विश्व की सबसे छोटी पुस्तकें लिखना हो अथवा धरती का सबसे छोटा चरखा बनाना हो ,ऐसे न जाने कितने अनोखे कारनामे कर दिखाए हैं, हल्द्वानी, उत्तराखंड के रहने वाले श्री प्रकाश चंद्र उपाध्याय जी ने ।सैन्य सेवा में रहे पिता श्री लक्ष्मी दत्त उपाध्याय जी एवं माता श्रीमती सरस्वती देवी जी के आंगन में 25 मार्च 1973 को श्री प्रकाश चंद्र उपाध्याय जी (Prakash Chandra Upadhyay) का जन्म हुआ। बचपन से ही कला के प्रति रुझान होने के कारण इस क्षेत्र में आपने पढ़ाई की। स्नातकोत्तर एवं आईजी टी बॉम्बे की शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उत्तराखंड में हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में बतौर आर्टिस्ट आप सेवारत हो गए। बचपन से ही कुछ अलग करने के शौकीन श्री प्रकाश चन्द्र उपाध्याय जी ने कुछ सदैव कुछ नया ही करने को सोचते रहे और इसी दिशा में दुनिया की सबसे छोटी हस्त निर्मित पुस्तक लिखकर वर्ष 2013 में विश्व रिकॉर्ड बनाया। 2015 में विश्व की सबसे छोटी हस्त निर्मित हनुमान चालीसा लिखकर आपने पुनः रिकॉर्ड बनाया।यह हनुमान चालीसा चने के आकार की है और इसमें कुल 112 पेज हैं ।श्री प्रकाश चन्द्र उपाध्याय जी की यह तपस्या जारी रही तथा वर्ष 2016 में विश्व का सबसे छोटा चरखा मात्र 5 मिलीमीटर आकार का बना कर पुनः विश्व रिकॉर्ड बनाया। वर्ष 2017 में आपने आधा मिली मीटर आकार की विश्व की सबसे छोटी पेंसिल बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया। वर्ष 2017 में आपने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक पुनः सबसे छोटा चरखा बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया। कलात्मकता के जादुई गुणों से संपन्न श्रद्धेय प्रकाश चंद उपाध्याय जी अनवरत अपनी साधना में लगे रहते हैं। वर्ष 2018 में आपने शीशे की एक बोतल के भीतर डेढ़ सेंटीमीटर लंबाई तथा आधा सेंटीमीटर चौड़ाई की एक जहाज बनाकर सभी को अचंभित कर दिया। इसका रिकॉर्ड दर्ज कराने हेतु, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क कर आवेदन पत्र प्रेषित किया। आपका यह रिकॉर्ड 3 मार्च 2018 को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया ।इस असाधारण उपलब्धि पर खूब सराहना हुई तथा आप को सम्मानित किया गया। आज आप की गिनती प्रतिष्ठित शख्सियतों में की जाती है तथा लोगों के लिए आप प्रेरणा पुंज बन गए हैं।
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