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परिस्थितियों के अनुसार सब चीज सुंदर हैं। जो स्कूल की घंटी सुबह के समय बेकार लगती है, वही छुट्टी के समय बहुत अच्छी लगती है।
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अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएं तो सागर हैं अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं अकेले हम कागज हैं, मिल जाएं तो किताब हैं जीवन का आनंद मिलजुल कर रहने में है खुश रहो खुशिया बाँटते रहो।
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ। जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे, चाहे वो सामान हो या सम्मान।
हर चीज वही मिल जाती है, जहाँ वो खोयी हो, लेकिन, विश्वास वहाँ कभी नही मिलता,जहाँ एक बार खो जाता है।