पुलिस की वर्दी देखते ही क्रूर, संवेदनहीन, करुणा दया से रहित मनुष्य का चेहरा सामान्य तौर पर मन मस्तिष्क में उभरता है। यह सत्य है कि सामाजिक मूल्यों में अवमूल्यन आने से अन्य क्षेत्रों की तरह पुलिस महकमे में भी आने वाले व्यक्तियों पर इसका असर पड़ना आस्वाभाविक नहीं था ।दरअसल पुलिस बल में आने वाला चाहे वह किसी पद पर हो हर इंसान भी हमारे आपकी तरह हाड़-मांस से ही बना होता है, तो हम कैसे यह कल्पना कर लेते हैं कि उसके ऊपर अच्छे एवं खराब वातावरण का प्रभाव सामान्य व्यक्ति से हटकर पड़ेगा। पुलिसिया कार्यप्रणाली की विविधता, सघनता एवं परिस्थितियों के चलते जाने-अनजाने इन पर अंगुली उठना स्वाभाविक है, लेकिन इसी पुलिस बल में ऐसे भी कर्मचारी एवं अधिकारी हैं जिन्हें देखकर अथवा उनके कार्यों को सुनकर यह महसूस होता है कि जिन एहसासों के साथ, यह सोच कर इस तंत्र का गठन किया गया था कि इसमें आने वाले हर व्यक्ति में विनम्रता, वस्तुनिष्ठता, विधि सम्मत व्यवहार, प्रज्ञा राशि, साहस से परिपूर्ण तथा ऊर्जावान जैसे गुणों से लबरेज होगाI पुलिस की वर्दी पहने रिवाल्वर टांगे हुए जब अयोध्या वासियों ने एक नौजवान पुलिस सब इंस्पेक्टर को चिड़ियों के लिए घोसला बनाते देखा, सकोरों में भर-भर कर उनके लिए पानी रखते देखा, हाड़ कपा देनेवाली रातों में ड्यूटी पर निकलने पर किसी गरीब को ठंड से कांपते देख उन्हें तुरंत खरीद कर कंबल ओढ़ाते देखा, क्रिसमस पर सेंटा क्लाज बनकर घूम-घूम कर गरीब बच्चों को उपहार बांटते देखा तो सभी आश्चर्यचकित हो गए। जो भी देखता उसी के होठों पर यही शब्द कि क्या पुलिस का कोई अधिकारी ऐसा भी ही सकता है?

जनपद अयोध्या में पुलिस सब इंस्पेक्टर रणजीत यादव जी (SI Ranjeet Yadav) ने अपनी दिनचर्या को ऐसे व्यवस्थित किया है कि अपनी पुलिस की ड्यूटी को पूर्ण साधना से करने के बाद निकल पड़ते हैं समाज के प्रति, पर्यावरण के प्रति, प्रकृति के प्रति, सेवा करनेI विविधता भरा सेवा का क्षेत्र होने के नाते आपकी सेवा में भी जबरदस्त वैविध्य रहता है। प्रतिदिन कहीं न कहीं दुर्घटनाएं होती रहती हैं उनमें से कई लोग तो ऐसे रहते हैं कि यदि उन्हें तत्काल खून ना मिल पाए तो वे काल के गाल में समा सकते हैं। ऐसी स्थिति में सब इंस्पेक्टर श्री रणजीत यादव जी देवदूत बनकर सामने आते हैं, आप दूसरों को तो रक्तदान हेतु प्रोत्साहित भी करते हैं, स्वयं भी अक्सर जरूरतमंदों को रक्त देते हैं। बड़े-बड़े पदाधिकारी द्वारा पौधरोपण करते प्रायः देखा जाता है, लेकिन आप स्कूलों कालेजों में जाकर पौधरोपण के साथ-साथ उनकी सुरक्षा देखरेख हेतु छात्रों को समझाते हैं। आपकी इसी तपस्या के चलते आपके प्रयास से रोपित हजारों हजार पौधे हरे-भरे दिखाई देते हैं। वर्तमान में अंधे विकास की दौड़ में मनुष्य स्वयं पर्यावरण का सबसे बड़ा शत्रु बनकर वृक्षों को खत्म करने पर तुला है, इसका एक दुष्प्रभाव यह सामने आ रहा है कि पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिसके चलते न केवल पक्षियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है बल्कि अनेक लुप्तप्राय होती जा रही हैं। आप घरों में पक्षियों के लिए घोंसला बनाते हैं, उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं ताकि इनकी निरंतर कम हो रही हालत को सुधारा जा सकेI अक्सर आपको भांति-भांति के कार्यक्रमों में शरीक होने का अवसर मिलता है, उनमें मेहमान नवाजी में आप अपनी तरफ से सभी को पौधे भेंट करते हैं साथ ही उनके संरक्षण के लिए अनुरोध भी करते हैं।

माता श्रीमती अमरावती देवी द्वारा दूध की पहली घूंट के साथ अनुशासन का अमृत पान करने वाला यह वर्दीधारी गरीबों मजलूमों, बेबस, बेसहारा लोगों की सेवा को अपना सौभाग्य मानता है। सेवा भावना से ओतप्रोत पुलिस की अनुशासन प्रिय जीवनशैली के चलते आपको अनेक अवार्डों से प्रायः सम्मानित किया जाता रहता है। महकमे में भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आपकी हौसला अफजाई की जाती रहती हैं। 5 अक्टूबर 1989 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के भदसार नामक गांव में एक साधारण किसान श्रीपति यादव जी के घर जन्मे श्री रणजीत यादव जी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu Vishwavidyalaya) से दर्शन शास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद पुलिस सेवा में आ गए और आज पुलिस विभाग की शान बन गए हैं। आप एक बेहतरीन लेखक भी हैं, आप की लिखी गई कहानियों का प्रसारण आकाशवाणी द्वारा किया जा चुका है। जनमानस को हेल्मेट पहनने के लिए जागरूक करने के लिए आप द्वारा रचित हेल्मेट गीत की भी बहुत प्रशंसा की गई है। पुलिस की वर्दी पहनते समय जनसेवा की कसम को ये वर्दीधारी देवदूत समाज, पर्यावरण, जीव-जंतुओं, एवं गरीब लोगों की सेवा करते हुए पूरी तरह से निभा रहे है।