अशोक देवांगन (Ashok Dewangan) ने अपनी टीम के साथ छत्तीसगढ़ की अनेक संस्था, संस्थानों के लिए एक से एक कलाकृति बनाई है। अशोक के बड़े भाई अंकुश देवांगन कला के क्षेत्र में एक चिर-परिचित नाम हैं। वे पैदाइशी कलाकार हैं, तो वहीं अशोक की दीदी भी चावल के दाने में कलाकारी करने में माहिर हैं। अशोक ने बचपन से ही अपने घर में कला का संसार देखा, जाना, समझा तब उन्हें भी नहीं पता था कि उनकी रगों में कलात्मक रक्त दौड़ पड़ा है। जो भविष्य में उन्हें कला के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई, बुलंदियों पर ले जाने वाला है।
कलाछाया का प्रभाव
कहा जाता है कि हरेक कलाकार पनी राह जाने-अनजाने में खुद ही चुन लेता है। अन्य कार्यों में उसे आनंद व तृप्ति मिल ही नहीं सकती। अशोक देवांगन ने दल्ली राजहरा में ग्रेजुएशन के पश्चात खैरागढ़ से पेंटिंग में डिप्लोमा किया और बड़े भैया अंकुश देवांगन के दल्ली राजहरा में भिलाई स्टील प्लांट का स्ट्रक्चर गार्डन विकसित करते हुए करीब से देखा। रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन का कार्य भी अंकुश देवांगन को मिला था, जहां उन्हें हाथ बंटाने व कलाकारी दिखाने का प्रथम अवसर मिला। वहां बाउंड्रीवॉल पर जमकर म्यूरल आर्ट किया। फिर भिलाई के अनेक चौक-चौराहों को अपने आर्ट वर्क से सजाया-संवारा।
आर्टवर्क से मिली नौकरी
अशोक देवांगन के इस आर्ट वर्क को देखते हुए ही इन्हें भारतीय रेलवे में नौकरी दी गई। रायपुर, भिलाई के मैकेनिकल विभाग में अधिकारियों ने अशोक देवांगन को अपने कार्य क्षेत्र के गार्डन इत्यादि विकसित करने का कार्य सौंपा। अशोक रेलवे के वार्ड में से वेस्ट पार्ट्स को अपनी परिकल्पना से ऐसा सुंदर साकार रूप देते कि लोग दंग रह जाते। अशोक ने बस्तर आर्ट, इंडिया गेट, गेटवे ऑफ इंडिया, छत्तीसगढ़ की संस्कृति को विभिन्न आकारों में उकेरा।
नवीन सिंह हैं जौहरी
रायपुर रेलवे के उरकुरा क्षेत्र में जनरल स्टोर डिपो है, वहां के मैनेजर नवीन सिंह ने जब अपना कार्यभार संभाला तो वे अपने क्रिएटिव नेचर के कारण चाहते थे कि उनका कार्यक्षेत्र कलात्मक भी लगे। उनकी नजरें जा टिकी अशोक देवांगन पर, सो उन्होंने अशोक को भिलाई से रायपुर बुलवाकर जनरल स्टोर डिपो को कलात्मक रंग देने को कहा। अशोक ने वहां के गार्डन में अनेक आर्ट वर्क बनाए। जिसमें से एक केरोसिन की वेस्ट टंकी से निर्मित रेलवे के पुरातन इंजिन की प्रतिकृति है। नागपुर से बिलासपुर के मध्य रेलवे का सबसे बड़ा स्क्रेप यार्ड वसप्लायर है रायपुर का उरकुरा स्थित जनरल स्टोर डिपो। एक दिन नवीन सिंह ने कहा- अशोक अब कुछ बड़ा आर्ट वर्क बनाओ, कुछ अलग हटके और अशोक लगे सोचने, क्या किया जाए।
टीम वर्क से बना मेक इन इंडिया (Make in India)
मेक इन इंडिया मिशन का लोगो है, शेर का अभ्यंकर। अशोक देवांगन ने नवीन सिंह से इस संदर्भ में बात की। नवीन सिंह की परिकल्पना में भी यही लोगो था। उन्होंने कहा, मैं भी इसी में पर सोच रहा था। डिपार्टमेंट से पीच मणि, श्रीनिवास राव, संतोष राउत, चक्रधर सिदार, ललित मांझी, हरिकृष्णा, तुलसी महानंद को इस अभियान में शामिल किया गया। जीएसडी से लगी जमीन पर विशाल चबूतरा बनाया गया। उरकुरा महत्वपूर्ण ट्रेन रूट है। इस कारण इसे यहां बनाया गया। रेलवे के वेस्ट स्क्रेप, प्लेट, फाइबर, गियर पार्ट्स जोड़ा गया। प्रतिदिन दस से बारह घंटे खूब मेहनत की। छह महीने की मेहनत ने रंग लाया औक इस तरह टीम वर्क से सपना पूरा हुआ। जब काम पूरा हुआ तो 65 फीट लंबा और 32 फीट ऊंचे विशाल शेर (लोगो) को देखने हुजूम उमड़ पड़ा। हर किसी ने खूब सराहना की। डीआरएम राहुल गौतम से भेंट के दौरान उन्होंने पूछा कि क्या मेक इन इंडिया के लोगो को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड (Golden Book of World Records) में शामिल किया जा सकता है? गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड (GBWR) के हेड ऑफ़िस में संपर्क किया गया तो रेलवे के पक्ष में नतीजा आया। जनरल स्टोर डिपो के कार्यक्षेत्र के सांस्कृतिक भवन में मैनेजर नवीन सिंह और मुख्य कलाकार अशोक देवांगन को उनकी पूरी टीम के साथ गोल्डन बुक ऑफ वल्ड रिकार्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।