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जैसे जैसे आपका नाम ऊंचा होता है, वैसे वैसे शांत रहना सीखिए क्योंकि। आवाज हमेशा सिक्के ही करते है, नोटों को कभी बजते नहीं देखा।
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' डर' कहता है,यह असंभव है। 'अनुभव' कहता है,यह जोखिम भरा है। ' तर्क ' कहता है,यह कठिन है। परंतु,' साहस ' कहता है, एक बार ' प्रयास ' तो कीजिए।
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अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएं तो सागर हैं अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं अकेले हम कागज हैं, मिल जाएं तो किताब हैं जीवन का आनंद मिलजुल कर रहने में है खुश रहो खुशिया बाँटते रहो।
सही “मौके” पर “खड़े” होकर बोलना एक “साहस” है उसी प्रकार “खामोशी” से बैठकर दूसरों को “सुनना” भी एक “साहस” है।