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- आप अकेले बोल तो सकते है परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।
- कागज के टुकड़े करना सरल है, कपड़े के टुकड़े करना थोड़ा कठिन है, लोहे के टुकड़े करना काफी कठिन है, लेकिन सबसे ज्यादा कठिन कुछ है तो वह है हमारे अंदर स्थित अहम के टुकड़े करना।
- नमक जैसा बनाइये अपना "व्यक्तित्व" आपकी उपस्थिति का भले ही पता न चले पर अनुपस्थिति का अहसास अवश्य होना चाहिये।
“वाणी” और “पानी” दोनों में ही “छवि” नज़र आती है “पानी” स्वच्छ हो तो “चित्र” नज़र आता है “वाणी” मधुर हो तो “चरित्र” नज़र आता है।