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- यदि आप में दूसरों के लिए "प्रार्थना" और "सेवा" करने की आदत है। तो आपको स्वयं के लिए "प्रार्थना" करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- अपनी ऊर्जा को चिंता करने मे खत्म करने से बेहतर है इसका उपयोग समाधान ढूंढने मे किया जाए !!
- प्रकृति ने सिर्फ दो ही रास्ते दिए हैं! "या तो देकर जाएं या, फिर.. छोड़कर जाएं"! साथ ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है! अतःकुछ ऐसा छोड़कर जाए कि हमेशा लोगो कि यादो में बने रहे।
सही “मौके” पर “खड़े” होकर बोलना एक “साहस” है उसी प्रकार “खामोशी” से बैठकर दूसरों को “सुनना” भी एक “साहस” है।