मन लागा मेरा यार फकीरी में। ये पंक्तियां श्री हरि व्योम (Hari Vyom) जी के ऊपर सौ फ़ीसदी खरी उतरती हैं। दूरदर्शन विभाग में बनी, बनाई सरकारी सेवा को छोड़कर आप कोलकाता में आकर अंध प्रतिभाओं के कल्याणार्थ लग गए और वहीं प्रभु की आराधना में रम कर अल मस्त सन्यासी की तरह लोगों की बेपनाह मोहब्बत पाकर आप आनंदित रहते हैं। आपके पिताजी श्री फुलेना प्रसाद जी कोलकाता पुलिस में सेवारत थे, इसलिए आप भी दूरदर्शन विभाग की नौकरी त्याग कर वर्ष 1997 में वही आ गए तथा वर्ष 1998 में भारतेंदु अंधा आश्रम की स्थापना कर उनकी सेवा में जुट गए। नेत्रहीनों की सेवा करने के साथ-साथ आप उन्हें भोजन, आवास, चिकित्सा एवं शिक्षा की निशुल्क व्यवस्था करने का 100% सफल प्रयास करते हैं। आपने सूरदास संगीत अकादमी की स्थापना भी की है, इसके द्वारा प्रतिभाओं को बेहतरीन तरीके से पुष्पित, पल्लवित करने में एक माली की तरह लगे रहते हैं तथा उन सबकी सेवा और मार्ग दर्शन करते रहते हैं। मूलतः सिवान, बिहार प्रांत में जन्मे श्रीयुत हरि व्योम जी की माताजी, श्रीमती कमला देवी जी को भी यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनका बेटा आगे चलकर हजारों दृष्टिबाधित प्रतिभाओं के मार्ग में भगीरथ बनकर उनके जीवन में नैसर्गिक एवं पारलौकिक अनुभूतियों के गंगावतरण का कार्य करेगा। आपके योग्य मार्ग निर्देशन में भारतेंदु आश्रम के सैकड़ों संगीत साधक, संगीत साधना में बेहतरीन उपलब्धि अर्जित करते रहते हैं ।इसी कड़ी में 16 मई 2018 से 24 मई 2018 के दौरान भारतेंदु अंध आश्रम के दृष्टिबाधित संगीतज्ञों द्वारा असाधारण लगन एवं प्रस्तुति से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में ब्लाइंड फोल्डेड प्रिचिंग विद आर्केस्ट्रा ऑफ ब्लाइंड आर्टिस्ट के रूप में वैश्विक कीर्तिमान अर्जित करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रकार श्रद्धेय हरि व्योम जी की कठोर साधना एवं मार्गदर्शन सभी के लिए आज प्रकाश पुंज की तरह साबित हो रहा है।