हावी जब कटुता हो जाती, घटता जाए स्नेह।
ज्यों अंदर अंदर काटता मानव को मधुमेह ।
बरतना सावधानी हमने गर न रखी जारी,
बीमारियां हमारे ऊपर पड़ सकती हैं भारी।

वैसे तो उपरोक्त पंक्तियां स्वास्थ्य से संबंधित हैं एवं कवि ने इसे काव्य रूप अंत्यंत सुन्दर एवं सृजनात्मक रूप में लिखा है। इससे यह तो पता चलता ही है कि इन पंक्तियों के रचयिता अच्छे कवि हैं, परंतु जब हम यह जानते हैं कि लेखक मूलतः पेशे से चिकित्सक हैं, तो मुंह से बरबस अद्भुत, वाह निकल जाता है।

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के, बीहड़ तथा अत्यधिक पिछड़े गांव गहरौली में 1 मार्च 1947 को एक जमींदार घराने में जन्मे डॉ सुभाष चंद्र गुरुदेव जी (Dr. Subhash Chandra Gurudeo) वनस्पति विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद, भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) से MBBS करने के उपरांत सरकारी सेवा में आ गए। बुंदेलखंड के पिछड़े इलाके में गरीबी, अशिक्षा और अनेक प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं सहित अनेक दिक्कतों को आपने नजदीक से देखा, फलतः मन में बहुत पीड़ा थी। आप सरकारी सेवा में पूर्ण समर्पण से रहते थे, साथ ही लेखनी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का भरपूर प्रयास करते। आपने आमजन को स्वस्थ रखने हेतु कविताओं का सहारा लेना शुरू किया। विभिन्न बीमारियों (Diseases) के कारण एवं निवारण हेतु कविता लिख कर सुनाने लगे। धीरे-धीरे आपकी ख्याति बढ़ती गई एवं प्रख्यात कवियों में आपकी गणना होने लगी।

विज्ञान के एकलौते कवि के रूप में संपूर्ण देश में आप प्रसिद्ध हो गए तथा दूर-दूर से आपको आमंत्रण आने लगे । बीमारियों के कारण तथा बचाव के तरीकों के अति सरल एवं सहज उपाय को आपने काव्यरूप में लिखना शुरू किया, जिसे सुनकर अशिक्षित लोग भी बड़ी आसानी से समझने लगे। दरअसल यह आपके लेखनी की जीत थी। आगे चलकर आपने स्वास्थ संबंधी विषयों पर एक पुस्तक भी लिख डाली जो, स्वास्थ्य संहिता नाम से मशहूर हो गई। उसे पढ़कर बड़े-बड़े साहित्यकार भी दंग रह गए। पुस्तक में चिकित्सकीय बारीकियां तो सरल रूप में हैं ही, साथ ही इसमें आपकी साहित्यिक मनीषा भी बेमिसाल है। इसे कुछ अन्य संस्थाओं में दर्ज कराने के बाद, आपने अपना नाम विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में दर्ज कराने की सोचा, इस लिहाज से GBWR के कार्यालय से संपर्क कर आवेदन पत्र प्रेषित किया। विषय का अनोखापन, मौलिकता तथा विशिष्टता को देखते हुए पुस्तक स्वास्थ्य संहिता को मार्च 2018 में मेडिकल साइंस की प्रथम काव्य पुस्तक (First Poetry Book on Medical Theme) के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। पुस्तक में विभिन्न प्रकार की बीमारियों (Diseases) पर 125 कविताएं हैं। इस वैश्विक उपलब्धि पर आपकी अत्यधिक प्रशंसा हुई तथा अनेक अवार्डों से सम्मानित किया गया। आपने स्वास्थ्य संबंधी विषयों की तीन पुस्तकें लिखी हैं। सुंदरम, स्वास्थ्य संहिता तथा अनुवांशिक उत्पाद। एक बार पुनः आपने अपनी पुस्तक “आनुवंशिक उत्पात” को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने हेतु आवेदन किया। गहन जांच उपरांत अपने अनूठेपन के कारण इस पुस्तक ने भी गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया।

स्वास्थ्य समस्याओं को काव्य रूप में समेट कर आमजन को सतर्क करने, जागरूक करने का पावन कार्य इस महात्मा द्वारा किया जा रहा है, जो ना केवल प्रशंसनीय है अपितु वंदनीय भी है। आज डॉक्टर सुभाष चंद्र गुरुदेव जी चिकित्सकों, कवियों एवं साहित्यकारों के बीच समान रूप से सम्मानित श्रेणी में गिने जाते हैं। आज उम्र के इस तिहत्तरवे (73) पड़ाव पर भी आप आभायमान सितारे के रूप में लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। जिस सरलता से आप अपनी बातों को लोगों को पंहुचा रहे है उससे जन सामान्य ना केवल बीमारियों को अच्छे एवं सरल रूप से समझ रहे है बल्कि जीवन में रोगों से लड़ने के लिए भी सक्षम हो पा रहे है। चिकित्सा एवं काव्य को एक सूत्र में पिरोने के लिए डॉ. सुभाष चंद्र गुरुदेव जी सदा-सदा के लिए याद किए जाते रहेंगे।