घर की फुलवारी में 7 फुट 2 इंच का गेंदे का पौधा उगाने वाले तथा 7 फुट 5 इंच का तुलसी का पौधा उगाने वाले फरीदाबाद निवासी 70 वर्षीय श्री हरिचंद्र गर्ग जी (Mr. Hari chandra Garg) एक तरफ प्रकृति की इतनी गहन साधना करते हैं, तो दूसरी तरफ इस आयु में कठिन योग क्रियाओं से भी सभी को अचंभित कर देते हैं। जिस उम्र में व्यक्ति संभल कर चलता है, वही आप इस आयु में 25 फुट ऊंचे और 40 Kg वजन वाले बाँस को हथेली पर लेकर चलने का अद्भुत कारनामा करने की क्षमता रखते है। ये सब श्री हरिचंद्र गर्ग जी के लिए ही संभव है जबकि साधारणतः इस उम्र में लोग अपनी जरुरत के ही काम कर पाते है।
02 जनवरी 1950 को छोटे से गाँव औरंगाबाद – मितरौल ( तहसील होडल, जिला पलवल) मे पिता श्री लाला श्रीचंद तथा माता श्रीमती किरण देवी जी की गोद में जन्म लेने वाले, श्री हरि चंद्र गर्ग बचपन से ही बहुत ही मेहनती थे। जब आप कक्षा 6 की पढ़ाई कर रहे थे तभी पिताजी का एक दुर्घटना में विकलांग हो गए, उस समय पारिवारिक परिस्थितियों ने समय से पूर्व ही आपको जिम्मेदार बना दिया। आपने हाई स्कूल की पढ़ाई के उपरांत वर्ष 1973 में लोक निर्माण विभाग में नौकरी प्रारंभ कर दी, लेकिन नौकरी में आपका मन नहीं लग रहा था। इसलिए 1 साल बाद ही नौकरी छोड़ दी और उसी विभाग में ठेकेदारी का कार्य करने लगे, जिसे आपने 2015 तक किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जब पहली बार देश में विश्व योग दिवस (International Yoga Day) मनाया गया तो फरीदाबाद में भी एक लाख बीस हजार लोगों ने उसमें भाग लिया। योग के अनेक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उस दौरान बने, जिसे देखकर आपके मन में भी योग के प्रति ललक जगी तथा योग करना प्रारंभ कर दिए। आपके खिलखिलाते परिवार एवं लहलहाते बागवाँ को नजर तब लग गई, जब आपकी जीवनसंगिनी मधुबाला जी को एक दुर्घटना के बाद एक साल तक बस बिस्तर पर ही रहना पड़ा। उनकी सेवा सुश्रुषा का पूर्ण ज़िम्मा आपने साथ ही दोनों पुत्र वधुओ प्रिया रानी और मीनाक्षी गर्ग ने मिलकर उठाया, सच कहा जाये तो दोनों पुत्रवधुओ ने सास की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहकर अपना पूरा फर्ज निभाया। जब भी मधुबाला जी अकेला महसूस करती आप उनके पास ही बैठ कर उनके सामने खुद घंटों तक कपालभाति योग करने लगे। उस समय आपकी आयु 67 वर्ष हो चली थी फिर भी पत्नी की सेवा एवं घंटों तक योग आप की प्रमुख दिनचर्या थी। मधुबाला जी भी बहुत मेहनती थी उन्होंने अपने परिवार को बहुत प्यार सींचा था, सबसे बड़ी बात तो ये थी की इस दुनिया को छोड़ने से एक दिन पहले पहले वो वोट करने भी गयी थी।
गर्ग जी की दिनचर्या योग से शुरू होती है, सुबह जल्द उठाकर 2 घंटे योग करते है इसके बाद 2 से 3 घंटे बाग़वानी का काम करते है। इसके लिए आपने अपने घर के पास स्थित कचरा डालने वाले स्थान (garbage dump) को साफ किया एवं उसमे कई तरह के उपयोगी पौधे जैसे तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, आँवला, गेंदा, गुड़हल आदि के पौधे लगाए है। इसके बाद बचे हुए समय में आप समाज और ज़रूरतमंद की सेवा में लगते है और साथ ही लोगो को योग के लिए भी प्रोत्साहित करते है, आपने जेल में कैदियों को लम्बे समय तक योग करवाया है। एक दिन ऐसे ही आपके मन में विचार आया कि क्यों न लंबे समय तक योग करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया जाए। इस हेतु आपने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क किया। जहाँ आपको बताया गया कि इस उम्र में यदि 60 मिनट से अधिक कपालभाति करेगे, तो आपका रिकार्ड दर्ज हो सकता है। आपने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए 23 मार्च 2017 में 1 घंटे 7 मिनट 4 सेकंड (1H:07M:04S ) तक कपालभाति करके सभी को अचंभित कर दिया और आपका नाम सर्वाधिक समय तक कपालभाति योग करने (longest performance of Kapalbhati pranayam yoga) के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया। 23 दिसंबर 2017 को सर्वाधिक समय तक उतित्थ पद्मासन योगसन करने (longest performance of Uttith Padmasana yoga) शीर्षक के साथ पुनः गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में आपने अपना नाम दर्ज कराया। अपनी योगसाधना को जारी रखते हुए 24 मई 2018 को सर्वाधिक समय तक गर्भासन योगासन (longest performance of Garbhasana yoga) करके एक बार फिर आपने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया एवं 18 जुलाई 2018 को सर्वाधिक समय तक मत्स्य पद्मासन योगासन (longest performance of Matsya padmasan yoga) करके फिर से रिकार्ड बनाते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस अपना नाम दर्ज कराया।
वर्ल्ड रिकॉर्ड को बनाना बड़ों-बड़ों के बस में नहीं होता है, जहाँ लोग पूरी जिंदगी में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी नहीं बना पाते वही श्री हरिचंद्र गर्ग जी जैसे मेहनती एवं कर्मठ कर्मयोगियों के लिए बाएं हाथ का खेल है। दरअसल इसके पीछे इनकी बरसों की साधना है। प्रकृति के भी आप अनन्य पुजारी हैं, इसी खूबी के चलते आपके मेहनत की बगिया में 7 फीट 2 इंच लंबाई वाला गेंदे का एक पौधा है जो विश्व का सबसे लंबा गेंदे का पौधा (longest marigold plant) के रूप गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में 15 मार्च 2018 को दर्ज कर लिया गया है। इसी प्रकार 23 दिसंबर 2019 को आपके गार्डन की शोभा बढ़ानेवाला 7 फीट 5 इंच का तुलसी का पौधा भी (longest basil plant) के रूप में GBWR में दर्ज किया गया। अभी तक आपके नाम 6 वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं जो अपने आप में एक मिसाल तो है ही साथ ही अन्य के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। आपकी इन असाधारण उपलब्धियो के कारण आपको नाना प्रकार के सम्मानों से अक्सर सम्मानित किया जाता रहता है तथा आपकी गणना अत्यंत सम्मानित शख्सियत के रूप में पूरे हरियाणा में की जाती है। योग के प्रचार में ऐसी शख्सियतों के माध्यम से स्कूलों के बच्चों को प्रेरणा देनी चाहिए ताकि वह योग के महत्त्व को जाने और ये भी समझ सके की योग करने से 70 की उम्र में भी व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ रह सकता है तभी सही मायने में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपनों का स्वस्थ भारत और समृद्ध भारत बन सकेगा।