सैलून और हेयर ड्रेसर से अलबत्ता सभी व्यक्तियों का पाला पड़ता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष लेकिन इससे जुड़े कार्य करने वालों को प्राचीन काल से ही सेवक का दर्जा दिया जाता था। कमोवेश अभी भी इस नजरिए में अधिक बदलाव नहीं दिखाई देता है। कोई सैलून चलाने वाला या कोई हेयर ड्रेसर क्या समाज के एक खास तबके को जिसे खुशी के एक टुकड़े की दरकार हो उसे प्रसन्नचित कर सकता है ? लोगों के नजरिए में बदलाव ला सकता है? और क्या हेयर डोनेशन करा कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा सकता है? यह प्रश्न है तो बड़ा कठिन, परंतु राजस्थान प्रांत के उदयपुर निवासी श्री अशोक पालीवाल (Ashok Paliwal) ने यह अति पुनीत कार्य करने का अनूठा कारनामा कर दिखाया है।
अशोक पालीवाल जी के पुरखे पुश्तैनी रूप से हेयर ड्रेसर का कार्य करते थे, इसलिए आपने पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी इसी क्षेत्र में काम करने का निर्णय लिया। आपका सैलून उदयपुर शहर का सबसे पुराना सैलून होने के नाते काफी प्रतिष्ठित है एवं जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिदिन लोग आते हैं। श्री अशोक पालीवाल जी छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों से खूब जुड़े हुए थे इसलिए आपके मन में यह बात कचोट रही थी कि इस पेशे से जुड़े हुए लोगों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित किया जाए, उन्हें स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाए, फलतः आप इस दिशा में लग गए एवं इस कार्य हेतु सभी सैलून चलाने वालों का संगठन बनाना शुरू किया। स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन बनाने के बाद, सभी को विशेषकर युवाओं को अपने विचारों से अवगत कराने लगे जिसमें आपको धीरे-धीरे आशातीत सफलता मिलने लगी। इस पेशे में लगे लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिलाने लगे एवं इससे संबंधित अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओ में अपने लोगों के प्रतिभाग को भी सुनिश्चित करने लगे, और इसमें भी आपको सफलता मिलने लगी। अपने कार्य के साथ-साथ ही अशोक पालीवाल जी सामाजिक कार्यों से भी दिल से जुड़े रहते इसी व्यक्तित्व के चलते आप रोटरी क्लब से भी जुड़े और रोटरी क्लब उदयपुर पन्ना के अध्यक्ष भी मनोनीत हुए।
इसी व्यक्तित्व के चलते आप रोटरी क्लब से भी जुड़े और रोटरी क्लब उदयपुर पन्ना के अध्यक्ष भी बनाए गए। एक बार अशोक पालीवाल जी का परिचय मुंबई स्थित “मदद ट्रस्ट” से हुआ जो कैंसर की बीमारी से जूझ रही महिलाओं को विग बनाकर उपलब्ध कराती हैं ताकि उन्हें कुछ खुशी दिलाई जा सके, समाज से पुनः जोड़ा जा सके एवं कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने का हौसला मिले। अब पालीवाल जी लग गए इस कार्य में और महिलाओं को हेयर डोनेट कराने के लिए जागरूक करने लगे। प्रारंभिक दौर में कठिनाइयां आई, लेकिन धीरे-धीरे लोग आपकी बात समझने लगे, आपके नेक इरादे से प्रभावित होकर हेयर डोनेट करने लगे। विग बनाने के लिए 12 से 13 इंच लंबाई के बालों को ही काटा जा सकता है और 6 से 7 महिलाओं के बाल मिलाकर एक विग तैयार होती हैं, अतः कम लंबाई के बाल अनुपयुक्त होते हैं। जुलाई 2019 में आपने हेयर डोनेशन का कार्य शुरू किया और 6 महीने के भीतर ही 100 से अधिक महिलाओं ने आपसे प्रभावित होकर हेयर डोनेट किए, यह आपके त्याग के चलते ही संभव हो सका इस कार्य में आपकी टीम का अभूतपूर्व योगदान रहा।
एक दिन आपके पास सुश्री मनाली कुंवर नाम की एक महिला हेयर डोनेट करने के लिए आई जो योग शिक्षिका थी, उनके बाल अत्यधिक लंबे थे, इतने लंबे बालों को कटवाने के लिए तैयार उस महिला को देख आप आश्चर्यचकित हो उठे क्योंकि सुश्री मनाली कुंवर के बालों की लंबाई 50 इंच से अधिक थी आपके मन में अचानक ख्याल आया क्यों ना इतने लंबे बालों के डोनेशन का एक विश्व रिकॉर्ड बने। इस हेतु आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (GBWR) के ऑफिस में संपर्क किया, रिकॉर्ड मैनेजमेंट जज एवं गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि द्वारा यह अवगत कराया गया कि अभी तक 43 इंच हेयर डोनेट करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। समस्त औपचारिकताएं समझने के बाद आपने एवं सुश्री मनाली कुंवर ने इस विश्व रिकॉर्ड को तोड़कर नया विश्व रिकार्ड बनाने का निर्णय लिया। अंततः 5 मार्च 2020 को वह दिन आया जब सुश्री मनाली कुंवर द्वारा 44 इंच हेयर डोनेट करने के पूर्व के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में नाम दर्ज कराया। सुश्री मनाली ने इस उपलब्धि का पूरा श्रेय श्री अशोक पालीवाल जी को दिया क्योंकि आपकी प्रेरणा से ही यह संभव हो सका था। इस असाधारण उपलब्धि पर अशोक पालीवाल जी को समाज के प्रत्येक वर्ग से अत्यधिक प्रशंसा मिल रही है तथा इस विश्व रिकॉर्ड के बनने के बाद अब काफी संख्या में महिलाएं इस पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिए आपके साथ जुड़ रही हैं।