ रहते हैं तथा अपने अमूल्य मार्गदर्शन के साथ मुझे हमेशा ही प्रेरित करते हैं) का विशेष रूप से आभार व्यक्त करती हूँ। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे ईश्वर ने इतना अच्छा जीवनसाथी प्रदान किया है जो मुझे आगे बढ़ते हुए देखकर प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ-साथ मैं अपनी दोनों पुत्रियों प्रतिष्ठा शर्मा, प्रज्ञा शर्मा तथा अपने पूरे परिवार का धन्यवाद करती हूँ।
आशा है इन सभी का आशीष सदैव मुझ पर बना रहेगा। जीवन में अभी और भी बहुत कुछ करना बाकी है। जिस प्रकार मैंने ऊपर कहा है कि आकाश की अनंतता हमें बहुत कुछ कहती है। प्रकृति से बढ़कर कोई भी अभिप्रेरक नहीं है। यदि हम माने तो सब कुछ है ना माने तो कुछ भी नहीं। नदियों की निरंतर गति, सूर्य-चंद्रमा का नियत समय पर उदय और अस्त होना, सागर की गहराई, सभी जीव जंतुओं का क्रियाशील रहना हमें निरंतर गतिशील, क्रियाशील और अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ने की हमेशा ही शिक्षा देता है। हमें इन सबसे ही सीख कर आगे बढ़ना चाहिए। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इस पूरी मुहिम में विशेष रुप से मैं धन्यवाद करना चाहती हूँ डॉ दिग्विजय शर्मा जी, यति शर्मा जी, डॉ अरविंद कुमार उपाध्याय जी, आचार्य सुरेश शर्मा जी “भारद्वाज”, एडवोकेट अनुराधा जी, प्रशांत अवस्थी जी और आदित्य प्रताप सिंह जी का जिन्होंने अपना अमूल्य योगदान और समय मुझे प्रदान किया। इसी के साथ-साथ तेहन कटारा जी जो हमारे तकनीकी विशेषज्ञ हैं उनका भी मैं विशेष रूप से आभार व्यक्त करती हूँ कि उन्होंने मुझे अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया। भविष्य में और कुछ भी करने के लिए निरंतरता, गतिशीलता, सकारात्मकता आवश्यक है। भविष्य की अनंत संभावनाओं के साथ मैं आप सभी का पुनः धन्यवाद करती हूँ जिनका सहयोग मुझे आत्मिक रूप से मिलता रहा है।
“बड़ा मुश्किल है इस जमाने में, जिंदगानी लिखना
जैसे मुश्किल है पानी पर, पानी से, पानी लिखना।”
चरैवेति चरैवेति
Brochure-133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं एवं संबंधित काव्य रचना
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