गरीब, बेसहारा एवं लाचार लोग हमें अक्सर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के आस-पास, मंदिरों के बाहर आदि दिखाई देते है जिन्हें देखकर अधिकांश लोगों के मन में दया एवं उनकी मदद करने की भावना उत्पन्न होती है परन्तु हम कभी-कभी कुछ पैसे दे कर अपनी भावनाओं की तुष्टि करते हुए उन्हें उसी हाल में छोड़ कर पुनः अपनी दुनिया में रम जाते है, परंतु श्री सुधीर भाई गोयल जी (Mr. Sudhir bhai Goyal) वो व्यक्ति है जिन्होंने इसके बहुत आगे सोचा एवं ऐसे गरीब एवं बेसहारा लोगों के लिए एवं सुंदर संसार का निर्माण कर दिया जिसे आज सेवाधाम (Sewa Dham) के नाम से जाना जाता है।

श्री सुधीर भाई गोयल जी की इस सेवा साधना एवं सेवा धाम के निर्माण की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। इंदौर निवासी श्रीयुत सत्यनारायण गोयल जी, धर्मपत्नी श्रीमती सत्यवती देवी जी संग रहते थे। शुरुआती दिनों में आपने अनेक प्रकार के उत्तम कार्य किए तथा संघर्ष करते-करते इंदौर के सम्पन्न व्यक्तियों में गिने जाने लगे। सत्यनारायण गोयल जी के घर वर्ष 1957 में जन्मे श्री सुधीर भाई गोयल जी का हृदय बचपन से ही मानवीय संवेदना से परिपूर्ण था तथा किसी की सेवा करके उन्हें अति प्रसन्नता होती थी। क्योंकि पारिवारिक आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ थी, फलतः प्रारंभिक दिनों में श्री सुधीर भाई गोयल जी काफी शान-शौकत से रहते थे। ऐश्वर्यपूर्ण जीवन भले ही आप जीते थे, लेकिन मन तो सदैव सेवा भाव में ही आतुर रहता था। इसी भावना से ओतप्रोत, मात्र 12 वर्ष की आयु में ही श्री सुधीर भाई गोयल जी ने अजनौती नामक गांव में एक विद्यालय खोला एवं कुछ समय उपरांत बाल विकास समिति की स्थापना की। धन-अर्जन का लक्ष्य तो था नहीं, इसलिए प्रायः शिक्षकों को वेतन देने के समय परेशानी का सामना करना पड़ता था। कभी-कभी तो पिताजी के पैसे चुराकर वेतन देते थे, एक बार जब पिताजी को पैसे चुराने का ज्ञान हुआ तो बहुत दुखी हुए परंतु जब इस चोरी का कारण ज्ञात हुए तो वे प्रसन्न हो गए एवं उन्होंने स्वयं इस नेक कार्य के लिए सुधीर भाई को पैसे देना प्रारंभ कर दिया, जिससे आपको यह आत्मिक संतुष्टि मिली कि काम अच्छा हो तो कहीं न कहीं से मदद मिल ही जाती है।

धीरे-धीरे श्री सुधीर भाई अपने कार्यों का विस्तार करने लगे। जनजातियों के कल्याण हेतु काम करना, पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक काम शुरू किए। इसी कड़ी में आपने 1986 में सीनियर सिटीजन फोरम (Senior citizen Forum) की स्थापना की, जिसके प्रथम अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कवि श्रीयुत शिवमंगल सिंह सुमन जी (poet Mr. Shiv Mangal Singh “Suman”) को चयनित किया गया। आगे चलकर अनेक विख्यात शख्सियत आपके इस सराहनीय कार्य से जुड़ते चले गए। इस संस्था के वर्तमान अध्यक्ष प्रख्यात विद्वान डॉ वेदप्रताप वैदिक जी (Dr. Ved Pratap Vaidik) हैं।

छात्र जीवन में कुशाग्र बुद्धि के स्वामी होने के नाते डॉक्टर बनने के उद्देश्य से श्री सुधीर भाई वर्धा स्थित मेडिकल कॉलेज (Medical college, Wardha) जा पहुंचे। एमबीबीएस (MBBS) में दाखिला तय हो जाने के उपरांत, आचार्य विनोबा भावे जी (Acharya Vinoba Bhave) का दर्शन करने उनके आश्रम चले गए। आपका मंतव्य जानने के उपरांत आचार्य जी ने कहा “लोगों की जो सेवा आप कर रहे हो, वह अधिक जरूरी है, बजाय एमबीबीएस कर डॉक्टर बनने के”। बस यही आप एमबीबीएस का सपना छोड़ कर घर वापस आ गए एवं पुनः अपने सेवा कार्य में सन्नध हो गए। एक दिन अचानक एक कुष्ठ रोगी को देख आप द्रवित हो उठे और तब से कुष्ठ रोगियों की सेवा करना प्रारंभ कर दिया। इस कार्य में आपको प्रत्येक तरह का जबरदस्त विरोध एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु श्री सुधीर भाई ने अपना कार्य जारी रखा एवं 1986 में कुष्ठ सेवा केंद्र की स्थापना की। 13 मार्च 1987 को एक कार्यक्रम में शामिल होने आई देशसेविका, मदर टेरेसा जी (Mother Teresa) का आपके आश्रम में आगमन होने से आपके अंदर एक नए उत्साह का संचार हुआ। अब आपके मन में एक वृहद आश्रम स्थापित करने का विचार हिलोरे मार रहा था, लेकिन न तो धन था और न कोई मददगार।फिर भी धुन के पक्के श्री सुधीर भाई गोयल जी ने एक एक कदम आगे बढ़ने का निर्णय लिया। कुछ समय उपरांत उज्जैन में शहर से काफी दूर, वीरान इलाके में जमीन खरीद कर, एक झोपड़ी बनाकर, आपने “सेवाधाम” की नीव डाली। शुरुवात में एक वृद्ध महिला को सेवा धाम में आश्रय देकर उनकी सेवा करना प्रारंभ किया और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती ही चली गई। आज आपके आश्रम में सेंकड़ों अनाथ, वृद्ध, लाचार, अनेक प्रकार से रोगों से ग्रस्त लोग अति प्रफुल्लित एवं आनंदित जीवन जी रहे हैं।

सेवाधाम के प्रवर्तक एवं सेवा के पर्याय बन चुके श्री सुधीर भाई गोयल जी के शुरुआती दिन बड़े संघर्ष में रहे, पैसों की दिक्कत रहती थी, तब धर्म पत्नी ने एक-एक कर अपने समस्त जेवरात बेच दिए। एक जबरदस्त आघात तब लगा, जब इकलौते पुत्र की मृत्यु हो गई। एक एक कर प्रिय बहन और पिताजी की भी मृत्यु हो गई। इन सभी दुखों एवं संकटों का आप सामना करते रहे लेकिन अपने पथ से लेशमात्र भी विचलित नहीं हुए और चलते रहे एक समरस संत की तरह। समय के साथ श्री सुधीर भाई गोयल के कार्य सभी को दिखलाई देने लगे एवं समाज से समर्थन एवं सहयोग मिलने लगा इससे अब आपकी सेवा के दायरे का काफी विस्तार हो चुका है। सुधीर भाई सेवा धाम में निवास करने वाले सभी को अपने परिवार का हिस्सा मानते है एवं उनके लिए पिता, भाई, पुत्र सभी भूमिका निभाते है। सेवा धाम में निवास करने वाली निर्धन, अनाथ बच्चियों के विवाह एवं कन्यादान का पुनीत कार्य भी आपके कर कमलों से संपादित होने लगा है। मार्च 2020 में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान आपके आश्रम में निवास करने वाली 29 दिव्यांग कन्याओं का कन्यादान आपके द्वारा किया गया, जो अपने आप में अद्दभुत कार्य होने के कारण गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book Of World Records) (GBWR) में दर्ज हुआ।

आप की अद्भुत साधना के चलते आज बड़ी से बड़ी हस्ती आपके आश्रम में आकर अपने को गौरवान्वित महसूस करती हैं। आपके आश्रम में परम श्रद्धेय बाबा आमटे जी (Baba Amte), पूज्य स्वामी रामदेव जी (Swami Ramdev), अनेकों प्रख्यात जैन मुनिगण सहित अनेक प्रख्यात शख्सियतों का प्रायः पदार्पण होता रहता है। आज श्री सुधीर भाई गोयल जी गरीब, लाचार, बीमार एवं बेसहारा लोगों के लिए देवदूत बनकर सेवा कर रहे हैं।