वैसे तो फिल्म जगत को हरियाणा ने अनेक कोहिनूर दिए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, लेकिन एक जौहरी ऐसे भी है जिन्होंने हरियाणा के दूरदराज गांवों में छिपी हुई प्रतिभाओं को खोज-खोज कर, तराश कर उन्हें मुंबई में पहुंचा कर सितारा बना दिया। पर्दे के पीछे उस असली नायक को फिल्मी दुनिया में श्रीयुत जगत परदेशी (Jagat Pardeshi) के नाम से जाना जाता है।
श्री जगत परदेशी जी उर्फ जगत ताऊ जी एक लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में अपनी अच्छी खासी जिंदगी जी रहे थे, लेकिन उस समय भी उनके मन में रह-रह कर यह टीस उठती रहती थी कि उनके क्षेत्र, गाँव, प्रांत में तमाम प्रतिभाएं (Talent) हैं जो योग्यता होने के बावजूद उचित मंच न मिल पाने के कारण आगे बढ़ नहीं पाती हैं तथा उन्हें आगे बढ़ता न देख परदेशी जी को बहुत कष्ट होता था। आपके मन में यही हलचल सदैव रहती थी कि क्षेत्र की उभरती प्रतिभाओं को कैसे आगे बढ़ाया जाए। मन में यह उहापोह चल ही रही थी कि कुछ घर-परिवार के हालातों को देखते हुए आप पत्रकारिता जगत से धीरे-धीरे दूर हो गए, लेकिन मन ही मन अपने इस संकल्प को और दृढ़ करते हुए कि उभरते हुए नए कलाकारों को मुकम्मल स्थान तक पहुंचाने में भरपूर मदद करूंगा। अपनी सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए आपने पी. एम. जी. एंटरटेनमेंट कंपनी (P.M.G. Entertainment Company) की स्थापना की। इसके माध्यम से नवोदित कलाकारों को आगे बढ़ाने में जबरदस्त मदद मिलना प्रारंभ हुई। आपने अभी तक कला जगत को तकरीबन सैकड़ों कलाकार उपलब्ध कराएं जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। आपका एक ख्वाब भी था कि कलाकारों को सभी सुविधाएं मुहैया हो सके ताकि उन्हें माया नगरी (मुंबई) की तरफ न भागना पड़े। परदेशी जी नवोदित कलाकारों को बेहतर मंच उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनकी हौसला अफजाई भी करते हैं। आपने उनका सम्मान करना, उन्हें अवार्ड देना भी शुरू किया है। विगत वर्षों से आपने अपने गाँव “जमाल” में ताज हरियाणा अवार्ड (Taj Haryana Award) का कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें अनेक लब्ध प्रतिष्ठित कलाकार प्रतिभाग करते हैं। जगत जी के मन में यह नहीं है कि बड़ी-बड़ी फिल्में बनाकर खूब धनार्जन किया जाए, आपकी ख्वाहिश है कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े बिंदुओं को पर्दे पर दिखाया जाए, विभिन्न कुरीतियों को फिल्मों के माध्यम से सभी के समक्ष रखा जाए। आज आप अपनी इसी सोच को धीरे-धीरे विस्तार देते जा रहे हैं।
कभी एक साधारण परिवार में जन्मे एवं सामान्य सा जीवन-यापन करने वाले परदेशी जी आज उत्तर भारत के कलाकारों के मसीहा “ताऊ जी” बन गए हैं। कच्ची मिट्टी को गढ़कर छिपी हुई प्रतिभाओं को सिरमौर बना रहे हैं। ताज की चमक को जो व्यक्ति कभी देखने को सोच नहीं सकते थे उनके सर पर ताज सजाने का कार्य इस बेजोड़ जादूगर द्वारा किया जा रहा है।