संगीत में इतनी सामर्थ्य होता है कि मूक प्राणी, पशु, पक्षी तथा यहां तक कि पौधे भी इसके चलते तरंग में आ जाते हैं तथा प्रेम रस में निमग्न हो अंतरगान करने लगते हैं। गीत-संगीत की भाषा एवं बोल चाहे जो भी हो लेकिन उससे हृदय में स्पंदन होने लगता है। आप भाषा या सुर ताल से विज्ञ भले ही न हो, लेकिन सुर साधना तो प्रभु पद-पंकज की आराधना का बेहतरीन माध्यम होती ही है। इसके साथ ही व्यक्ति के दिलों तक पहुंचना, उनमें अपनी जगह बनाना भी प्रभु की आराधना ही माना जाएगा, क्योंकि ईश्वर तो प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में रहते हैं।

आमतौर पर सुर-साधना, इसका ज्ञान तत्पश्चात अपने गायन के माध्यम से लोगों को प्रफुल्लित कर देने में काफी समय व्यतीत करने के बाद ही प्रवीणता हो पाती है, परंतु नन्हे सत्यम उपाध्याय (Satyam Upadhyay) ने तो इसमें बहुत ही छोटी उम्र में महारत हासिल कर ली। गुरुग्राम, हरियाणा (Gurugram, Haryana) निवासी श्री नरेंद्र कुमार उपाध्याय जी एवं डॉ सविता उपाध्याय जी के आंगन में 27 जून 2004 को एक दिव्य आत्मा ने जन्म लिया था, जिनका नाम रखा गया सत्यम। मास्टर सत्यम उपाध्याय उस उम्र में ही लाजवाब तरीके से गायन प्रारंभ कर दिया था, अमूमन जिस उम्र में बच्चे माँ की गोद में बैठकर खिलौने खेलने में मशगूल रहते हैं। 5 वर्ष की उम्र से ही तोतली जुबान में गायन शुरू करने वाले मास्टर सत्यम अगले ही कुछ सालों में उत्कृष्टतम रूप में गाने लगे तथा देखते-देखते उनकी प्रसिद्धि काफी दूर-दूर तक हो गई। उन्हें अनेक बड़े कार्यक्रमों में प्रस्तुति हेतु आमंत्रण आने लगे। इतनी कम उम्र के बच्चे को मंच पर गाता देख, वह भी इतना बेहतरीन सभी अचंभित हो जाते एवं सत्यम जी में मोहम्मद रफी साहब एवम् किशोर दा जैसे महान फनकारों की छवि देखने लगते। जिस उम्र में अधिकांश बच्चे स्कूल के कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं, उसमें सत्यम जी को ढेर सारे प्रतिष्ठित मंचों, रेडियो के कार्यक्रमों, टेलीविजन चैनलों पर गाने के लिए आमंत्रित किया जाने लगा। राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रमों में आपकी बेमिशाल प्रतिभा को देख सभी भाव-विह्वल होने लगे तथा आप एक-एक कर सीढ़ी दर सीढ़ी अपनी मंजिल की तरफ चढ़ते और बढ़ते गए।

आपके गायन के अनेक रिकार्ड भी दर्ज होने लगे लेकिन पिताजी तथा शिक्षा की उत्कृष्टतम उपाधि से विभूषित माताजी डॉ. सविता उपाध्याय जी ने अपने जिगर के टुकड़े का वर्ल्ड रिकॉर्ड विश्वविख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस (Golden Book of World Records) में दर्ज कराने का विचार बनाया। इसके लिए आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के कार्यालय से संपर्क कर आवेदन पत्र प्रेषित किया। मास्टर सत्यम के हुनर को रिकॉर्ड के लिए प्रदर्शन हेतु देखने के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के नेशनल हेड श्री आलोक कुमार जी स्वयं पहुंचे तथा वह भी मास्टर सत्यम के गायन को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। एक भव्य कार्यक्रम में हजारों की भीड़ तथा अनेक अति विशिष्ट शख्सियतों की उपस्थिति में मास्टर सत्यम ने अपने गायन से सभी के मन-मस्तिष्क के तारों को झंकृत करते हुए उनके दिलों में अमिट स्थान बना लिया। सत्यम के साथ, हर कदम पर बड़े भैया श्री शुभम उपाध्याय जी का पूरा साथ होता है, जो कि कम्प्यूटर इंजीनियर हैं एवं सदैव उनके साथ छाया की तरह लगे रहते हैं तथा आपकी सफलता में उनका अभूतपूर्व योगदान है। सबसे कम उम्र के प्रोफेशनल सिंगर (Youngest professional singer) होने के चलते 11 वर्ष 7 माह की आयु में, 19 फरवरी 2016 को आपका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज हो गया। इस असाधारण उपलब्धि पर आपके स्कूल डी ए वी पब्लिक स्कूल, गुरुग्राम (DAV Public School, Gurugram) का पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा था। प्रिंसिपल मैडम श्रीमती अपर्णा एरी जी को अपने इस बच्चे पर बेहद गर्व हो रहा था। साथ ही सभी गुरुग्राम वासी भी आपको वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते देखकर अपने आपको सम्मानित महसूस कर रहे थे। आपको इतनी कम उम्र में ही देश-विदेश के सैकड़ों सम्मानों से नवाजा जा चुका है। इसके आलावा समय समय पर देश के के सम्माननीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों का आशीर्वाद भी मिलता रहा है, उसमे प्रमुख है हरियाणा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी, हरियाणा के एजुकेशन मिनिस्टर श्री रामबिलास शर्मा जी, केंद्रीय मंत्री श्री रामदास अठावले जी, केंद्रीय मंत्री श्री प्रताप चंद्र सारंगी जी, फॉर्मर मिनिस्टर ऑफ़ महाराष्ट्र श्री महादेव जानकर जी, फॉर्मर राष्ट्रीय कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी जी, फास्टेस्ट पियानो आर्टिस्ट ऑफ़ द वर्ल्ड डॉ. अमन बाठला जी, बनारस घराने के प्रसिद्ध संगीतकार पंडित गीतेश मिश्रा जी एवं प्रसिद्ध तबलावादक गौतम मिश्रा जी, और बहुत सारे गुरूओं का शुभ आशीष भी मिलता रहा है। सत्यम जी का एक यूट्यूब चैनल भी जिसमे आपके लाखो फॉलोवर्स है।

आपकी प्रतिभा को निखारने का श्रेय अगर जाता है तो केवल आपकी माताश्री सविता जी को ही जाता है, क्योकि उन्होंने अपना पूरा समय और अपनी सारी शक्ति आपके लिए लगा दी है, इसलिए धन्य है ऐसी माता और धन्य है ऐसा सपूत भी, आज कस्तूरी की तरह आपके गुणों की खुशबू चहुं ओर प्रसारित हो रही हैं।